Memories : Govind Malu – उनके जैसी बेजोड़ राजनीति और मीडिया मैनेजमेंट का जोड़ मुश्किल!
भाजपा की राजनीति में जिन नेताओं को सुलझा हुआ, परिपक्व और तार्किक नेता माना जाता है गोविंद मालू उनमें एक थे। वे राजनीति करते थे, मीडिया और भाजपा के बीच सेतु का काम करते थे और पार्टी के पक्ष में ऐसे टिप्पणीकार थे, जिसकी काट मिलना आसान नहीं है। उनका असमय जाना भाजपा के अलावा मीडिया के साथियों के लिए भी झटका है। उनकी टिप्पणियां और बयान दूसरे नेताओं की तरह हवाबाजों जैसे नहीं होते थे। वे अपने होमवर्क और रेफरेंस से उसमें नयापन जोड़ते थे। वे इतने बेजोड़ थे कि उनकी जोड़ का पार्टी प्रवक्ता मिलना आसान नहीं!
प्रदेश भाजपा के पूर्व मीडिया प्रभारी एवं मप्र खनिज विकास निगम के पूर्व उपाध्यक्ष गोविंद मालू के अचानक दिव्य ज्योति में विलीन होने की सूचना स्तब्ध करने वाली थी। करीब रोज ही उनसे फोन पर बात होती रही। बीच-बीच में मुलाकात भी। पर, चुनाव की वजह से वे कुछ व्यस्त रहे। लगातार दौरे भी उनकी व्यस्तता का कारण रहे। पर, ये नहीं सोचा था कि था कि उनकी ये व्यस्तता जान लेवा साबित होगी। वे भाजपा के कुशल रणनीतिकार एवं मीडिया प्रबंधन के मंजे हुए खिलाड़ी थे। उन्होंने पत्रकारिता की शुरूआत खेल पत्रकारिता से की थी। स्व गोकुल भूतड़ा के अध्यक्षी कार्यकाल में भाजपा कार्यलय में प्रवेश हुआ। यही से उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा और राजनीति के साथ पत्रकारिता में प्रवेश किया। कदम दर कदम आगे बढ़ते हुए उन्होंने मीडिया के क्षेत्र में अपनी अलग छवि बनाई थी। उन्होंने अपनी पत्रकारिता प्रिंट मीडिया से शुरू की। फिर समय की मांग के अनुसार अपने आपको इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम में स्वयं को पारंगत कर लिया।
क्लॉथ मार्केट बैंक में उनके साथ कई साल साथ में काम किया। किसी भी व्यक्ति की नब्ज को पहचानने की उनकी क्षमता अद्भुत थी। समाचार पत्र पढ़ने की और उसमें भी राजनीतिक विषयों पर पठन और फिर बेबाक टिप्पणी करने में वे बेजोड़ थे। इसी कारण वे मुझसे देश-प्रदेश की राजनीतिक घटना एवं प्रभाव के विषय में चर्चा कर आम आदमी की सोच की थाह लिया करते थे। कई बार पार्टी के निर्णय पर मेरी असहमति होने के बावजुद वे मुझे पार्टी लाईन समझाने का पूरा प्रयास करते थे। एक बार मैंने उनसे कहा था कि आपकी पार्टी और आपके विचार से मैं सहमत नहीं हूं आप क्यों मेरी सहमति के लिए व्यर्थ प्रयास करते हो। अपनी पार्टी लाईन से हटे बिना उनका कहना था कि तुम जैसे लोगों को समझाना जरूरी हैं। तुम्हारे जैसे लोग दस लोगों को पार्टी लाइन से अलग करने की क्षमता रखते हैं। यही करण है कि पार्टी एंव मीडिया में वे बड़े पद पर सुशोभित रहे।
शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री रहते उन्हें जनआशीर्वाद यात्रा का प्रभारी बनाया था। तब उनसे बहुत चर्चा हुआ करती थी। इस यात्रा में एक-दो बार उनके साथ रहने का अवसर मिला। इस समय उनका मीडिया मैनेजमेंट तारीफ के काबिल देखा। जब भी उनसे चर्चा होती तो वे अपनी इस यात्रा के किस्से जरूर शेयर करते थे। उनके साथ रहते हुए देखा कि वे एक साथ तीन-तीन मोबाइल पर मीडिया के साथियों से, पार्टी कार्यकताओं से वरिष्ठ नेताओं से ऑनलाइन जुड़े रहते थे। हर छोटा-बड़ा पत्रकार अपने पेपर के लिए उनके बयान चाहता था। किसी भी पत्रकार को मुख्यमंत्री से मुलाकात करना हो, तो वे मुलाकात के लिए मालू जी का सहारा लेते थे। कई बार मुख्यमंत्री की व्यस्तता के बाद भी वे किसी तरह मुलाकात का प्रबंधन करा ही देते थे।
वर्तमान लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया और इलेक्ट्रानिक मीडिया में अलग पहचान बना ली थी। सभी विषयों पर उनका अध्ययन एवं होमवर्क अपनी अलग ही छाप छोड़ता था। उनकी सामयिक विषय पर उनकी टिप्पणी सबसे पहले आती थी, जो अकल्पनीय होती। बैंक के सहकर्मियों के लिए वे हमेशा उदार बने रहें। बैंक परिवार को उन्होंने हमेशा परिवार समझा। मीडिया प्रभारी जैसे बड़े पद पर रहने के बाद भी समय का अभाव होने पर भी बैंककर्मियों के सुख-दुख में शामिल होते थे।
वे कहते थे कि क्लाॅथ मार्केट बैंक मेरा परिवार है और में जो कुछ भी हूं, उसकी शुरूआत मैंने बैंक से की। मेरे परिचय में सबसे पहले क्लाथ मार्केट बैंक है। मोबाईल पर हमेशा उपलब्ध रहना उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी। यदि किसी कारण वे फोन नहीं उठा पाते, तो स्वयं फोन लगाकर बात करते थे। आज वो नहीं हैं, पर उनकी लेखनी की धार हमेशा मौजूद रहेगी। एन चुनाव के पहले भाजपा के लिए भी उनके जैसा मीडिया प्रभारी खोजना मुश्किल होगा। वे लेखन, मीडिया प्रबंधन एवं चुनावी चौसर पर मात देने में माहिर थे। उनमें इतनी सारी खासियत थी. कि उन्हें भुला पाना हर किसी के लिए मुश्किल होगा।