Metro Needs New Route: इंदौर में विजय नगर से राजेंद्र नगर तक चले मेट्रो

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Metro Needs New Route: इंदौर में विजय नगर से राजेंद्र नगर तक चले मेट्रो

 

रमण रावल

 

मध्यप्रदेश का पहला शहर इंदौर होगा, जब 31 मई 2025 को मेट्रो पटरी पर दौड़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भोपाल यात्रा के दौरान इसका आभासी शुभारंभ करेंगे। यह रस्म तो ठीक है, लेकिन इंदौर में मेट्रो का काम रोबोट चौराहे पर अटका है,अब उस पर बात होना चाहिये। इसमें पेंच यह है कि विशेष तौर से बंगाली कॉलोनी चौराहे से हाई कोर्ट होते हुए विमान तल इसे एलिवेटेड ले जाया जाये या जमीन के भीतर ? इस अनसुलझे पेंच के बिना मेट्रो का औचित्य हाल-फिलहाल तो नहीं रह जाता। इस दुविधापूर्ण स्थिति में मप्र शासन,स्थानीय प्रशासन,इंदौर के जन प्रतिनिधिगण,जानकार,विशेषज्ञ व मेट्रो कंपनी को विचार करना चाहिये कि इसे विजय नगर चौराहे से बीआरटीएस की रैलिंग के अंदर से राजेंद्र नगर तिराहे तक ले जाकर वहां से विमान तल की ओर ले जाया जा सकता है क्या ? याद रहे, सिटी बस के मार्ग बीआरटीएस को हटाने की घोषणा हो चुकी है, लेकिन मेट्रो लाइन के लिये इसे आरक्षित कर लिया जाये तो अनावश्यक तोड़फोड़ व आर्थिक नुकसान से भी बचा जा सकेगा।

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यूं तो इंदौर में चारों तरफ विकास कार्य हो रहे हैं। दर्जन भर से अधिक पुल,फ्लाई ओवर,एलिवेटेड ब्रिज बन रहे हैं। हाल ही एमआईजी चौराहे से लेकर तो नवलखा तक सभी चौराहों पर कुछ न कुछ बनाने की घोषणा हुई है,फिर भी मेट्रो का जिन्न अनिर्णय की बोतल में ही बंद है। उधर, लसूड़िया से चोइथराम चौराहे तक के करीब 14 किमी लंबे बीआरटीएस को तोड़ने की घोषणा मप्र शासन कर चुका है, लेकिन अमल प्रारंभ नहीं हुआ। ऐसे में यदि विशेषज्ञ,जन प्रतिनिधि व तकनीकी सलाहकार सहमत हो तो इस बीआरटीएस का उपयोग मेट्रो के एलिवेटेड ब्रिज के लिये कर सकते हैं। इससे मेट्रो को शहर के बीच से निकालने के अव्यावहारिक निर्णय से मुक्ति मिलेगी। सुरंग बनाने के नुकसान की आशंका खत्म होगी। निर्माण में तेजी आयेगी और समूचे इंदौर के लिये उपयोगी साबित होगी।

अभी गांधी नगर से रोबोट चौराहे तक काम चल रहा है। जिसमें से करीब साढ़े पांच किमी तक यह सेवा 31 मई से शुरू हो जायेगी। हालांकि इस पर यातायात क्षमता के 25 प्रतिशत यात्री भी नहीं मिलना है। ऐसे में इसे विजय नगर से एमआईजी चौराहा,पलासिया चौराहा,गीता भवन चौराहा, जीपीओ, नवलखा,भंवरकुआं होते हुए राजेद्र नगर तिराहे तक ले जाया जा सकता है। बीआरटीएस की रैलिंग के अंदर मेट्रो का ढांचा खड़ा करने से यातायात में विशे्ष अवरोध भी नहीं होगा। सिटी बसें मिक्स लेन में चल सकती है। उधर मूसाखेड़ी पुल यदि शीघ्र तैयार कर लिया जाये तो बीआरटीएस के समानांतर रिंग रोड प्रारंभ हो जाने से लसूड़िया तक वैकल्पिक मार्ग भी मिल जायेगा, जिससे यातायात बाधित नहीं होगा। फिर,अभी रोबोट चौराहे कर जो मेट्रो लाइन का काम चल रहा है,उसे रिंग रोड से ही राजीव गांधी चौराहे पर ले जाकर बीआरटीएस से आने वाली मेट्रो लाइन से मिलाया जा सकता है।

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राजेंद्र नगर तिराहे से मेट्रो को अन्नपूर्णा मंदिर,महू नाका चौराहा,गंगवाल बस स्टैंड,राज मोहल्ला चौराहा,बड़ा गणपति होते हुए विमान तल की ओर अपेक्षाकृत आसानी से ले जाया जा सकेगा। इसके लिय संबंधित सभी पक्षों के बीच गहन विचार विमर्श,चिंतन व तकनीकी दक्षता का परीक्षण आवश्यक है। यह मार्ग न्यूनतम जन परेशानी के साथ पूरा किया जा सकता है, जो आने वाले 50 साल तक के लिये भी मेट्रो की उपयोगिता सार्थक करता रहेगा। वैसे भी दुनिया भर में जहां मेट्रो जमीन के भीतर बनी है, वहां सामने आ रही दिक्कतों के मद्देनजर ऊपर नई लाइन बिछाने व नई परियोजनाओं में इसे एलिवेटेड बनाने पर ही अधिक जोर दिया जा रहा है। तब हम इंदौर में कुछ करोड़ के नुकसान की अनदेखी कर इसके व्यावहारिक विकल्प को अपना लें तो इसमें किसी की भी हेंठी नहीं होगी।