

गांधी के गुजरात में बिन प्रियंका कांग्रेस अधिवेशन के मायने…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
महात्मा गांधी और सरदार वल्लभ भाई पटेल के गुजरात में प्रियंका वाड्रा गांधी को छुट्टी पर भेजकर कांग्रेस ने दो दिनी अधिवेशन में आरएसएस,भाजपा और मोदी सरकार को घेरते हुए हुंकार भरी। आश्चर्य की बात यह है कि जब प्रियंका गांधी की अनुपस्थिति पर सवाल हुआ तो जयराम रमेश ने सफाई दी कि प्रियंका छुट्टी पर हैं और 35 कार्यसमिति सदस्य छुट्टी पर हैं तो प्रियंका को लेकर कैसा आश्चर्य। शायद ही प्रियंका की 35 कार्यसमिति सदस्यों से तुलना करना जयराम रमेश के अलावा किसी और के गले उतर रहा हो। सीधा सा मतलब यही है कि कांग्रेस अभी भी प्रियंका को पार्टी का मुख्य चेहरा बनाने को मानसिक रूप से तैयार नहीं है। या फिर बदलाव की बात करने वाली कांग्रेस इस बात से डरी हुई है कि कहीं प्रियंका के मंच पर आने पर सोनिया का लाड़ला राहुल मंच से गायब न हो जाए। ऐसे में पहली बार की सांसद प्रियंका गांधी के खौफ से शायद गुजरात में कांग्रेस का 84वां अधिवेशन उनके बिना ही संपन्न हो गया। तो कांग्रेस वर्किंग कमेटी के साबरमती रिवरफ्रंट पर हो रहे मुख्य अधिवेशन में देशभर से 1700 से अधिक कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि शामिल हुए। अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और राहुल मौजूद रहे, लेकिन प्रियंका गांधी नहीं पहुंचीं। जिनकी उपस्थिति का इंतजार हर कांग्रेसी को था। और सांसद बनने के बाद प्रियंका गांधी का पहली सीडब्ल्यूसी बैठक में न पहुंचना वास्तव में उनके प्रशंसकों को बहुत अखर गया। रिवरफ्रंट पर हो रही इस वर्किंग कमेटी में भी फ्रंट पर प्रियंका नहीं आ पाईं।
और अब बात करें कांग्रेस अधिवेशन के दो दिवसीय महामेला की। तो एक बार यह महामेला फिर मोहब्बत और नफरत जैसे भावों के इर्द-गिर्द सिमटा नजर आता रहा।राहुल बोले कि वक्फ बिल संविधान पर हमला है और चेताया कि इसके बाद आरएसएस क्रिश्चियंस पर आक्रमण करेगी। अधिवेशन में मांग रही कि चुनाव बैलेट पेपर से होना चाहिए, ईवीएम से नहीं। मल्लिकार्जुन खड़गे ने ईवीएम पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार ने ऐसी तकनीक बनाई है, जिससे उन्हें फायदा हो और विपक्ष को नुकसान। उनका सुझाव है कि चुनाव बैलेट पेपर से होना चाहिए, ईवीएम से नहीं। आरोप लगाया कि नेहरू ने जो बनाया, उसे मोदी खत्म करना चाहते हैं।
अधिवेशन के दूसरे दिन की शुरुआत झंडावंदन के साथ हुई। इसके बाद पार्टी अध्यक्ष खड़गे ने कार्यक्रम को संबोधित किया। उन्होंने कहा- नरेंद्र मोदी एक-एक करके सार्वजनिक क्षेत्र को बेचकर अपने दोस्तों को दे रहे हैं और देश को बेचकर चले जाएंगे। जवाहरलाल नेहरू ने जो बनाया, उसे मोदी खत्म करना चाहते हैं, जबकि सरकार अपने उद्योगपति मित्रों को फायदा पहुंचा रही है। वे सिर्फ कांग्रेस को गालियां देते हैं, इसके अलावा कोई बात नहीं करते। तो राहुल बोले कि जिलाध्यक्षों को संगठन की नींव बनाएंगे। डिस्ट्रिक्ट कमेटी और डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट को हम पार्टी की फाउंडेशन बनाने जा रहे हैं। आप सभी को लड़ना है। ये आसान नहीं है। उनके पास धन हैं, देश के सारे इंस्टीट्यूशंस हैं। उनके पास सब कुछ है, लेकिन जीत हमारी होगी, हमारे साथ जनता का प्यार है। आप देखिएगा कि आने वाले समय में जनता उनके साथ क्या करने जा रही है। तो यही माना जा सकता है कि राहुल का भरोसा अच्छा है।
तो राहुल यह भी बोले कि हमारे मन में सबके लिए रिस्पेक्ट है। आपके लिए चाहे दलित, आदिवासी, पिछड़े, महिला चाहे कोई भी हो, आप सभी की रिस्पेक्ट करते हैं। उनके मन में सबके लिए नफरत भरी हुई है। लड़ाई इसी बात की है। हमारे लिए सभी लोग इंसान हैं। हम सभी से मोहब्बत करते हैं। उनके लिए रिस्पेक्ट के मायने अलग हैं। कोई दलित है, उसे मंदिर में नहीं जाना चाहिए। दलित को मंदिर नहीं जाना चाहिए। कोई गरीब किसान के बेटा है तो उसे अंग्रेजी नहीं सीखनी चाहिए। हम ऐसा नहीं होने देंगे। तो संग्राम की थीम वही नफरत-मौहब्बत पर आकर टिक गई।
बाकी वही आरएसएस, मुस्लिम, क्रिस्चियन, सिख, वक्फ संशोधन, अडाणी-अंबानी, संस्थाओं पर आक्रमण,जाति जनगणना और संविधान जैसी पुरानी बातें नए वैल्यू एडीशन सहित परोसी गईं। पर राहुल की यह उम्मीद बढ़िया है कि जिस पार्टी के पास विचारधारा, क्लैरिटी नहीं है, वो बीजेपी-आरएसएस के सामने खड़ी नहीं हो सकती। जिसके पास विचारधारा है, वही बीजेपी-आरएसएस के सामने खड़ी हो सकती है, वही उन्हें हराएगी।
तो दलित, ओबीसी, माइनॉरिटी की भागीदारी वाली बात हुई। शायद इसी फार्मूला से कांग्रेस को उम्मीद है कि बदलाव आने वाला है, जिसका प्रमाण बिहार के चुनाव में मिलने वाला है।
अधिवेशन की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकर्जुन खड़गे ने अपने संबोधन में कहा कि 140 वर्षों में 86 अधिवेशन हुए, जिनमें से 6 गुजरात में हुए। अहमदाबाद में भी 3 सत्र आयोजित किए गए। अहमदाबाद हमारे लिए तीर्थ स्थान है। यहां साबरमती आश्रम और सरदार स्मारक है। यह सत्र गांधीजी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने की शताब्दी का प्रतीक है और सरदार की 150वीं जयंती को समर्पित है। तो फिर वही बात कि कांग्रेस का मोदी-शाह के राज्य गुजरात के अहमदाबाद में संपन्न दो दिवसीय अधिवेशन भले ही भरा-भरा दिखा हो, लेकिन बिना प्रियंका के यह खाली-खाली ही नजर आता रहा। और प्रियंका के बिना शायद कांग्रेस को भी उपलब्धियों की उम्मीद खाली-खाली नजर आएगी…।