यह अच्छा प्रयोग है। जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ” मन की बात” करते हैं, उनकी तर्ज पर ही प्रदेश के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने हर सप्ताह अपनी बात सबसे साझा करने का मन बना लिया। भूपेंद्र सिंह के मन की बात का माध्यम बनेगा “सप्ताह का धागा”…। सप्ताह के पहले दिन सोमवार को इस धागे में अपने मन की बातों को पिरोकर मंत्री भूपेंद्र सिंह ट्वीट के जरिए जन-जन से साझा करेंगे। इसकी पहली कड़ी की शुरुआत सिंह ने सावन के तीसरे सोमवार को कर दी है। जिसमें जैसा कि अपेक्षा की जा सकती है, मंत्री भूपेंद्र सिंह ने नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा की सफलता की उपलब्धि को धागे में पिरोया है। और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आठ हिस्सों में इसे सलीके से सबके बीच परोसा है। इसका शीर्षक दिया है कि “मध्यप्रदेश ने खुद बता दिया कौन और क्यों चाहिए”…। मोदी के ” मन की बात” और भूपेंद्र सिंह का “सप्ताह का धागा” में यही अंतर है कि मोदी हर माह के आखिरी रविवार को रेडियो, टीवी पर रूबरू होते हैं सुबह ग्यारह बजे पूरे देश-दुनिया से, तो सिंह साप्ताहिक तौर पर हर सोमवार को ट्वीट के जरिए अपनी बात रखेंगे शाम पांच बजे।
सप्ताह के धागे में आठ हिस्सों में विस्तार से लिखा है कि “नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव परिणाम सिर्फ जीत-हार के आंकड़ें ही नहीं हैं। भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत में नागरिकों का बहुआयामी फैसला या कहें संदेश भी शामिल है। सभी छल-छद्म, षड्यंत्रों को दरकिनार कर भाजपा को मौका दिया। जो पूरे राष्ट्र की धारणा है, वही मध्यप्रदेश में भी दिखी कि कांग्रेस को विपक्ष के लायक भी नहीं समझा। भारतीय जनता पार्टी की ऐतिहासिक जीत संगठन के हर कार्यकर्ता के अथक परिश्रम का सुफल है, तो नागरिकों का संदेश भी है कि उन्हें मध्यप्रदेश में कौन और क्यों चाहिए। भाजपा ही है, जो अंत्योदय के अटल प्रण पथ पर आगे बढ़ रही है। जिस मध्यप्रदेश में शहरों को सड़कें नसीब नहीं थीं, वहां अब गांवों तक पक्की सड़कें हैं। कच्चे मकान या झोपड़ियां बीते दिनों की बाते हो रही हैं। गरीब परिवार भी पक्के मकानों में सम्मान स्वाभिमान से गुजर-बसर कर रहे हैं। किसानों को सम्मान निधि, खाद-बीज और बिजली की उपलब्धता के साथ उपज का उचित मूल्य मिल रहा है। बाढ़, अतिवृष्टि में भाजपा सरकार साथ खड़ी रही है। श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश की धरती से देश को लाड़ली लक्ष्मी का संदेश गया, जो बेटियों की प्रगति का अब मुख्य आधार बन चुका है। बेटियां पढ़ रहीं हैं, आगे बढ़ रहीं हैं।
प्रदेश के नागरिकों के जीवन में बदलाव का यह दौर शिक्षा, समानता से आगे बढ़कर स्वास्थ्य सुविधाओं व रोजगार की संभावनाओं तक जारी है। संबल योजना ने गरीब परिवारों को जन्म से मृत्यु तक सुरक्षा कवच दिया है। शासन में होना तभी सार्थक है, जब हम अंत्योदय का पुण्यकार्य कर सकें, जो मध्यप्रदेश में दिखाई पड़ रहा है और अब तो नागरिकों ने अपना एकतरफा फैसला भी दे दिया है। हालांकि कांग्रेस अभी भी राजनीति को सत्ता सुख और दमन का माध्यम ही मानकर चल रही है, ये अफसोसजनक है। अब दिग्विजय सिंह जी को ही देखें, प्रदेश भर में हार की खीज भोपाल में सामने आ ही गई। सत्ता में रहते हुए प्रवृत्ति अब भी छोड़ नहीं सके हैं। मन की न होने पर पुलिस के कॉलर को नोचने लगे। ये ठीक नहीं है। कांग्रेस यदि विपक्ष भी नहीं बन सकी, तो उसे भी सत्ता को सेवा के माध्यम के रूप में स्वीकारना होगा, वैसे कांग्रेस के जीन में ऐसे असंभव बदलाव की उम्मीद बेमानी है।”
निश्चित तौर पर यह अच्छी शुरुआत है, क्योंकि सप्ताह में एक बार शाम को लोगों की निगाह रहेगी कि इस बार मंत्री भूपेंद्र सिंह ने धागा में क्या पिरोया है। हालांकि यह बात भी सभी को पता है कि “धागा” में सप्ताह में एक बार केंद्र और प्रदेश भाजपा सरकार की उपलब्धियों का गुणगान होगा, तो विपक्ष को कटघरे में खड़ा करने का काम स्थान पाएगा। शुरुआत निश्चित तौर पर अच्छी है, क्योंकि मंत्री और उनकी टीम का सातों दिन धागा पर फोकस रहेगा, तो क्या-क्या पिरोया गया है इसमें…इसकी उत्सुकता लोगों में भी सातों दिन बनी रहेगी। जैसा कि पहली कड़ी में मंत्री भूपेंद्र सिंह ने चिरपरिचित विरोधी दिग्विजय पर शाब्दिक बाणों से गंभीर घाव किए हैं। राजधानी में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में भूपेंद्र सिंह और दिग्विजय सिंह आमने-सामने हुए थे। भूपेंद्र सिंह के चेहरे पर मुस्कान थी, तो दिग्विजय के चेहरे पर आंखों के सामने सब कुछ छिनने का आक्रोश झलक रहा था…जिसका उल्लेख इस बार मंत्री भूपेंद्र सिंह ने “सप्ताह का धागा” में बखूबी किया है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में मंत्री नरोत्तम मिश्रा और विश्वास सारंग तो मीडिया से रोज ही रूबरू होते हैं, पर बाकी मंत्री यदा-कदा ही सामने आ पाते हैं। तो मोदी की “मन की बात” की तर्ज पर मंत्री भूपेंद्र सिंह का “सप्ताह का धागा” शुरू हो चुका है। दूसरे मंत्री भी अपनी बात रखने के लिए इस तर्ज पर अमल कर सकते हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की “चाय पर चर्चा” के जरिए जनता से मन की बात होती ही है कभी-कभी… ।