कोरोना संकट का नतीजा हैं सामूहिक आत्महत्याएं 

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कोरोना संकट का नतीजा हैं सामूहिक आत्महत्याएं 

श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

कोरोना का प्रकोप मध्यप्रदेश में भले कम हो रहो हो पर आम परिवारों पर उसकी मार और असर में शायद ही कमी आई हो. इंदौर में कर्ज से परेशान और प्रताड़ित अमित यादव ने मंगलवार को पत्नी और दो बच्चों को मार कर खुद को भी खत्म कर लिया.क्या उसके पास यही रास्ता बचा था..? कुल मिलाकर है यह कोरोना से उपजे आर्थिंक संकट की मार का ही दुखद परिणाम.मगर अफ़सोस,इस दर्दनाक घटना पर शायद किसी अख़बार ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया,संपादकीय तो खैर जाने दें आज किसी में इस पर फालोअप खबर तक देखने को नहीं मिली,हालाँकि मैंने कई के इंदौर संस्करण भी खंगाले हैं. पिछले महीने ही खंडवा में 18,,20 और 22 साल की बहनों ने सामूहिक ख़ुदकुशी कर ली थी,जिसे भले पारिवारिक विवाद कहा गया था पर तह में जाने पर इसके मूल में भी आर्थिक संकट से उपजी हताशा ही देखने को मिलेगी.

पिछले बरस इसी आर्थिक संकट के चलते भोपाल में जोशी परिवार के पांच सदस्यों और इंजीनियर रवि ठाकरे परिवार द्वारा ख़ुदकुशी की दहलाने वाली घटना हो चुकी है.ख़ुदकुशी की घटनाओं में यह नया ट्रेंड है की परिवार का मुखिया अकेले नहीं बल्कि परिवार के साथ जान दे रहा है..? शायद यह जताता है की भविष्य को लेकर वे किस कदर निराश हो चुके थे.

एक खबर भोपाल में खुद्कुशी की बढ़ती घटनाओं का कारण बीमारी बताती है,पर बीमारियाँ भी तो महामारी की ही देन हैं.