भोपाल को नए युग में लेकर जाती मेट्रो…

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भोपाल को नए युग में लेकर जाती मेट्रो…

भोपाल को कभी बर्रूकट भोपालियों का शहर कहा जाता था, तो अब बाबुओं की बस्ती के नाम से भी जाना जाता है। अब इसमें छोटे बाबू और बड़े बाबू जैसी धारणाएं अलग हैं। पर यही भोपाल अब पुरानी सभी पहचानों को पीछे छोड़ते हुए मेट्रो शहर के नाम से जाना जाएगा। और इसलिए मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल अब प्राचीनकालीन और मध्यकालीन पहचानों से बहुत आगे एक नए युग में प्रवेश कर गई है। हो सकता है कि मेट्रो युग विकास का एक नया इतिहास रचे और बर्रूकट और बाबू मानसिकता से निजात पाते हुए भोपाल का हर नागरिक इंदौर की तरह प्रगतिवादी और हर क्षेत्र में नंबर वन बनने की होड़ करता नजर आए। पर भोपाल को इस नए युग में ले जाने का श्रेय बेशक मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को जाता है। और शिवराज ने मेट्रो ट्रायल रन के शुभारंभ पर अहसास भी कराया कि ‘जो कहा वह करके दिखाया’। मध्यप्रदेश को गड्ढों वाली सड़क से मेट्रो तक पहुंचा दिया। इसके लिए मध्यप्रदेश शिवराज को कभी नहीं भुलाएगा। भोपाल मेट्रो में आपका स्वागत है, जब सुनेंगे तो अच्छा लगेगा और शिवराज के समय मेट्रो शुरू हुई थी, यह भी दिमाग में आ जाएगा। महत्वपूर्ण बात यही है और अपेक्षित भी है कि “अब भोपाल को भी दौड़ना है तेज गति से…।”
Indore's Collector
आज यानि 3 अक्टूबर 2023 का दिन भोपाल के सार्वजनिक परिवहन की दिशा में मील का पत्थर साबित हो गया है।सुभाष नगर स्टेशन पर भोपाल मेट्रो ट्रेन का ट्रायल रन सम्पन्न हो चुका है। इसमें सबसे खास बात यही है कि स्मार्ट सिटी पार्क में अगस्त माह में भोपाल में मेट्रो मॉडल कोच का उद्घाटन एवं अनावरण किया गया था। एक महीने उपरांत, इसी कड़ी में आज भोपाल मेट्रो ट्रेन का ट्रायल रन किया गया। भोपाल में मेट्रो आरंभ होने के साथ ही हमारा तांगे वाला भोपाल अब मेट्रो रेल वाला भोपाल हो गया है। और शिवराज की इस अपेक्षा पर खरा उतरने को तैयार है कि मेट्रो रेल भोपाल में परिवहन की नई क्रांति लाएगी, और विकास पथ पर भोपाल तीव्रगति से दौड़ेगा। और यह भी सही है कि इन्दौर के बाद भोपाल में नई परिवहन क्रांति का सूत्रपात हो गया है। जिस राज्य को सड़कों के गड्डों के लिए जाना जाता था, वहां एक सप्ताह में दो-दो शहरों में मेट्रो का ट्रायल रन हुआ है। सबसे खास बात यह है कि रानीकमलापति स्टेशन पर मीडिया कर्मियों को सम्बोधित करते हुए शिवराज ने कहा कि हमने कम समय और तय समय-सीमा से पहले यह सब कर दिखाया है, यह मेट्रो टीम के साथियों, इंजीनियर और वर्कर्स की मेहनत एवं प्रयासों का परिणाम है कि विपरीत परिस्थितियों में पूरी गुणवत्ता से प्रोजेक्ट को धरातल पर समय पर उतारा है। उन्होंने नाम भी नगरीय विकास के अफसर नीरज मंडलोई का और ज्यादा जोर देकर नाम लिया मेट्रो के एमडी मनीष सिंह का। वास्तव में मेट्रो के कम समय में दो बड़े शहरों में ट्रायल रन का वास्तविक श्रेय मनीष सिंह को जाता है। उन्होंने इसके जरिए खुद को मध्यप्रदेश का ‘मेट्रो मेन’ साबित कर दिया है। और यह भी जता दिया है कि वह हर टारगेट को अचीव करने का माद्दा रखते हैं। तो मेट्रो के लिए बधाई के हकदार शिवराज हैं तो इसे समय पर पूरा करने की बधाई के हकदार मनीष सिंह भी हैं। सुभाष नगर से रानी कमलापति स्टेशन तक के पांच किलोमीटर लंबे मेट्रो के भाग में 5 स्टेशन हैं, जिनकी आधारभूत संरचनाओं का काम प्राकृतिक बाधाओं के बावजूद बहुत तेजी से पूरा किया गया, जो अपने आप में उपलब्धि है। इसी के चलते यह अपेक्षा की गई है कि प्राइऑरटी कॉरिडोर को आगामी वर्ष में पैसेंजर संचालन शुरू कर दिया जाएगा।
उम्मीद यही है कि भोपाल के साथ सीहोर, विदिशा और औबेदुल्लागंज, मंडीदीप जैसी जगह भी मेट्रो के संग प्रगति और विकास के नए शिखर को छुएंगे। इस भौतिक चकाचौंध के साथ-साथ मानसिकता के अंधेरे भी छंटेंगे और तेज गति से मध्यप्रदेश वास्तव में नए युग में प्रवेश करेगा।