Khargone : दंगों के बाद खरगोन में लगे कर्फ्यू ने कई के अरमानों को तोड़ दिया। एक दूल्हे की घोड़ी चढ़ने का सपना भी अधूरा रह गया। उसे कर्फ्यू में मिली छूट में पैदल ही दुल्हन को ब्याहने जाना पड़ा। रविवार को प्रशासन ने सुबह 8 से लेकर 12 बजे तक चार घटों की थोड़ी ढील दी। इस दौरान एक दूल्हे को अपनी दुल्हन को लेने के लिए पैदल ही निकलना पड़ा।
प्रशासन ने रविवार को कर्फ्यू में 4 घंटे की ढील दी। जिससे हिंसा के बाद स्थिति थोड़ी सामान्य हुई। इस दौरान लोगों ने अपनी जरूरत का सामान खरीदा। वहीं एक अनोखी शादी देखने को मिली। जहां न कोई बैंड-बाजा था और न घोड़ी। दूल्हा खुद अपनी दुल्हन को लेने के लिए पैदल ही निकला।
खरगोन कलेक्टर और एसपी ने सुबह 8 बजे से दोपहर 12 तक थोड़ी ढील दी थी। इसी दौरान दंगा प्रभावित एरिया तालाब चौक में रहने वाले अमन कर्मा की शादी हुई। दूल्हा अमन अपने परिवार के साथ शहर से बाहर निकलने के लिए 2 से 3 किलोमीटर तक पैदल ही चला। जहां से वह 35 किलोमीटर कसरावद तहसील दूर दुल्हन श्वेता को लेने के लिए निकला।
सारे सपने दंगों ने तोड़ दिए
दूल्हे अमन का दंगों की वजह से अपने घर से घोड़ी पर बैठने और बारात धूमधाम से ले जाने का सपना टूट गया। परिवार ने कर्फ्यू और तनाव के चलते बैंड-बाजे के साथ बारात नहीं निकाली। पुलिस के सख्त आदेश के कारण मजबूर होकर दूल्हे को पैदल ही निकलना पड़ा। दूल्हे ने कहा, कर्फ्यू के कारण ऐसा करना पड़ा, खैर जो भी हालात अब सामान्य हैं और समय पर मेरी शादी तो हो गई। हम प्रशासन के सभी नियमों का पालन करेंगे।
कभी सोचा नहीं था ऐसी शादी का
दूल्हे अमन की बहन पायल ने कहा कि हमने कभी सोचा नहीं था कि भैया की ऐसी शादी करनी पड़ेगी। हर मां-बाप की ख्वाहिश होती है कि उसकी बेटी या बेटे की शादी धूमधाम से हो। लेकिन दंगों की वजह से सारी तैयारियां धरी की धरी रह गईं। हिंसा की वजह से हमारे कई दोस्त शादी में नहीं आ सके। मां सीमा और पिता के अलावा कुछ लोग इस शादी में शिरकत करने पहुंचे। शादी के बाद हमने अपने घर पर एक भव्य रिसेप्शन रखा था। लेकिन अब वह भी कैंसिल हो गया है। फिर भी जो हुआ उससे परिवार संतुष्ट है।