Medical Humanities Award : इंदौर में शनिवार को समारोह का आयोजन,  तीसरे वर्ष का पुरस्कार बेंगलुरु के नारायण कृष्णप्पा को

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Indore : शासकीय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सभागृह में शनिवार 27 नवंबर को मेडिकल एजुकेशन में वैज्ञानिक शोध और मानविकी (ह्यूमेटेरियन अर्थात कला संकाय) पर दो पुरस्कार दिए जाएंगे। पौराणिक एकेडमी ऑफ़ मेडिकल एजुकेशन के निदेशक न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अपूर्व पौराणिक और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की इंदौर शाखा के अध्यक्ष डॉ. सुमित शुक्ला ने यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि ‘राष्ट्रीय वार्षिक चिकित्सा मानविकी पुरस्कार 2021’ (तृतीय वर्ष) ‘National Annual Medical Humanities Awards 2021’ (3rd Year) के लिए श्री सिद्धार्थ इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, बेंगलुरू में फार्मेकोलॉजी विभाग के प्राध्यापक और लाइफ स्टाइल कंसलटेंट नारायण कृष्णप्पा (Narayan Krishnappa) का चयन एक राष्ट्रीय स्तर की समिति ने किया है। पिछले वर्ष की विजेता डॉ. श्रीमती उपरीत धालीवाल (प्राध्यापक नेत्र विहार, यूनिवर्सिटी मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली) इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि होंगी।

इंदौर नगर में रहकर पिछले 3 वर्षों में प्रकाशित श्रेष्ठ मेडिकल पेपर्स के विजेताओं (Winners of Best Medical Papers) को भी पुरस्कृत किया जाएगा। ये दोनों अवॉर्ड डॉ. अपूर्व पौराणिक द्वारा मेडिकल कॉलेज से उनकी सेवानिवृत्ति के अवसर पर घोषित किए गए थे। इस आयोजन का बार यह तीसरा वर्ष है। मेडिकल एजुकेशन और प्रैक्टिस में कला, आर्ट्स, मानविकी के सब्जेक्ट का थोड़ा-बहुत समावेश देश-विदेश में अनेक चिकित्सा महाविद्यालयों में किया जा रहा है। यह कार्य बहुत पहले ही बड़े स्तर पर हो जाना चाहिए था। इसके पीछे उम्मीद यह है, कि ऐसी शिक्षा से डॉक्टर बेहतर भूमिका निभाएंगे और उनमें मानवीय संवेदनाओं को बढ़ावा मिलेगा। भारत में इस कार्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने और प्रोत्साहित करने के लिए चिकित्सा मानविकी पुरस्कार (Medical Humanities Award) शुरू किए गए हैं।

डॉ. अपूर्व पौराणिक और डॉ. सुमित शुक्ला (Dr. Apoorva Puranic and Dr. Sumit Shukla) ने बताया कि शोध या रिसर्च करना तथा उस पर आधारित प्रपत्र को मान्यता प्राप्त प्रतिष्ठित जर्नल में प्रकाशित करवा पाना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। इंदौर और मध्यप्रदेश के चिकित्सक क्षेत्र में अग्रणी नहीं हैं। लेकिन, कुछ डॉक्टर जो अच्छा काम कर रहे हैं, उन्हें प्रोत्साहन देने से अन्य शोधकर्ताओं को प्रेरणा मिले इस उद्देश्य से दूसरा पुरस्कार स्थापित किया गया है।