Mental Patients in Indore : मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मानसिक रोगी इंदौर में!

सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग से एकाग्रता में कमी आई, मनोरोगी बढे!    

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Mental Patients in Indore : मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मानसिक रोगी इंदौर में!

 

Indore : बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अब इंटरनेट मीडिया से जुड़ गए है। सबसे ज्यादा उपयोग मोबाइल का करने के लगे हैं। लेकिन इसके कारण वह अपने एकाग्रता की शक्ति को खोते जा रहे हैं। क्योंकि कई बार वह ऐसी चीजें भी देखते हैं, जिससे उनके अंदर नकारात्मकता आ जाती है। घर वालों को बच्चों पर विशेष तौर पर ध्यान देना चाहिए कि वह मोबाइल में क्या चला रहे हैं।

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सरकार की और से मनोरोग से बचाव के लिए टेली मानस हेल्पलाइन शुरू की गई है। जिसमें प्रदेश से मरीज फोन लगाकर विशेषज्ञों से काउंसलिंग लेते हैं। इसके आंकड़े के मुताबिक प्रदेश में मनोरोग के मामलों में सबसे ज्यादा लोग अच्छी नींद नहीं होने से परेशान है। वहीं इसके अलावा तनाव, मनोदशा की उदासी आदि की काउंसलिंग के लिए भी बड़ी संख्या में फोन आ रहे हैं। 10 अक्टूबर को शुरू हुई इस हेल्पलाइन में प्रदेशभर से अब तक 29514 लोग अपनी मनोरोग समस्या के संबंध में फोन लगा चुके हैं। वहीं सबसे ज्यादा मानसिक रोगियों की संख्या के इंदौर में है। टेली मानस हेल्पलाइन पर सबसे अधिक 3166 फोन किए जा चुके हैं।

सबसे ज्यादा मानसिक रोगी इंदौर में  

मिली जानकारी के अनुसार इंदौर से 3166, ग्वालियर से 880, शहडोल से 831, भोपाल से 768, से छिंदवाड़ा से 570, जबलपुर से 499, शिवपुरी से 434, रीवा से 414, उज्जैन से 374, बैतूल, से 366, दमोह से 352, नीमच से 351, हरदा से 339, देवास से 332, मंदसौर से 330, राजगढ़ से 319, मुरैना से 316, नर्मदापुरम से 300, खरगोन से 298, सागर से 283, अशोक नगर से 222, धार से 194, पन्ना से 192, गुना से 180, छतरपुर से 169, पूर्वी निमाड़ से 163, डिंडोरी से 161, शाजापुर से 157, अनूपपुर से 156, सतना से 155, रतलाम से 147, भिंड से 145, नरसिंहपुर से 144, विदिशा से 142, बड़वानी से 134, टीकमगढ़ से 123, सीहोर से 117, बुरहानपुर से 112, बालाघाट से 111, सिंगरौली से 110, कटनी से 101, दतिया से 91, अलीराजपुर से 83 और सीधी से 77 लोगों ने फोन पर सलाह ली।

इन शिकायतों को लेकर फोन

नींद में व्यवधान को लेकर 3658, मानसिक तनाव संबंधी 2286, मनोदशा की उदासी पर 2447, चिंता को लेकर 1670, अन्य मनोरोग समस्या पर 1346, काम में रुचि कम होने संबंधी 1236, आक्रामक व्यवहार को लेकर 687, व्यसन संबंधी 744, विचित्र व्यवहार को लेकर 388, स्वयं अनावश्यक बड़बड़ाना 543, पारिवारिक विवाद 876, जीवन में निराशा पर 556, थकान संबंधी 414, स्वास्थ्य परेशानी के 712, परीक्षा संबंधी परेशानी को लेकर 477, आत्मघाती विचार और प्रयास 330, ड्रग इफेक्ट संबंधी 208, बेवजह घबराहट के 257, शंकालु प्रवृत्ति पर 236, अत्यधिक प्रसन्नता के 92, खुद को नुकसान पहुंचाने संबंधी 131, शरीर में दर्द महसूस होने के 195 और अन्य संबंधित 195 फोन किए गए।

एकाग्रता में कमी की ज्यादा शिकायतें  

टेली मानस के नोडल अधिकारी डॉ वीएस पाल ने बताया कि वर्तमान में टेली मानस हेल्पलाइन की इंदौर सेल में 60 से 100 फोन रोज आते हैं। इस हेल्पलाइन नंबर पर अलग-अलग प्रकार की समस्या को लेकर फोन लगाते हैं। इसमें नींद की समस्या, उदासी, चिंता, परीक्षा तनाव, सिरदर्द आदि शामिल है। टेली मानस सेल के मनोचिकित्सक डॉ कृष्णा मिश्रा मुताबिक, सोशल मीडिया के ज्यादा उपयोग के कारण बच्चों में एकाग्रता की शक्ति कम होती जा रही है। इसलिए परिजनों को यह पता होना चाहिए कि उनका बच्चा फोन में क्या देख रहा है। वहीं जितना कम हो सके सभी लोगों को इसके उपयोग से बचना चाहिए। कई बच्चों की पोस्ट पर भी ज्यादा लाइक नहीं आते, तो वे खुद को नकारात्मकता की और ले जाते हैं।

मानसिक रोगियों में 40% युवा    

एमवाय अस्पताल के मनोरोग विभाग के मनोचिकित्सक डॉ अभय पालीवाल का कहना है कि अस्पताल में करीब 200 मरीज रोजाना इलाज के लिए आते हैं। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक शामिल होते हैं। नशा, पारिवारिक विवाद, परीक्षा तनाव आदि की समस्या को लेकर आते हैं। इन मरीजों में करीब 40 प्रतिशत संख्या युवाओं की होती है। मरीजों को समय पर उपचार मिल जाएगा तो वह जल्दी इस रोग से बाहर निकल सकते हैं। एक अन्य मनोचिकित्सक डॉ पवन राठी का कहना है कि मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति वाले लोगों को व्यापक स्तर पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का सामना करना पड़ रहा है। कई लोगों को सामुदायिक जीवन से बाहर कर दिया जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है जबकि कई लोग मानसिक स्वास्थ्य चिकित्सक तक पहुंच नहीं पाते हैं जिनकी उन्हें आवश्यकता होती है।