Memorable Decisions of CJI : वे ऐतिहासिक फैसले जिनके लिए हमेशा याद किए जाएंगे CJI चंद्रचूड़!

इलेक्टोरल बॉन्ड, धारा 370, हिंडनबर्ग विवाद और मणिपुर यौन उत्पीड़न मामला उनके ही फैसले!  

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Memorable Decisions of CJI : वे ऐतिहासिक फैसले जिनके लिए हमेशा याद किए जाएंगे CJI चंद्रचूड़!

New Delhi : सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ का शुक्रवार को आखिरी वर्किंग डे था। लेकिन, वे आज 10 नवंबर को औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त हो रहे हैं। अपने दो साल के कार्यकाल में उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने के तरीके को वैध करार देने से लेकर इलेक्टोरल बॉन्ड को रद्द करने तक कई ऐतिहासिक फैसले लिए। नजर डालते हैं उनके द्वारा लिए कुछ अहम फैसलों पर।

अडानी-हिंडनबर्ग विवाद   सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने अडानी-हिंडनबर्ग विवाद में जांच के लिए कोई एसआईटी या विशेषज्ञों का समूह बनाने से इन्कार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि किसी तीसरे पक्ष के संगठनों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट को निर्णायक प्रमाण नहीं माना जा सकता है।

मणिपुर यौन उत्पीड़न मामला

मणिपुर महिला यौन हिंसा से जुड़े वीडियो के प्रसारित होने के बाद सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए तीन महिला न्यायाधीशों वाली एक समिति का गठन किया था, जिसे महिलाओं के खिलाफ हिंसा से संबंधित जानकारी एकत्र करने का काम सौंपा गया था।

अनुच्छेद 370 को हटाना वैध

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाए के केंद्र सरकार के फैसले को वैध करार दिया था। इसे 2019 में भारत की संसद द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने के फैसले को संवैधानिक तौर पर स्वीकृति के रूप में देखा गया था।

इलेक्टोरल बांड को रद्द किया 

सीजेआई की अध्यक्षता में पांच न्यायाधीशों की पीठ ने इलेक्टोरल बॉन्ड को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। पीठ ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) को चुनावी बॉन्ड जारी करने पर तुरंत रोक लगाने के साथ चुनाव आयोग (ईसीआई) को अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर राजनीतिक बॉन्ड का विवरण प्रकाशित करने का भी आदेश दिया था।

जेलों में भेदभाव पर रोक

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में तीन न्यायाधीशों की पीठ ने भारत में जेलों के भीतर जाति-आधारित भेदभाव को असंवैधानिक करार देते हुए जेल मैनुअल को तुरंत संशोधित करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने माना था कि जाति-आधारित काम का आवंटन संविधान का उल्लंघन है।

बाल विवाह के मामले पर दिशा-निर्देश

देश में बाल विवाह में वृद्धि का आरोप लगाने वाली जनहित याचिका पर फैसला सुनाते हुए सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई निर्देश जारी किए थे।

नागरिकता कानून की धारा 6ए वैध करार दिया 

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने 4-1 के बहुमत के फैसले में नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा था। धारा 6ए, बांग्लादेश से असम आए प्रवासियों की नागरिकता से जुड़ी है।

दोबारा नीट-यूजी परीक्षा की अनुमति से इनकार

सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने ने नीट-यूजी 2024 परीक्षा को रद्द करने या दोबारा कराने से इन्कार कर दिया था। सीजेआई ने कहा था कि ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जिसके आधार पर ये निष्कर्ष निकाला जा सके कि परीक्षा के रिजल्ट में गड़बड़ी हुई है, या व्यवस्था फेल हो गई है।

सांसदों-विधायकों के खिलाफ मामले

सीजेआई चंद्रचूड़ ने देश के सभी उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को निर्देश दिया था कि वे सांसदों और विधायकों के लिए खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों के तेज निस्तारण की निगरानी के लिए स्वत: संज्ञान मामले दर्ज करें।