Mishap With Army Officers: सुरक्षित नहीं है महू के पर्यटन स्थल,2017 से हो रहीं हैं लूटपाट, हत्या, अपहरण की वारदातें!
दिनेश सोलंकी की खास रिपोर्ट
बुधवार को महू तहसील के जाम गेट के पास आर्मी अभ्यास के प्रतिबंधित क्षेत्र में बदमाशों द्वारा लूटपाट, मारपीट और आर्मी अफसर को बंधक बनाने की घटना शर्मनाक रूप से घटित हुई। इस घटना ने एक बार फिर उजागर कर दिया की महू तहसील के पर्यटन स्थल सुरक्षित नहीं है और यहां आज भी बदमाशों की गैंग शिकार की टोह में लगी रहती है, जिनके हौसले इतने बढ़ गए हैं कि वह अब आर्मी अफसर पर भी हाथ डालने लगे हैं।
*एक दर्जन पर्यटन स्थल हैं महू में..*
महू में प्राचीन समय से यहां से गुजरती विंध्याचल पर्वत श्रृंखलाओं में अनेक पर्यटक स्थलों का वास है। सालों तक यहां के स्थान जंगलों में होने के कारण गुमनामी के अंधेरे में पड़े रहे। पिछले 25- 30 सालों से महू तहसील के पर्यटन स्थल पातालपानी, शीतला माता फॉल, जानापाव और जाम गेट विशेषकर सुर्खियों में आए। यह सुर्खियां भी मीडिया ने प्रदान की जब महू के पर्यटन स्थल के रूप में पातालपानी, चोरल डैम, बामनिया कुंड, मेहंदी कुंड, जाम दरवाजा, नखेरी डैम, जानापाव आदि स्थानों पर सैलानी उत्सुकता से पहुंचने लगे। हैरिटेज ट्रेन ने और भी शोहरत प्रदान की।
अब हालत यह है की जुलाई में बारिश के दिनों से लेकर दिसंबर जनवरी तक महू तहसील के विभिन्न पर्यटन स्थलों पर सैलानियों की खासी भीड़ उमड़ने लगती है और जिसके चलते शनिवार और रविवार को महू से इंदौर मार्ग ही बार-बार जाम का शिकार हो जाता है।
*चोरल डैम को अंधेरे में उपयोग किया…*
अभी-अभी में महू में एक के बाद एक दो केस सामने आएं हैं जबकि 2017 और 2018 में संगीन वारदातें पर्यटन स्थलों पर हो चुकी हैं। पिछले माह अगस्त के पहले सप्ताह में चोरल डैम पर आधी रात को एक लूट की घटना की रिपोर्ट सामने आई थी, जिसमें बाद में पता चला था इंदौर की आलिया शेख नामक युवती ने अपने प्रेमी के साथ एक युवक को फंसाने के लिए फर्जी कहानी रच लूट का जाल बुना था। यह घटना इसलिए हुई थी क्योंकि चोरल डैम रात को सूना हो जाता है और सिर्फ चोरल डैम ही नहीं, महू के प्रत्येक पर्यटन स्थल रात के समय पूरी तरह से वीरान हो जाते हैं। सभी पर्यटन स्थल लगभग जंगलों के अंदर हैं जहां पर ना तो पुलिस सुरक्षा 24 घंटे होती है ना ही पास में पुलिस थाने होते हैं। इस कारण अपराधी, अपराध को अंजाम देने में देर नहीं लगाता है।
स्मरणीय है कि पिछले दो साल में कई तेंदुए भी महू मानपुर के जंगल में मृत पाए गए हैं जिनकी मौत को लेकर भी शिकार होने का अंदेशा पुख्ता होता रहा है। यानी एक तरफ लोग घूमने फिरने को लेकर शिकार हो रहे हैं तो दूसरी ओर बेगुनाह जानवर भी मारे जा रहे हैं। इससे साफ लगता है कि पुलिस प्रशासन और वन विभाग की चौकसी बे असर दिखाई है।
*आर्मी अफसर को बंधक बनाकर लूट, अपहरण का मामला..*
ताजा मामला बीते मंगलवार और बुधवार की दरमियानी रात का है जिसमें बताया जाता है कि दो युवा सैनिक अफसर दो युवतियों को लेकर आधी रात को महू तहसील के जाम गेट के पास सूने स्थल पर पहुंचे थे। मिली जानकारी के अनुसार एक सैनिक ऑफिसर युवती को लेकर वीरान क्षेत्र में चला गया, जबकि दूसरा गाड़ी में ही युवती के साथ बैठा रहा। इसकी भनक लगने पर रात के अंधकार में कुछ बदमाशों ने धावा बोल दिया। उन्होंने दोनों अफसर और युवतियों के साथ मार पीट की और एक सैन्य अफसर और युवती को बंधक बनाकर 10 लाख रुपए की फिरौती मांगी। पैसे नहीं होने पर एक सैनिक अफसर और युवती को यह कहकर छोड़ा कि पैसे नहीं आए तो इन दोनों को मार दिया जाएगा। जान बचाकर भागे युवा अफसर ने समझदारी से काम लेते हुए अपने वरिष्ठ अफसर को सारी जानकारी दी। इस पर से पुलिस और वरिष्ठ सैन्य अफसर तत्काल घटनास्थल की ओर रवाना हुए। फोर्स आता देख अंधेरे का लाभ उठाकर बदमाश भाग खड़े हुए।
