चमत्कारी पार्श्वगिरी ग्वालबेड़ा तीर्थ

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बड़वानी से सचिन राठौर की रिपोर्ट

बड़वानी- मध्यप्रदेश अपनी संस्कृति और धार्मिक स्थलों को लेकर पूरे देश में पहचाना जाता है देश का दिल कहे जाने वाले मध्यप्रदेश में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जो लोगों की गहरी आस्था का केंद्र हैं|

आज आपको ऐसे धार्मिक स्थान से रूबरू कराने जा रहे है, जो कि चमत्कारी पार्श्वगिरी ग्वालबेड़ा तीर्थ के नाम से प्रसिद्ध है।

ये धार्मिक स्थल बड़वानी जिले से तकरीबन चार किलोमीटर की दूरी स्थित सतपुड़ा की तलहटी में बसा है और साथ ही यह तीर्थ दूर दराज के क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र भी बना हुआ है

बड़वानी- अब यहां जैन धर्म के अनुयायिओं ने निर्माण कार्य करवा कर इसे पार्श्वगिरी ग्वालबेड़ा नाम दे दिया है|

सपना जैन ने बताया कि ग्वालबेड़ा पहाड़ी पर स्थापित शांति की मुद्रा की पाषाण प्रतिमा किसी समाजजन के स्वप्न में आई और वहां होने के संकेत दिए थे, जिसके बाद से ही क्षेत्र के आदिवासियों की यहां गहरी आस्था है।

मान्यता है कि अगर किसी का पालतू जानवर गुम जाए या दूध न दे तो यहां आकर बाबा से मन्नत माँगने पर पशु मिल जाते हैं और दूध भी देने लगते हैं। इसलिए इलाके के लोग पालतू दुधारू पशु का पहला दूध यहां अर्पित करते हैं और किसान अनाज घर ले जाने से पहले यहां चढ़ाते हैं|

गौरतलब यह है कि यह तीर्थ स्थल पर एक ऐसा संजीवनी बूटी का काम करने वाला पेड़ जो कि गंभीर बीमारियाँ ठीक करता है। ये पेड़ कालांतर में इस क्षेत्र को सिद्धनगर भी कहा जाता था।

देखिये वीडियो: क्या कह रहे हैं, मनीष जैन (समाजजन)-

इसी के चलते आस-पास का इलाका भी सिद्ध माना जाता है। पहाड़ी की चोटी पर जिस पेड़ के पास खुदाई में यह प्रतिमा निकली उसके छाल और पत्तियों का लेप लगाने से हाथीपांव जैसी गंभीर बीमारी और चर्म रोग ठीक हो जाता है।

वर्तमान में कई ऐसे किस्से, कहानी और किवदंती हैं, जिन पर विश्वास करना कठिन है लेकिन जब बात आस्था की हो तो अंधविश्वास की बातें गौण हो जाती हैं। ग्वालबेड़ा पहाड़ी की चोटी पर स्थित इस मूर्ति में मानने वाले की आस्था इसी का प्रतीक है।

अब बात अंधविश्वास की हो, आस्था की हो या चमत्कार की, लेकिन यहां मन्नत माँगने वाले के लिए यह किसी चमत्कार से कम नहीं इसलिए बरसों से यहां मानने वालों की भी कमी नहीं है परन्तु कोरोना काल में यह मन्नत का केंद्र कहा जाने वाले तीर्थ स्थल में ताले बंद पड़े हुए थे जिसको लेकर चारों तरफ सन्नाटा पसरा हुआ था परन्तु धीरे धीरे देश से कोरोना का संक्रमण खत्म होने की कगार पर आने से एक बार फिर से दूरदराज के लोग आते हुए दिखाई दिये|