Memoirs: डॉ हिमानी का पूर्वभास  

446

Memoirs: डॉ हिमानी का पूर्वभास  

– एन के त्रिपाठी

जनवरी, 2016 को मैं पूर्वी मिदनापुर, पश्चिम बंगाल में प्रात: मॉर्निंग वॉक के बाद धूप में टहल रहा था। मोबाइल पर मेरे मित्र श्री सुरेश भदौरिया का फ़ोन आया और उन्होंने सीधे कहा कि सरकार ने आपको वाइस चांसलर नहीं बनाया है, अब मैं आपको अपनी यूनिवर्सिटी में वाइस चांसलर बनाऊँगा। मैंने उन्हें मना किया, परंतु उन्होंने बहुत बल पूर्वक आग्रह किया। 3 मई, 2016 को मैंने मालवांचल यूनिवर्सिटी के प्रथम वाइस चांसलर का पद ग्रहण कर लिया। श्री भदौरिया जी के पहले से ही कार्यरत मेडिकल कॉलेज, डेंटल कॉलेज तथा नर्सिंग कॉलेज अब नई यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आ गये।

IMG 20241201 WA0011

प्रारंभ में मेरा कार्यालय हॉस्पिटल के एक छोटे से भाग में था। रजिस्ट्रार क्रिस्टोफर, कंट्रोलर इक्ज़ाम साधो एवं इंरोलमेंट इंचार्ज रीटा के अतिरिक्त कुछ ही और कर्मचारी थे। शेष अन्य कार्यों जैसे एकेडमिक सेक्शन इत्यादि के लिये डेंटल कॉलेज की डिपार्टमेंट ऑफ़ मैक्सिलोफेशियल पैथोलॉजी में रीडर डॉक्टर हिमानी सुखीजा को असिस्टेंट रजिस्ट्रार का अतिरिक्त प्रभार यूनिवर्सटी कार्यालय में दिया गया। मैं भोपाल में रहता था तथा प्रत्येक सप्ताह दो या तीन दिन के लिए इंदौर जाता था। यूनिवर्सटी को भलीभाँति स्थापित करने का मुख्य कार्य मेरा और रजिस्ट्रार का ही था। पहले एक वर्ष डॉ हिमानी का कोई काम मुझसे नहीं पड़ा और न हीं मैंने उन्हें देखा था।

2017 के वर्षाकाल के बाद यूनिवर्सिटी ऑफ़िस कैंपस में ही बने नए भवन में आ गया। धीरे-धीरे काम बढ़ने लगा और डॉक्टर हिमानी के महत्वपूर्ण कार्य अन्य कई असिस्टेंट रजिस्ट्रार को बाँट दिए गये। डॉक्टर हिमानी को यूनिवर्सटी की वेबसाइट के निर्माण और संधारण का काम दिया गया। यूनिवर्सटी को राज्य सरकार की मान्यता प्राप्त थी, परन्तु UGC की मान्यता लेना आवश्यक था। UGC के इंस्पेक्शन के लिए ज़ोर शोर से तैयारियां प्रारंभ हो गई और डॉक्टर हिमानी को मैंने इंस्पेक्शन टीम के समक्ष प्रस्तुत किए जाने वाला प्रजेंटेशन तैयार करने का काम दिया। हम दोनों ने प्रजेंटेशन तैयार किया और मार्च 2018 में इंस्पेक्शन टीम के समक्ष डॉक्टर हिमानी ने बहुत अच्छा प्रजेंटेशन प्रस्तुत किया।UGC की मान्यता प्राप्त हो गई।