उक्त मामले में युवती का मेडिकल महू के अस्पताल में हुआ है और शंका की जा रही की युवती को बदमाशों ने बलात्कार किया था, लेकिन युवती इस बात से लगातार इनकार कर रही है और पुलिस अभी जांच में लगी हुई है। इधर पता चला है यंग ऑफीसरों को वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने कड़ी हिदायतें दी है।
*पुलिस सरगना ईश्वर भील को आज तक नहीं खोज पाई..*
ताजी घटना के परिपेक्ष्य में कुख्यात आरोपी ईश्वर भील का खौफनाक कृत्य सामने आ जाता है। यह पुलिस की असफलता और निष्क्रियता का सबूत है कि सन 2017 – 18 में हुई संगीन वारदातों में शामिल कुख्यात ईश्वर पिता अनिल भील निवासी कोदरिया को पुलिस हत्याकांड, लूटपाट और अपहरण करने के मामले में आज तक नहीं खोज पाई है।
ईश्वर भील पर आरोप है कि उसने 2017 में कोदरिया निवासी श्रेया पिता मनोज जोशी और धारनाका महू निवासी हिमांशु पिता मुकेश सेन की हत्या जंगल में कर दी थी, जब यह दोनों 6 नवंबर 2017 को बामनिया कुंड के जंगल में सूने स्थान पर घूमने चले गए थे।
गौरतलब है कि तत्समय दोनों गुमशुदा युवक युवती के अभिभावकों द्वारा गुमशुदगी दर्ज कराने के बाद भी पुलिस ने उन्हें तत्परता से खोजना उचित नहीं समझा था। मामला 2018 में सामने आया था जब इंदौर के एक निजी कॉलेज के 7 स्टूडेंट महू तहसील में घूमने आए थे और बदमाशों ने उनके साथ लूटपाट कर ली थी। पुलिस द्वारा बदमाशों को पकड़ने के बाद पूछताछ में ईश्वर भील के कृत्य सामने आए थे और तब पुलिस ने पाया था की हिमांशु और श्रेया की तो अपहरण, लूटपाट के बाद हत्या कर दी गई थी।
पुलिस तब से लेकर आज दिनांक तक ईश्वर भील को खोज नहीं पाई। जबकि ईश्वर भील के बारे में बताया जाता है कि उसने गोवा भाग कर शरण ली थी और वहां भी एक अपराधिक घटना में वह गिरफ्तार हुआ था। लेकिन गोवा में पुलिस को चकमा देकर वह भाग खड़ा हुआ था। इसके बाद से आज तक पुलिस ने ईश्वर भील का पता लगाना उचित नहीं समझा और इसी का नतीजा यह है कि महू के जंगलों में आज भी बदमाशों का गिरोह सक्रिय है और हो सकता है ईश्वर भील इन्हीं इलाकों में छुपा हुआ वारदातों को अंजाम दे रहा हो।
यहां देर रात आने वाले युवक युवतियों के साथ क्या-क्या होता है यह कृत्य तभी सामने आता है जब पुलिस को पता चलता है। अन्यथा रात के अंधेरे में न जाने कितने अपराध गुप्त हो जाते हैं, जब पीड़ित लोग अपनी इज्जत की खातिर पुलिस को शिकायत नहीं कर पाते।
*पर्यटन स्थलों की सुरक्षा दी जाए ग्राम वासियों को…*
पुलिस सुरक्षा और वन विभाग द्वारा पर्यटन स्थलों की सुरक्षा करना एक टेढ़ी खीर है। क्योंकि इनके पास इतना स्टाफ नहीं होता है कि यह दर्जन भर पर्यटन स्थलों पर आने-जाने वालों पर निगाह रख सके। इसके लिए यह सुझाव है कि पर्यटन स्थल के आसपास रहने वाले गांव के युवाओं को ही यह जिम्मेदारी दी जाए कि वह देर रात या अल सुबह आने वाले व्यक्तियों की जानकारी रजिस्टर में दर्ज करें ताकि किसी भी वारदात में उक्त जानकारी से पुलिस को सहायता मिल सके। इसके अलावा इससे यह भी होगा कि देर रात या अल सुबह इन सूने पर्यटन स्थलों पर आने से लोग घबराने लगेंगे।