MLA Fund: चुनावी साल में भी एमएलए फंड खर्च करने में कंजूसी, 50 फीसदी राशि वितरित नहीं

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MLA Fund: चुनावी साल में भी एमएलए फंड खर्च करने में कंजूसी, 50 फीसदी राशि वितरित नहीं

भोपाल: चुनावी साल प्रदेश भाजपा और कांग्रेस समेत सभी दलों के विधायक क्षेत्रीय जनता के लिए विधायक निधि के भंडार खोलने में कंजूसी कर रहे हैं। चालू वित्तीय वर्ष के 10 महीने बीतने को हैं लेकिन विधायक निधि के रूप में मिलने वाली राशि का 50 फीसदी हिस्सा भी अब तक खर्च नहीं हो सका है। ऐसे में अब चुनावी जोड़-तोड़ के हिसाब से सभी जिलों में विधायकों द्वारा अगले 2 महीनों में विधायक निधि की राशि तेजी से खर्च की जाएगी। सभी विधायकों द्वारा अब तक सिर्फ 269 करोड रुपए ही खर्च किए गए हैं।

एमएलए फंड की राशि खर्च करने में सामान्य सीटों के विधायकों की कंजूसी ज्यादा दिखाई दे रही है। इसके विपरीत एससी और एसटी सीटों से चुनकर आने वाले विधायक जनता के लिए फंड की राशि ढीली करने में थोड़ा सा बेहतर हैं। चूंकि भाजपा की सरकार ने पहले आदिवासी बहुल क्षेत्रों में ज्यादा फोकस किया है और अब एससी वर्ग को साधने में जुटी है। इसलिए ऐसे क्षेत्रों में बीजेपी के साथ कांग्रेस के विधायक भी अपने स्तर पर सक्रिय हैं। इसमें शहडोल, डिंडोरी, मंडला, अलीराजपुर और झाबुआ जैसे आदिवासी बहुल क्षेत्र शामिल हैं, और अनुसूचित जाति बहुल क्षेत्रों में भिंड, मुरैना, टीकमगढ़, रीवा और रायसेन शामिल हैं।

ऐसा है खर्च का गणित
विधायक निधि की राशि खर्च करने के लिए विधायकों को कुल 577.50 करोड़ रुपए मिलते हैं। चालू वित्त वर्ष में अब तक 574.10 करोड़ रुपए का बजट दिया जा चुका है। इसके विपरीत खर्च हुई राशि 269.10 करोड़ रुपए ही है जबकि अब वित्त वर्ष की समाप्ति के 65 दिन ही शेष बचे हैं। सामान्य कैटेगरी के विधायक 206.61 करोड़ रुपए खर्च नहीं कर सके हैं। ऐसे में प्रदेश के सभी 230 विधायकों को मिलने वाले विधायक निधि के बजट का पचास फीसदी हिस्सा भी अब तक जनता के हित में खर्च नहीं हो सका है।

आंकड़े बता रहे विधायक गंभीर नहीं
विधायक निधि की राशि खर्च करने में सबसे कमजोर स्थिति सामान्य सीटों पर जीतकर आने वाले विधायकों की है। इन विधायकों को 372.50 करोड़ रुपए मिलते हैं जिसमें से 369.14 करोड़ रुपए का बजट दिया गया। इसके विपरीत सामान्य कैटेगरी के एमएलए सिर्फ 162.53 करोड़ रुपए ही अपने क्षेत्र की जनता को विकास कार्यों के लिए दे सके हैं। इसी तरह एसटी कैटेगरी के विधायकों के लिए 117.50 करोड़ रुपए हर वित्त वर्ष में दिए जाते हैं, जिसमें से 61.57 करोड़ रुपए ये विधायक खर्च कर सके हैं। एससी कैटेगरी के विधायकों को 87.50 करोड़ रुपए मिलते हैं जिसमें से 45 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में एसटी की 47 और एससी कैटेगरी की 35 सीटें आरक्षित हैं। बाकी विधानसभा क्षेत्र सामान्य कैटेगरी के लिए आरक्षित हैं।