

‘Missile Defense System’ Deployed : मक्का शहर के चारों तरफ ‘मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम’ तैनात, आखिर किससे और क्यों खतरा है इस पवित्र शहर को!
‘मीडियावाला’ के स्टेट हेड विक्रम सेन की रिपोर्ट में इस ख़बर का हर पहलू
New Delhi / Makka : सऊदी अरब ने हज यात्रियों की सुरक्षा के लिए मक्का के चारों तरफ़ ज़मीन से हवा में मार करने वाले अमेरिकी पेट्रियट मिसाइल सिस्टम को तैनात किया है। हर 24 घंटे में एक सैन्य हेलीकॉप्टर मस्जिद अल-हराम और उसके चारों तरफ़ के इलाक़े की निगरानी एवं सुरक्षा कर रहा हैं। इतनी सुरक्षा व्यवस्था का कारण बताते हुए सऊदी रक्षा मंत्रालय ने जानकारी दी कि ‘एयर डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़’ वह आंख जो कभी पलक नहीं झपकाती और उनका मिशन ख़ुदा के मेहमानों की हिफ़ाज़त करना है।
आधुनिक सुरक्षा प्रणालियों के साथ अन्य व्यवस्था का मक़सद मक्का और मदीना में हज के दौरान तीर्थ यात्रियों को बेहतर से बेहतर सुविधा देना है। इसके लिए मक्का शहर में क्राउड मैनेजमेंट, ट्रैफ़िक और इमरजेंसी की स्थिति से निपटने के लिए भी कई व्यवस्थाएं की गई है। हज के दौरान हज यात्रियों की सुरक्षा और किसी भी इमरजेंसी की हालत में मदद पहुंचाने के लिए ड्रोन्स से भी निगरानी हो रही है। जबकि, हज यात्रियों की पांच हज़ार कैमरों की मदद से निगरानी की जा रही है।
इस साल भी यहां दुनियाभर से लाखों हाजी हज का फ़र्ज़ अदा करने के लिए जमा हुए हैं। आशंका है कि ऐसे में यमन के हूती मक्का शहर पर हमला कर सकते हैं। इस कारण मक्का में इतना बड़ा और जबरजस्त डिफ़ेंस सिस्टम यमन के हूती लड़ाकों के संभावित हमले से बचाव के लिए लगाया है।
हुतियों से मक्का को खतरा क्यों
हुती हमलों से मक्का शहर की सुरक्षा पहले से चाक चौबंद है। सऊदी अरब के नेतृत्व में हूतियों के ख़िलाफ़ फ़ौजी कार्रवाइयां शुरू होने के आरोप के बाद से कथित तौर पर हूती लड़ाकों ने सऊदी अरब के शहरों को मिसाइल से निशाना बनाने का प्रयास किया है। दूसरी तरफ़ सऊदी अरब अतीत में हूतियों पर मिसाइल से मक्का हमला करने का आरोप लगाता रहा है। 22 मई 2019 सोमवार की सुबह, सऊदी मीडिया ने बताया था कि राज्य की हवाई सुरक्षा ने पवित्र शहर मक्का से 65 किलोमीटर पूर्व में ताइफ शहर के ऊपर और मक्का से 65 किमी पश्चिम में बंदरगाह शहर जेद्दा के ऊपर दो बैलिस्टिक मिसाइलों को मार गिराया था। मक्का के पास मिसाइलों को मार गिराने से एक सप्ताह पहले, हुती आंदोलन, जिन्हें अंसार अल्लाह के नाम से भी जाना जाता है और जिन्होंने मुख्य रूप से शिया इस्लाम के जैदी स्कूल के अनुयायियों से बना है, इन्होंने पूर्वी सऊदी अरब के तेल क्षेत्रों से लाल सागर पर यानबू बंदरगाह तक चलने वाली पाइपलाइन पर ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली थी।
मिसाइलों को मार गिराए जाने के अगले दिन, उन्होंने दक्षिण-पश्चिमी सऊदी शहर नज़रान में हुतियों ने एक सैन्य हवाई अड्डे पर ड्रोन हमले की जिम्मेदारी ली थी। हुतियों ने यह भी घोषणा की, कि उनके पास सऊदी अरब और यूएई में 300 सैन्य ठिकानों की सूची है, जिन्हें वे निशाना बनाने की योजना बना रहे हैं। हालांकि, जहां तक मक्का पर हमले (पास के शहरों पर) का सवाल है, हुतियों ने जिम्मेदारी से साफ इनकार किया था। उनके सैन्य प्रवक्ता ब्रिगेडियर याह्या सारी ने सोशल मीडिया पर कहा कि सऊदी शासन इन आरोपों के जरिए हमारे महान यमनी लोगों के खिलाफ अपने क्रूर हमले के लिए समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहा है।
