हिंदी में मेडिकल पढ़ाई से खुली क्षेत्रीय भाषाई संवेदनाओं की खिड़कियां

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हिंदी में मेडिकल पढ़ाई से खुली क्षेत्रीय भाषाई संवेदनाओं की खिड़कियां

इटारसी। केंद्र सरकार की संसदीय समिति की अनुशंसा से प्रदेश सरकार द्वारा हिंदी भाषा में मेडिकल के पाठ्यक्रम के कल भोपाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा होने वाले शुभारंभ की पूर्व बेला में आज शासकीय कन्या महाविद्यालय, इटारसी में हिन्‍दी विमर्श संगोष्ठी के अंतर्गत हिंदी में ज्ञान का प्रकाश विषय पर हिंदी के तीन विद्वानों द्वारा इस संदर्भ में अपने चिंतन के आयामों से महाविद्यालय के प्राध्यापकों व छात्राओं को मेडिकल व अन्य तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई हिंदी में कराने की सरकारों की सुखद मंशा व बहु प्रतीक्षित राजनीतिक इच्छाशक्ति के साथ जुड़कर अपना कैरियर बनाने के लिए प्रेरित किया गया। इस संगोष्ठी में वरिष्ठ हिंदी कवि बृज किशोर पटेल, वरिष्ठ गीतकार राम किशोर नाविक एवं वरिष्ठ पत्रकार,लेखक व समीक्षक चंद्रकांत अग्रवाल अतिथि वक्ता के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथि त्रय द्वारा मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, माल्यार्पण एवं पूजन से किया गया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. आर. एस. मेहरा ने कार्यक्रम की प्रासंगिकता बताते हुए कहा कि अब मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में संभव होगी। हिंदी भाषी शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों एवं हिंदी माध्‍यम में पढ़ने वाले छात्र छात्राओं के लिए मेडिकल की पढ़ाई आसान हो जाएगी। ब्रजकिशोर पटेल ने बताया कि अब हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई होने से भाषा की अज्ञानता से जो रुकावटें थी, वह दूर होंगी। अब विद्यार्थी बेमन से नहीं, बल्कि आनंद के साथ अपनी प्रिय भाषा में अध्ययन कर पाएंगे।हिंदी मध्यम से पढ़ाई कर अब चिकित्सक पहले से अधिक कारगर ढंग से मरीजों की तकलीफों को समझ पाएंगे व समझा भी सकेंगे। रामकिशोर नाविक ने अपने व्यक्तिगत अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि पूर्व में छात्र-छात्राओं को भाषा के कारण चिकित्सीय अध्ययन में जो परेशानियां आई हैं, वे अब दूर होंगी,हालांकि यह बहुत आसान भी नहीं होगा। पर मेहनत करने पर इसका लाभ पूरे समाज को मिलेगा। चंद्रकांत अग्रवाल ने कहा कि भाषा को लेकर हिंदी माध्यम के छात्र छात्राओं में जो असुरक्षा व भय है, उसे अब उन सबको अपने दिलोदिमाग से निकालना होगा। हिंदी भाषा के लिए अब मेडिकल व अन्य उच्च स्तरीय तकनीकी शिक्षा की इमारत की खिड़कियां खुल रहीं हैं जिससे केवल ज्ञान का प्रकाश आना तय है। उन्होंने कहा कि यह सत्य तो मेडिकल साइंस भी मानती है कि अपने परिवेश की भाषा में पढ़ाई करने से विषय व तकनीकी शिक्षा को अधिक बेहतर ढंग से आत्मसात किया जा सकता है। फ्रांस,चीन आदि देशों में विगत कई सालों से स्थानीय भाषाओं में तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई हो रही है,जिसकी विश्व स्तरीय सफलताओं के विषय में सब जानते भी हैं।

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कार्यक्रम का संचालन कर रहे डॉ. शिरीष परसाई ने कहा कि हिंदी भाषा में अध्ययन की सुविधा होने पर छात्र-छात्राओं में पुस्तकीय ज्ञान के साथ-साथ विषय संबंधी नए विचार निर्मित होंगे जो अनुसंधान एवं शोध के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। कार्यक्रम के अंत में आभार प्रदर्शित करते हुए डॉ. संजय आर्य ने कहा कि तकनीकी शब्दों को बिना छेड़े, हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई होने से हिंदी भाषी विद्यार्थी भी अब ज्ञान के स्तर पर विश्व पटल पर भी सफल होंगे। उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय से करीब 200 छात्राएं कल भोपाल में आयोजित हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई से संबंधित सेमिनार में भी शामिल होंगी। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राध्यापक डॉ. हरप्रीत रंधावा, श्रीमती मंजरी अवस्थी, अमित कुमार, रविंद्र चौरसिया, स्नेहांशु सिंह, श्रीमती पूनम साहू, डॉ. नेहा सिकरवार, कु. प्रिया कलोसिया, कु.रश्मि मेहरा, कु. क्षमा वर्मा, तरुणा तिवारी, एवं बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थीं।