Meghdoot Upvan Scam : मेघदूत उपवन घोटाले में सूरज कैरो समेत 9 को कोर्ट ने सजा सुनाई!

निगम को 33,60,322 रुपए का नुकसान, उसका लाभ ठेकेदार को मिला!

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Indore : विशेष अदालत ने मेघदूत उपवन घोटाला मामले में एमआईसी के पूर्व मेंबर सूरज केरो सहित 9 लोगों को 3- 3 साल की सजा सुनाई। नगर निगम के तत्कालीन पार्षद छोटू शुक्ला ने फरवरी 2003 में शिकायत की थी, कि तत्कालीन महापौर एवं परिषद के सदस्यों ने पूर्ण रूप से विकसित मेघदूत उद्यान के सौंदर्यीकरण एवं विकास के नाम पर 2.50 करोड़ रुपए की योजना बनाकर बगैर शासन की अनुमति के षडयंत्र पूर्वक छोटे-छोटे प्रस्ताव बनाकर अलग-अलग कार्य अलग-अलग व्यक्तियों से करवाकर लाखों रुपए का भ्रष्टाचार किया।

लोकायुक्त ने शिकायत की प्राथमिक जांच के बाद अपराध पंजीयन किया जाकर जांच की। पाया गया कि निगम को 33 लाख 60 हज़ार 322 रुपए की क्षति पहुंचाई गई। इस मामले में सुरेश कुमार जैन तत्कालीन सहायक शिल्पज्ञ, अमानुल्लाह खान तत्कालीन उद्यान अधीक्षक, राजेंद्र सोनी तत्कालीन पार्षद, केशव पंडित ठेकेदार मेघदूत कारपोरेशन, सूरज केरो तत्कालीन पार्षद और एमआईसी सदस्य, विद्यानिधि श्रीवास्तव तत्कालीन सीनियर ऑडिटर, ऋषि प्रसाद गौतम तत्कालीन सहायक संचालक, कैलाश यादव तत्कालीन पार्षद, जगदीश डगांवकर तत्कालीन नगर शिल्पज्ञ को आरोपी बनाया गया।

आरोपियों के विरुद्ध अभियोग पत्र विशेष कोर्ट में प्रस्तुत किया गया। कोर्ट ने आज 31 जनवरी 2023 को निर्णय पारित करते हुए सभी आरोपियों को प्रत्येक धारा में 3 साल का सश्रम कारावास एवं प्रत्येक धारा में अलग से 5000 रू के अर्थदंड से दंडित किया। लोकायुक्त की और से अभियोजन का संचालन आशीष कुमार खरे ने किया।

कोर्ट ने माना कि आरोपियों की मिलीभगत से नगर निगम को 33 लाख 60 हजार 322 रुपए की आर्थिक क्षति हुई और उसका अवैध लाभ ठेकेदार को मिला।

ये रहे घोटालों के मुख्य सूत्रधार

● एयू खान : निगम में उद्यान अधिकारी व मूल्यांकन समिति के सदस्य थे। उच्चतम निविदा का प्रस्ताव स्वीकृत करने की अनुशंसा करने के बजाय द्वितीय उच्चतम निविदा प्रस्ताव स्वीकृत करने की अनुशंसा की।
● विद्यानिधि श्रीवास्तव : निगम में सीनियर ऑडिटर थे। ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के लिए आपत्तियों का निराकरण नहीं किया।
● ऋषिप्रसाद गौतम : निगम में सहायक संचालक स्थानीय निधि संपरीक्षा थे। आरोपियों को पूरा सहयोग किया।
● केशव पंडित उर्फ केशव तिवारी : ठेकेदार था। अफसरों से मिलकर दस्तावेजों की कूटरचना की।
● अशोक बैजल : निगम में कार्यपालन यंत्री थे। इंदौर मेघदूत कॉर्पोरेशन को सहयोग करते हुए कूटरचित दस्तावेज को असल बताकर निविदा शर्तों में परिवर्तन करने में सहयोग किया।
● जगदीश डगांवकर : सिटी इंजीनियर के साथ ही मूल्यांकन समिति के सदस्य थे। नियमावली के विपरीत कूटरचित दस्तावेजों का असल दस्तावेज में उपयोग किया।
● सुरेशकुमार जैन : कार्यपालन यंत्री थे। पद का दुरुपयोग कर निविदा शर्तों में परिवर्तन किया।
● सूरज कैरो : एमआईसी सदस्य के रूप में पद का दुरुपयोग करते हुए समायोजन समिति के प्रावधानों के विपरीत दस्तावेजों की कूटरचना में सहयोग किया। वसूली योग्य राशि वसूलने के बजाय विभिन्न मदों में देनदारी स्वीकृत की। राशि की गलत गणना की।
● पूर्व पार्षद कैलाश यादव : पार्षद के साथ ही समायोजन समिति के सदस्य थे। पद का दुरुपयोग करते हुए ठेकेदार के पक्ष में राशि समायोजित कराई।
● पूर्व पार्षद राजेंद्र सोनी : पार्षद के साथ समायोजन समिति के सदस्य थे। कूट रचित दस्तावेजों का उपयोग करने में सहयोग किया।

ऐसे की लाखों की गड़बड़ी

निगम को पांच लाख 66 हजार 771 रुपए ठेकेदार से लेना थे। पर, आरोपियों ने यह वसूली नहीं की। साथ ही 27 लाख 93 हजार 551 रुपए का भुगतान ठेकेदार को कर दिया। इस तरह कुल 33 लाख 60 हजार 322 रुपए का नुकसान निगम को पहुंचा।

यह था घोटाले का मामला

निगम ने मेघदूत गार्डन के सौंदर्यीकरण के लिए ढाई करोड़ रुपए की योजना बनाई थी। निगम के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष छोटू शुक्ला ने लोकायुक्त पुलिस में शिकायत की थी कि वर्ष 2003 में सौंदर्यीकरण का ठेका देने के बाद तत्कालीन पार्षदों और अफसरों ने ठेकेदार केशव पंडित उर्फ केशव तिवारी से मिलकर गड़बड़ी की और निगम को लाखों का नुकसान पहुंचाया। लोकायुक्त पुलिस ने जांच के बाद 5 जून 2008 को कैरो सहित 10 आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम, षड्यंत्र रचने और धोखाधड़ी की धाराओं में प्रकरण दर्ज किया। घटना के समय कैरो पार्षद के साथ ही राजस्व समिति प्रभारी थे। अनुसंधान के बाद लोकायुक्त पुलिस ने 22 जून 2015 को जिला कोर्ट में चालान पेश कर कहा कि आरोपियों ने झूठे दस्तावेज के जरिए निगम को 33 लाख 60 हजार 322 रुपए का आर्थिक नुकसान पहुंचाया।