
Land Pulling: लैंड पुलिंग योजना का जबरदस्त विरोध: उज्जैन की सड़कों पर अन्नदाता, ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर पहुंचे हजारों किसान
उज्जैन. मध्य प्रदेश के उज्जैन में किसान इकट्ठा हो रहे हैं. भारतीय किसान संघ अपनी ही भाजपा सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरते दिख रहा है। लैंड पूलिंग, सिंहस्थ के लिए भूमि अधिग्रहण, तहसीलों में पेंडिंग राजस्व संबंधी केस और खाद की कमी जैसे मुद्दों की गूंज मध्यप्रदेश में दिख रही है।प्रदेश की मोहन यादव सरकार द्वारा सिंहस्थ में किसानों की जमीनों के स्थाई अधिग्रहण और लैंड पूलिंग सहित किसानों की कई समस्याओं को लेकर भारतीय किसान संघ अपनी ही भाजपा सरकर के विरोध में सड़क पर उतर आया है। सोमवार को पूरे प्रदेश में संघ ने विरोध जताकर ज्ञापन सौंपे हैं। मंगलवार को सीएम के गृह नगर उज्जैन में ट्रैक्टर रैली निकालकर सरकार के सामने विरोध दर्ज कराया जाएगा।वे लैंड पुलिंग योजना का विरोध कर रहे हैं. अब तक पांच हजार से ज्यादा किसान शहर में पहुंच चुके हैं. वे 2000 से ज्यादा ट्रैक्टर ट्रॉली लेकर पहुंचे हैं. किसान बाइकों से भी उज्जैन पहुंच रहे हैं. ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि इस आंदोलन में 10 हजार किसान शामिल होंगे. उज्जैन में भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात हैं. पुलिस ने प्रमुख सड़कों पर बैरिकेडिंग की है. काश्तकार लैंड पुलिंग समेत अपनी 15 सूत्रीय मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी मांगों पर गौर नहीं किया गया, तो वे गांवों से दूध, सब्जी आदि की सप्लाई बंद कर देंगे.

भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्र ने कहा कि सरकार की मंशा है कि किसानों से जमीन खींचकर स्थायी स्ट्रक्चर तैयार कर दिया जाए. सरकार जल्दबाजी में गलती कर रही है. किसान संघ इसका विरोध करता है. सिंहस्थ हजारों साल से चल रहा है. उस समय केंद्र और राज्य सरकारें नहीं थीं. उन्होंने कहा कि वहां सुविधाओं का निर्माण हो लेकिन वो अस्थायी हो ताकि किसान 11 साल उसका इस्तेमाल करें और किसान एक साल सिंहस्थ को दें. कुल मिलाकर किसानों के विरोध का मूल विषय यही है.
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लैंड पुलिंग योजना के तहत 50 फीसदी जमीन किसान या भू-मालिक के पास ही रहेगी. 50 प्रतिशत जमीन ली जाएगी. इसमें से 25 प्रतिशत जमीन पर रोड, वॉटर ड्रेन, सीवर, सेंटर लाइटिंग, वॉटर लाइन और अंडरग्राउंड बिजली की लाइन का निर्माण होगा. पांच फीसदी जमीन पर पार्क बनेगा. इसमें झूले, ओपन जिम, पाथवे, लॉन और प्लांट्स लगाए जाएंगे. पांच फीसदी जमीन पर जनता की सुविधा के लिए सुविधा केंद्र, पार्किंग, स्कूल, अस्पताल और बिजली के सब-स्टेशनों का निर्माण किया जाएगा. वहीं 15 फीसदी जमीन पर सिंहस्थ से जुड़े कार्य होंगे.
किसानों की मांग है कि लैंड पुलिंग योजना पूरी तरह से खत्म की जाए. किसी भी योजना के तहत अधिग्रहित जमीन का मुआवजा 2012 की गाइडलाइन में हर साल 20 फीसदी बढ़ाकर चार गुना दिया जाए. विकास के नाम पर करोड़ों रुपये की जमीनें 4-5 लाख रुपये बीघा के हिसाब से न छीनी जाएं. विक्रम नॉलेज सिटी योजना में चार गुना मुआवजा दिया जाए. इंदौर-उज्जैन ग्रीन फील्ड की हाइट कम रखी जाए और बड़ी-बड़ी रोटरी के नाम पर गैर-जरूरी जमीनें न छीनी जाएं. इसके अलावा किसानों की कुछ अन्य मांगें भी हैं, जिनको लेकर आज वे प्रदर्शन कर रहे हैं.





