संस्कृत भाषा की अनिवार्यता के लिए शिक्षामंत्री को सौपा ज्ञापन!

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संस्कृत भाषा की अनिवार्यता के लिए शिक्षामंत्री को सौपा ज्ञापन!

 

उज्जैन से डॉ दिनेश चौबे की रिपोर्ट

Bhopal : कक्षा 9वी से 12वीं तक संस्कृत भाषा की अनिवार्यता को लेकर मध्य प्रदेश संस्कृत शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. क्षत्रवीर सिंह राठौर एवं विभिन्न जिलों से आए जिला संस्कृत प्रकोष्ठ प्रभारी एवं संस्कृत शिक्षकों ने भोपाल में शिक्षामंत्री उदय प्रताप सिंह को संस्कृत भाषा की अनिवार्यता को लेकर ज्ञापन सौपा। क्षत्रवीर सिंह राठौर ने कहा संस्कृतभाषा भारतवर्ष की गौरवमयी देववाणी तथा सभी भाषाओं की जननी है। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में त्रिभाषासूत्र और बहुभाषिकता की चर्चा दृढ़ता के साथ की गई है। और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के लिए भी संस्कृतभाषा अति आवश्यक है। यह चिंतनीय विषय है कि व्यावसायिक शिक्षा को त्रिभाषा के विकल्प में विद्यालयी शिक्षा में लागू किया गया है जो प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से त्रिभाषा नीति के लिए हानिकारक है। विद्यालय स्तर पर संस्कृत भाषा के स्थान पर व्यावसायिक शिक्षा को महत्व दिया जा रहा है।

 

छात्र हित के लिए व्यवसायिक शिक्षा भी आवश्यक है परंतु भारत की आत्मा कहीं जाने वाली संस्कृत के स्थान पर देना उचित नहीं है। भारतीय ज्ञान परंपरा और वैश्विक स्तर पर देश की प्रतिष्ठा की परिचायिका संस्कृतभाषा आज संपूर्ण विश्व में पढ़ाई जा रही है। सभी भाषाओं की जननी संस्कृतभाषा का स्थान आज व्यावसायिक शिक्षा को दिया जा रहा है जो की नवीन शिक्षानीति 2020 के नियमों का उल्लंघन है। इसमें सुधार हेतु कक्षा 9वीं से 12वीं तक संस्कृतभाषा को अनिवार्य करते हुए व्यावसायिक शिक्षा को सातवें विषय के रूप में स्थान दिया जाए ताकि संस्कृतभाषा का संरक्षण व संवर्धन हो सके इस हेतु प्रदेश के हर जिले से आए संस्कृत शिक्षकों ने शालेय शिक्षामंत्री जी को ज्ञापन सौंपा। हरियाणा बोर्ड और दिल्ली बोर्ड में संस्कृत विषय को अनिवार्य विषय के रूप में स्थान दिया गया है उसी प्रकार प्रदेश में भी विद्यालयी शिक्षाविभाग में संस्कृत को अनिवार्य भाषा के रूप में स्थान दिया जाए। भोपाल, हरदा, नर्मदापुरम, देवास, सीहोर, जबलपुर, उज्जैन, विदिशा, आगरमालवा एवं समस्त जिलों के जिला संस्कृत प्रकोष्ठ प्रभारी एवं संस्कृत शिक्षकों ने मंत्री से संस्कृतभाषा को वैकल्पिक नहीं अपितु अनिवार्य भाषा के रूप में स्थान देने तथा कक्षा 1 से कक्षा 12वीं तक संस्कृत को अनिवार्य किए जाने हेतु निवेदन किया।

 

ज्ञापन सौंपने वालों में मुख्य रूप से हेमलता अग्रवाल, अरुण शर्मा, डॉ. मनीषा सोनी, कृष्णकांत शर्मा, विक्रम देव, संजय, सुभाष कुमावत, अवध नारायण , मुकेश चंद्रभाला, गोविंद मिश्रा, शुभम जैन, दीपक तिवारी, अरुण दुबे, मंजूला वर्मा, दिनेश कुमार शुक्ला थे!