भोपाल। विधानसभा में पंचायतों में ओबीसी आरक्षण पर स्थगन प्रस्ताव में चर्चा के दौरान नगरीय विकास मंत्री भूपेंद्र सिंह और कांग्रेस विधायक तरुण भनोत के बीच तीखी नोकझोंक हुई। इस दौरान कई बार हंगामे की स्थिति बनी तो अध्यक्ष को हस्तक्षेप करना पड़ा। इस मौके पर मंत्री और विधायक ने अपनी बात गलत साबित होने पर सदन के समक्ष इस्तीफे की धमकी भी दी।
विधायक कमलेश्वर पटेल के स्थगन प्रस्ताव पर जवाब देने के दौरान मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के खिलाफ पांच याचिका लगाई गई हैं। ये सभी याचिकाएं कांग्रेस के लोगों ने लगाई हैं। इस पर विधायक तरुण भनोत और मंत्री भूपेंद्र के बीच जमकर नोकझोंक हुई।
भनोत ने कहा कि याचिका रोटेशन के खिलाफ है न कि ओबीसी आरक्षण के खिलाफ लगी है। मंत्री सिंह ने कहा कि वे कोर्ट के प्रोसीडिंग के आधार पर जानकारी दे रहे हैं और गलत हुआ तो इस्तीफा दे देंगे। सांसद विवेक तन्खा का भी नाम मंत्री सिंह ने लिया। इस पर जमकर हंगामा हुआ और कांग्रेस विधायकों ने कहा कि गुमराह कर रहे है।
भनोत ने कहा कि महाधिवक्ता और सरकारी वकील पैरवी के लिए खड़े नहीं हुए। इस पर स्पष्टीकरण दें, अगर मेरी बात गलत हुई तो मैं भी इस्तीफा दे दूंगा। इस बीच संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि सांसद विवेक तन्खा ने किस तरह से कोर्ट में अपनी बात कही है, उसकी क्लिपिंग दिखा सकते हैं। ओबीसी को तन्खा ने दस पीढ़ी पीछे पहुंचा दिया है। इस बीच विधायक पटेल ने न्यायपालिका पर टिप्पणी कर दी जिसे अध्यक्ष ने विलोपित कराया।
मंत्री सिंह ने कहा कि हमारी सरकार चुनाव कराना चाहती थी। राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रक्रिया शुरू कराई। हम अध्यादेश लाए लेकिन कांग्रेस के लोग नहीं चाहते थे कि चुनाव हों, इसलिए पांच याचिकाएं लगाईं। कांग्रेस के लोग लगातार प्रयास करते रहे। अध्यादेश कांग्रेस ने भी जारी किया था और 1200 नई पंचायतें और 500 पंचायतें खत्म की थीं लेकिन तब भाजपा ने विरोध नहीं किया। शिवराज सरकार चाहती है कि ग्रामीण क्षेत्र और निकायों का विकास हो।
इस बीच विधायक बाला बच्चन ने कहा कि पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ याचिका में 47 बार सरकार के वकील नहीं पहुंचे। भाजपा सरकार की तो आदत ही यही है।