मक्का की पवित्र मस्जिद के इमाम अब्दुल रहमान अल-सुदैस ने इस पर जवाब देते हुए कहा था ‘यह कृत्य, चाहे किसी भी पक्ष द्वारा किया गया हो, एक कायरतापूर्ण और असफल हमला है, जबकि हम कृपा और आशीर्वाद के महीने, रमजान के महीने में हैं
लेकिन, इस हमले पर सबसे ज़्यादा प्रतिक्रिया ट्विटर (अब x) पर देखने को मिली थी। अंग्रेज़ी भाषा के हैशटैग #Houthis_Strike_Mecca का इस्तेमाल ट्विटर पर करीब 48 घंटों में करीब 12,900 बार किया गया, जिसमें ट्विटर यूज़र्स ने ईरान को दोषी ठहराया था।
कुछ ट्वीट्स में सांप्रदायिकता की हद तक छवियों का इस्तेमाल किया गया था, जबकि अन्य में सऊदी किंग सलमान और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की प्रशंसा और महिमा का बखान किया गया था। इस हैशटैग का अरबी समकक्ष हुतीयो के कथित लक्ष्य के बारे में अधिक विशिष्ट था। इसका शाब्दिक अनुवाद है #हूथिस_टारगेट_द_काबा_ऑफ_द_मुसलमानों और हमले के बाद 48 घंटों में इसे 111,000 बार इस्तेमाल किया गया।
ट्वीट्स की विषयवस्तु और भाषा बहुत समान थी। इस विचार पर जोर दिया गया कि इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल और लाखों तीर्थयात्रियों को निशाना बनाया गया। यह एक भयानक अपवित्र कृत्य था, ईरान जिम्मेदार था और मक्का की रक्षा करने, मिसाइलों को मार गिराने और आम तौर पर ईरान प्रायोजित हुती के खिलाफ खड़े होने के लिए सऊदी सेना प्रशंसा की हकदार थी। एक तरफ सऊदी अरब, यूएई और अमेरिका तथा दूसरी तरफ ईरान के बीच तनाव बढ़ रहा है। जबकि पूर्ण पैमाने पर संघर्ष की संभावना कम ही लगती है, मक्का क्षेत्र के शहरों पर कथित हुती या किसी अन्य आतंकी हमलों को रोकना सऊदी अरब सरकार की प्राथमिकता है। इस प्रकार सऊदी अरब के शासकों और उसकी सेना की इस्लाम के पवित्र स्थलों के रक्षक के रूप में वैधता को बहाल करना प्रथम कर्तव्य भी है।
मक्का शहर में हज यात्रा प्रारंभ
ज्ञात हो कि सऊदी अरब में 4 जून से हज यात्रा शुरू गई। इसके लिए रविवार तक 14 लाख रजिस्टर्ड तीर्थयात्री मक्का पहुंच चुके हैं। जबकि, लाखों लोग का आना बाकी है। यह यात्रा इस्लामी कैलेंडर के 12वें महीने जिल-हिज्जा की 8वीं से 12वीं तारीख (2025 में 4-9 जून) के बीच होती है।
हज इस्लाम धर्म के पांच मूल स्तंभों में से एक है। हर साल दुनिया भर से लगभग 25 लाख मुस्लिम इस पवित्र यात्रा में शामिल होते हैं। इस साल भारत से लगभग 1.75 लाख लोग मक्का पहुंचेंगे। हज के दौरान मुस्लिम काबा (बैतुल्लाह) की परिक्रमा करते हैं और अल्लाह की इबादत में समय बिताते हैं। हज मुस्लिमों के लिए पापों से मुक्ति, आध्यात्मिक शुद्धि और अल्लाह के करीब आने का मौका है।
मुस्लिमों के लिए इसलिए जरूरी है हज
हज मुसलमानों का एक आध्यात्मिक और अनिवार्य धार्मिक कर्तव्य है। हर वो मुस्लिम जो शारीरिक, आर्थिक और मानसिक तौर पर सक्षम और स्वस्थ है, उसके लिए अपने जीवन में कम से कम एक बार हज करना अनिवार्य है। हज की शुरुआत पैगंबर इब्राहिम के समय से मानी जाती है। माना जाता है कि इब्राहिम और उनके बेटे इस्माइल ने अल्लाह के आदेश पर काबा का निर्माण किया था।
628 ईस्वी में पैगंबर मोहम्मद ने पहली इस्लामी हज की शुरुआत की। 632 ईस्वी में उन्होंने हज के आधुनिक स्वरूप को स्थापित किया, जो आज भी मुस्लिम मानते हैं। एक मुस्लिम अपने जीवन में कितनी भी बार हज कर सकता है। हालांकि, सऊदी अरब के हज मंत्रालय और कई देशों की सरकारों ने भीड़ को कंट्रोल करने के लिए नियम बनाया है कि एक इंसान पांच साल में सिर्फ एक बार हज कर सकता है। सऊदी अरब में रहने वाले लोगों पर 5 साल का नियम उतनी सख्ती से लागू नहीं होता। लेकिन, उन्हें भी हज के लिए आधिकारिक परमिशन लेनी होती है।