Minister’s Chair in Danger : पुत्र मोह में राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की कुर्सी खतरे में, भाजपा हाईकमान ने रिपोर्ट मंगाई!
Bhopal : प्रदेश सरकार में पहली बार मंत्री बनाए गए नरेंद्र शिवाजी पटेल की कुर्सी बेटे अभिज्ञान पटेल की गुंडागर्दी और सरेआम लोगों की पिटाई की वजह से खतरे में आ गई। वे लोक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री हैं। उनकी गलती ये रही कि वे घटना के बाद थाने गए और सत्ता का रौब दिखाते हुए बेटे को छुड़ा लाए। पार्टी सूत्रों से मिली जानकारी में बताया गया कि भाजपा के दिल्ली नेतृत्व ने भी घटना और राज्यमंत्री की भूमिका को लेकर पूरी रिपोर्ट मंगाई है। प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और मुख्यमंत्री ने भी नरेंद्र शिवाजी पटेल को फटकार लगाई। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर मोर्चा संभाल लिया।
पहली बार विधायक बने और राज्यमंत्री बनाए गए नरेंद्र शिवाजी पटेल को इस बात का अहसास नहीं था कि पुत्र मोह में वे कितनी बड़ी परेशानी मोल ले रहे हैं। उन्होंने थाने पहुंचकर रुआब झाड़ा और बेटे के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने दी। इस मामले को लेकर चार पुलिसकर्मियों को भी सस्पेंड किया गया है। इसलिए कि उन्होंने रिपोर्ट दर्ज करने की हिम्मत की थी। जानकारी मिलने पर मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष ने नरेंद्र शिवाजी पटेल को बुलाकर डांट भी लगाई थी। क्योंकि, चुनाव के इस माहौल में उनके इस कृत्य से पार्टी की छवि प्रभावित हुई है और विपक्ष को बैठे ठाले एक गंभीर मुद्दा मिल गया।
जानकारी के मुताबिक भाजपा हाईकमान ने इस मामले पर कड़ी नाराजगी व्यक्त करते हुए इसे गंभीरता से लिया और पूरी रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने कड़ी कार्रवाई के संकेत भी दिए। बताया जा रहा है कि राज्यमंत्री पर कड़ी अनुशासात्मक कार्रवाई की जा सकती है। इससे पहले भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा ने भी कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए थे। समझा जा रहा है कि राज्यमंत्री की कुर्सी खतरे में है।
#ModiKaParivaar#BJP_सरकार के राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे ने भोपाल के एक थाने में जिस तरह उत्पात किया वो सरकार के सत्ता मद का प्रतीक है!
मंत्री पुत्र ने सरेआम एक पत्रकार और रेस्टोरेंट संचालक और उसकी पत्नी से मारपीट की, पर रिपोर्ट मंत्री पुत्र की लिखी गई!
मंत्री ने… pic.twitter.com/XM3mFMkTk4— Umang Singhar (@UmangSinghar) March 31, 2024
*क्या घटना हुई जिससे विवाद बढ़ा*
पुलिस ने शनिवार रात शाहपुरा इलाके में झगड़े में पकड़े जाने के बाद राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि अभिज्ञान पटेल और उसके दोस्तों ने एक सड़क दुर्घटना के बाद हुए झगड़े के दौरान एक पत्रकार, एक रेस्तरां मालिक दंपति और उनके कर्मचारी पर हमला किया। घटना के अनुसार शनिवार देर राज्यमंत्री पटेल अपने सहयोगियों के साथ शाहपुरा थाने पहुंचे। वहां अभिज्ञान और उसके दोस्तों ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उन्हें प्रताड़ित किया। इसके बाद पटेल की शिकायत पर चार पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया और जांच के आदेश दिए गए।
रेस्टोरेंट मालिक अलीशा सक्सेना ने अपनी शिकायत में कहा कि यह सब तब शुरू हुआ जब मंत्री पुत्र की कार ने पत्रकार विवेक सिंह की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी। जब विवेक सिंह ने कार चालक को आवाज देकर ठीक से गाड़ी चलाने को कहा तो अभिज्ञान और उसके दोस्त कार से बाहर निकले और पत्रकार की पिटाई कर दी।
अलीशा सक्सेना ने हस्तक्षेप किया तो अभिज्ञान ने कथित तौर पर रॉड से उनकी पिटाई की। उन्होंने कहा कि जब उनके पति और उनके एक कर्मचारी उन्हें बचाने के लिए दौड़े तो उन्हें भी पीटा गया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत स्वेच्छा से चोट पहुंचाने और आपराधिक धमकी देने समेत अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। पुलिस ने राज्यमंत्री के बेटे की शिकायत पर सक्सेना और अन्य के खिलाफ भी जवाबी एफआईआर दर्ज की। जिन्होंने उन पर मारपीट का आरोप लगाया है।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मयूर खंडेलवाल ने कहा कि इसमें शामिल लोगों की मेडिकल जांच की गई है और आगे की जांच जारी है। निलंबित पुलिसकर्मियों पर उन्होंने कहा कि जांच जारी है और निष्कर्ष के अनुसार आगे कदम उठाए जाएंगे।
*कांग्रेस ने मोर्चा संभाला*
इस घटना को लेकर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सोशल मीडिया ‘एक्स’ पर अपनी पोस्ट में लिखा कि सरकार के राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल के बेटे ने भोपाल के एक थाने में जिस तरह उत्पात किया वो सरकार के सत्ता मद का प्रतीक है! मंत्री पुत्र ने सरेआम एक पत्रकार और रेस्टोरेंट संचालक और उसकी पत्नी से मारपीट की, पर रिपोर्ट मंत्री पुत्र की लिखी गई! मंत्री ने थाने आकर बेटे को छुड़वाया और दबाव डालकर 4 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करवा दिया। सीएम मोहन यादव जी अपनी सरकार के नए मंत्रियों को समझाइए कि अपने बेटों को काबू में रखें!
उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने भी राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह अराजकता है।
कृषि विस्तार अधिकारी दुर्गेश सुरोलिया 41 वर्ष की सेवा पूर्ण कर हुए सेवानिवृत!