डॉक्टर हिमानी एक आकर्षक व्यक्तित्व की महिला थी। वे अंग्रेज़ी अच्छी बोल और लिख लेती थी। वे अधिकांश समय गंभीर रहती थी और अपने सहयोगियों से उनके कोई विशेष संबंध नहीं थे। यूनिवर्सिटी के अन्य अधिकारियों के साथ उनकी कोई अनावश्यक बातचीत नहीं होती थी। लोगों को तो उनकी योग्यता पर भी संदेह था। टीम में कार्य करने के लिए उसका व्यक्तित्व नहीं बना था। डॉक्टर हिमानी की स्कूली शिक्षा बंगलोर के अच्छे स्कूलों में हुई थी।डेंटल साइंस में उन्होंने अपने स्पेशलाइजेशन में पोस्ट ग्रेजुएशन चेन्नई से किया था। प्रारंभिक काल में वे लखनऊ में प्राइवेट डेंटल कॉलेज में लेक्चरर थी। 2013 में वे इंडेक्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ डेंटल साइंस में आ गई। यह कॉलेज मालवांचल का भाग बन गया। कोविड-19 काल में उन्होंने मुझे भोपाल से इंदौर में यूनिवर्सिटी के अधिकारियों के साथ अनेक ज़ूम मीटिंग आयोजित करने में काफ़ी सहायता की।एक बार मैनेजमेंट द्वारा उन्हें इंडिया टूडे मैगज़ीन की यूनिवर्सिटी ग्रेडिंग के लिए प्रोफार्मा भर कर शीघ्र भेजने के लिए कहा। इसके लिए उन्हें विभिन्न कॉलेजों और विभागों से जानकारी प्राप्त करने में सहयोग नहीं मिल पा रहा था और वे बहुत परेशान हो रही थी। उनकी परेशानी देखकर मैंने उनके साथ तीन घंटे में वह प्रोफार्मा भरवाकर भिजवा दिया और अच्छी ग्रेडिंग भी प्राप्त हो गई।

डॉक्टर हिमानी अपने बारे में कोई बात नहीं करती थीं। वह अपने माता पिता के साथ रहती थी। वह यह अवश्य बताती थी कि उसे इम्यूनिटी की समस्या है। इसके कारण वे तेज चलने में हांफने लगती थी तथा अक्सर बीमार पड़ जाती थी। दिसंबर 2021 में मुझे उसके अंदर कुछ परिवर्तन दिखाई दिया। वह मेरे समक्ष एकाकी डॉक्टर से एक सरल महिला बन रहीं थीं। उन्होंने अपने बचपन और विवाह के बारे में भी बताना शुरू कर दिया था। अपने पति के बारे में तथा उससे अलग होने के बारे में भी मुझे बताया। उसके कोई बच्चे भी नहीं थे। दिसंबर के अंत में एक दिन उसने अपने दाहिने हाथ की एक उंगली मुझे छूने के लिए दी। वह उंगली बिलकुल ठंडी थी। फिर बग़ल की ऊँगली छूने के लिए कहा जो सामान्य रूप से गर्म थी। उसने कहा कि प्रभावित उंगली में रक्तसंचार नहीं हो रहा है और मैं कुछ दवाएँ ले रहीं हूँ। अगले सप्ताह उसने बताया कि उसने कुछ और इंजेक्शन लिए हैं। उसके फिर एक सप्ताह बाद पता चला कि डेंटल कॉलेज में उसकी तबियत बिगड़ जाने के बाद वह कॉलेज से सीधे मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती हो गई। उसे सिस्टमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस की दुर्लभ और गंभीर बीमारी थी, जो केवल 45 वर्ष से कम की महिलाओं को होती है। दिनांक 13 जनवरी 2022 को जब सुबह क़रीब 11 बजे मैं इंदौर में प्रवेश कर रहा था तो पता चला कि डॉक्टर हिमानी का मेदांता अस्पताल में ही सात- आठ दिन के इलाज के बाद 47 वर्ष की आयु में निधन हो गया।शहर में थोड़ा अंदर गया ही था कि यह समाचार मिला कि विजय नगर मुक्तिधाम में उसका अंतिम संस्कार चल रहा है।

डेंटल कॉलेज के मुख्य लेक्चर हॉल का नाम डॉक्टर हिमानी सुखीजा के नाम पर रख दिया गया। कॉलेज में उसकी फ़ोटो सहित उसके ऊपर लिखी कुछ पंक्तियों के साथ एक बोर्ड लगा दिया गया।