

Martyr Subedar Major Pawan Kumar Jariyal : एक शहीद के बेटे का दर्द- “हर सुबह मैं अपने पिता से गुड मॉर्निंग संदेश पाकर उठता था और आज ऐसा कोई संदेश नहीं था”
सूबेदार मेजर पवन कुमार जरियाल शहीद हो गए
किसी भी युद्ध में हम क्या पाते हैं ,लेकिन उनसे पूछ ले जो अपना सब कूछ खो देते हैं ,उनकी मनस्थिति ,उनकी भावनाएं ,उनके घर की खुशियाँ क्या कोई भी युद्ध वापस लौटा सकता है ?
जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हिमाचल के वीर सपूत सूबेदार मेजर पवन कुमार रविवार को पंचतत्व में विलीन ही गए। उनका सैन्य सम्मान के साथ उनके गांव के शमशान घाट में अंतिम संस्कार किया गया। बलिदानी पवन कुमार के बेटे अभिषेक ने मुखाग्नि देकर आने पिता को अंतिम विदाई दी। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोगों ने वीर सपूत को अंतिम विदाई दी।
धर्मशाला में इग्नू अध्ययन केंद्र में स्नातक छात्र अभिषेकके पिता ने कल रात उसकी मां को वीडियो कॉल किया था। अभिषेक “हर सुबह मैं अपने पिता से गुड मॉर्निंग संदेश पाकर उठता था और आज ऐसा कोई संदेश नहीं था। इसके तुरंत बाद उन्हें एक वरिष्ठ अधिकारी का फोन आया, जिसने उन्हें बताया कि उनके पिता के सिर में गंभीर चोटें आई हैं। कुछ घंटों बाद, एक और कॉल आया जिसमें बताया गया कि उनकी मृत्यु हो गई है।”
कांगड़ा जिले के शाहपुर/सिहोलपुरी निवासी 25 पंजाब रेजिमेंट के सूबेदार मेजर पवन कुमार जरियाल शनिवार तड़के जम्मू-कश्मीर के पुंछ में पाकिस्तानी सेना की ओर से की गई गोलाबारी में शहीद हो गए। बस तीन महीने की नौकरी और बची थी पर किसे पता था जिन्दगी के पास तीन महीने नहीं बचे थे ,तभी तो बोर्डर पर सेवा देना पसंद किया।
सिहोलपुरी के रहने वाले 48 वर्षीय पवन कुमार जरियाल 25 पंजाब रेजिमेंट में तैनात थे। शनिवार सुबह करीब 730 बजे पाकिस्तानी गोलीबारी में देश के लिए बलिदान हो गए। वहीं, रविवार को बलिदानी सूबेदार मेजर पवन कुमार जरियाल की पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पहुंच गई है। जरियाल को 31 अगस्त को सेवानिवृत्त होना था, लेकिन कुछ महीने पहले उन्होंने सीमावर्ती शहर को अपनी अंतिम पोस्टिंग के रूप में चुना था।

उनके पिता, 75 वर्षीय गराज सिंह जरियाल जो खुद भी 25 पंजाब रेजिमेंट से हवलदार के रूप में सेवानिवृत्त हुए है, ने कहा कि वे 32 साल की सेवा पूरी करने के बाद तीन महीने में सेवानिवृत्त हो जाते। “बस कुछ महीने पहले, जब उन्हें अपनी अंतिम पोस्टिंग चुनने का विकल्प दिया गया था, तो उन्होंने सीमावर्ती शहर में पोस्टिंग का विकल्प चुना। हम सभी उनकी वापसी की योजना बना रहे थे, किसने सोचा था कि वे तिरंगे में लिपटे घर आएंगे। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ने के बाद से मैंने उनसे केवल एक बार बात की थी। उन्होंने कहा था कि वे बंकरों में रह रहे थे,
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि जरियाल ने देश की एकता और संप्रभुता को बनाए रखने के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया और लोग उन्हें हमेशा याद रखेंगे।
वीर सपूत को श्रद्धांजलि
सीमावर्ती राजौरी सेक्टर में पाकिस्तान की गोलीबारी में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा ज़िले के शाहपुर निवासी सूबेदार मेजर पवन कुमार ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
वे 25 पंजाब रेजीमेंट में सेवारत थे।
एक सैनिक परिवार से संबंध रखते थे –… pic.twitter.com/K0xgS1Jgxi
— Gems of Himachal (@GemsHimachal) May 10, 2025
बलिदानी पवन कुमार अपने पीछे बुजुर्ग पिता गरज सिंह, पत्नी सुषमा देवी, पुत्र अभिषेक कुमार और पुत्री अनामिका को छोड़ गए हैं।
उनका बेटा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है, जबकि बेटी कॉलेज में पढ़ाई कर रही है ,एक बुजुर्ग पिता अपने बेटे की पार्थिव देह पर पुष्प चढ़ा रहे हैं ,औरएक स्त्री जिसे अब परिवार की तीन पीढ़ियों को अकेले संभालना है।