Milk Product Import: ये स्थिति आखिर कैसे आई कि भारत को दुग्ध प्रोडक्ट आयात करना पड़ेंगे!

जानिए, ऐसे क्या हालात बने कि दूध उत्पादन दुनिया में नंबर वन होकर पिछड़े!

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Milk Product Import: ये स्थिति आखिर कैसे आई कि भारत को दुग्ध प्रोडक्ट आयात करना पड़ेंगे!

New Delhi : एक दशक बाद भारत को डेयरी प्रोडक्ट्स का आयात करना पड़ सकता है। पिछले 15 महीनों में दूध की कीमत में 12% से 15% तेजी आई है और आगे भी यह बढ़ोतरी जारी रह सकती है। फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में देश में दूध के उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। मवेशियों में लंपी बीमारी के कारण दूध का उत्पादन प्रभावित हुआ, जबकि इस दौरान डिमांड 8 से 10 परसेंट बढ़ गई।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश में दूध उत्पादन वर्ष 2021-22 में 6.25% से बढ़कर 22.1 करोड़ टन रहा। उससे पहले 2020-21 यह में 20.8 करोड़ टन रहा था। भारत ने आखिरी बार वर्ष 2011 में डेयरी उत्पादों का आयात किया था। अब एक बार फिर देश में खासकर घी और मक्खन के आयात की नौबत आ गई।

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भारत दूध उत्पादन के मामले में दुनिया में पहले नंबर पर है। यह जानकारी Food and Agriculture Organization Corporate Statistical Database (FAOSTAT) के आंकड़ों से साबित हुई। 2021-22 में ग्लोबल मिल्क प्रोडक्शन में भारत की हिस्सेदारी 24% थी। साल 2014-15 और 2021-22 के बीच देश में मिल्क प्रोडक्शन में 51% बढ़ोतरी हुई है। मछली, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला ने हाल में लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

डेयरी उत्पादों के आयात पर विचार

पशुपालन और डेयरी सचिव राजेश कुमार सिंह का कहना है कि देश जरूरत पड़ने पर डेयरी उत्पादों के आयात पर विचार कर सकता है। इसकी वजह यह है कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत में दूध उत्पादन में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई। इस कारण डेयरी प्रॉडक्ट्स की सप्लाई टाइट है। उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्यों में दूध के स्टॉक की स्थिति का आकलन करने के बाद यदि जरूरी हुआ, तो सरकार मक्खन और घी जैसे डेयरी उत्पादों के आयात करने के मामले में हस्तक्षेप करेगी। दक्षिणी राज्यों में अब उत्पादन का पीक टाइम शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि देश में दूध की सप्लाई में कोई बाधा नहीं है। स्किम्ड मिल्क पाउडर का पर्याप्त भंडार है। लेकिन फैट, मक्खन और घी का स्टॉक पिछले साल के मुकाबले कम है।

क्यों बढ़ रही कीमत

राजेश कुमार सिंह ने साथ ही कहा कि इस समय इम्पोर्ट फायदेमंद नहीं है। क्योंकि, हाल के महीनों में अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी आई है। अगर वैश्विक कीमतें ऊंची हैं, तो आयात करने का कोई मतलब नहीं। हम देश के बाकी हिस्सों में उत्पादन का आकलन करेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे। उत्तर भारत में स्थिति में सुधार आएगा। इसकी वजह यह है कि पिछले 20 दिन में बेमौसम बारिश के कारण तापमान में गिरावट आई, इससे स्थिति अनुकूल हुई। पिछले साल लंपी बीमारी से 1.89 लाख मवेशियों की मौत हुई। इससे दूध उत्पादन स्थिर रहा जबकि मांग में महामारी के बाद उछाल आई।

चारे की आपूर्ति में समस्या

पशुपालन और डेयरी सचिव ने कहा कि चारे की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण दूध उत्पाद महंगे हुए है। उन्होंने कहा कि चारे की आपूर्ति में समस्या है, क्योंकि पिछले चार साल में चारे की फसल का रकबा भी स्थिर रहा। जबकि, डेयरी क्षेत्र सालाना 6% प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। जानकारों का कहना है कि अप्रैल से सितंबर तक दूध के उत्पादन में 50% तक गिरावट आ सकती है। इस सीजन में दूध का उत्पादन कम रहता है। पिछले एक हफ्ते में भैंस के दूध की कीमत में 5 से 6% फीसदी बढ़ोतरी हुई। आने वाले दिनों में गाय के दूध की कीमत भी बढ़ सकती है। पिछले एक साल में मदर डेयरी और अमूल जैसी कंपनियों ने कई बार दूध की कीमत बढ़ाई है।