Mediawala Special आश्चर्यजनक किन्तु सत्य : जब डॉक्टर को खुद ही अपना ऑपरेशन करना पड़ा

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इतिहास में ऐसे बिरले ही किस्से हैं जब विषम परिस्थितियों में किसी डॉक्टर को खुद अपना ही ऑपरेशन करना पड़ा हो।

बात 1960 की है।27 वर्षीय सर्जन लियोनिद रोगोज़ोव अंटार्कटिक अनुसंधान दल के साथ विशेष अभियान पर गए थे। टीम में उनके चयन का आधार उनका प्रशिक्षित डॉक्टर होना था।इस कारण लियोनिद रोगोज़ोव टीम में एकमात्र चिकित्सक थे।

अभियान के दौरान ही अचानक एक दिन उनके पेट के निचले दाहिने भाग तेज दर्द होने लगा और साथ में तेज बुखार भी था।डॉक्टर होने के नाते लियोनिद रोगोज़ोव ने खुद ही अपनी जरूरी क्लीनिकल जांच की तो पता चला कि यह दर्द अपेंडिसाइटिस का है।

दर्द इतना असहनीय था कि उन्हें इलाज के लिए अस्पताल भी लेजाना संभव नहीं था।भीषण दर्द और अस्पताल तक न ले जाने की मजबूरी के बीच डॉक्टर लियोनिद रोगोज़ोव ने खुद ही अपना ऑपरेशन करने का इरादा जताया तो टीम के लोग सुनकर हतप्रभ रह गए।
डॉक्टर लियोनिद रोगोज़ोव ने सावधानीपूर्वक पूरी योजना बनाई कि इस ऑपरेशन को अपने दम पर कैसे किया जाए और अपने दो साथियों को अपना सहायक बनाया।

सामान्य एनेस्थीसिया संभव नहीं था और उसे केवल पेट की दीवार में स्थानीय एनेस्थीसिया के तौर पर नोवोकेन का इंजेक्शन लगाया गया।

डॉक्टर लियोनिद रोगोज़ोव बताते हैं कि “ऑपरेशन के दौरान बहुत खून बह रहा था, लेकिन मैंने दबाया, पेरिटोनियम खोला, पर हाथ हिलने के कारण गलती से अपेंडिक्स क्षतिग्रस्त हो गया और इसे भी ठीक करना एक चुनौती थी।खून बहने के कारण चक्कर आ रहे थे और हर पांच मिनट में मुझे 20-25 सेकंड के लिए आराम करना पड़ा”।

“थोड़ी देर बाद ही एपेंडिक्स के पिछले हिस्से में काले धब्बे देखे, जिसका मतलब था कि एक आध दिन में यहां भी छेद हो सकता था”।

लेकिन डॉक्टर लियोनिद रोगोज़ोव ने हिम्मत नहीं हारी और दो घंटे बाद आखिरकार आखिरी टांके लगाकर ऑपरेशन पूरा किया।

एंटीबायोटिक्स और नींद की गोलियां लेने के बाद, वे गहरी नींद में सो गए… और दो हफ्ते में घाव भरने के बाद वे अपनी नौकरी पर वापस आ गए । चिकित्सीय जगत में इस ऑपरेशन को आज भी अजूबा माना जाता है और डॉक्टर लियोनिद रोगोज़ोव की हिम्मत व दिलेरी का उदाहरण दिया जाता है।