आनंदपुर धाम में ‘अद्वैत बाबा’ बन गए मोदी…

173

आनंदपुर धाम में ‘अद्वैत बाबा’ बन गए मोदी…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट-2025 के ठीक 45 दिन बाद 11 अप्रैल 2025 को मध्यप्रदेश आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आनंदपुर धाम पहुंचकर यह बता दिया कि आनंदपुर धाम अद्वैत भाव से निष्काम सेवा कर आनंद बरसा रहा है, तो उनकी सरकार भी अद्वैतमय होकर देशवासियों के लिए समर्पित होकर सबके दु:ख हरने में जुटी है। मोदी ने यह तथ्यों सहित साबित करने की पूरी कोशिश भी की। हालांकि यह कतई जरूरी नहीं है कि देश की 140 करोड़ आबादी इससे सहमति जताए, पर यह बात भी सही है कि इसे सिरे से नकारा भी नहीं जा सकता है। जय सच्चिदानंद जी, संबोधन से अपनी बात शुरू करते हुए मोदी ने साझा किया कि आनंदपुर धाम में आकर आज मन अभिभूत है। अभी मैंने गुरु जी महाराज के मंदिर में दर्शन किए। वाकई, हृदय आनंद से भर गया है।

पहले आनंदपुर धाम और केंद्र सरकार के अद्वैतमय होने की मोदी वाणी पर गौर कर लें। मोदी ने कहा कि अभी कुछ देर पहले मेरी छठे पादशाही स्वामी श्री विचार पूर्ण आनंद जी महाराज से चर्चा हो रही थी। पहले पादशाही परमहंस दयाल- महाराज जी के विचारों के साथ-साथ वो मुझे आनंदधाम के सेवाकार्यों के बारे में भी बता रहे थे। यहाँ साधना के जो 5 नियम तय किए गए हैं, उनमें निष्काम सेवा भी एक है। निष्काम भाव से गरीब-वंचित की सेवा, नर सेवा में नारायण सेवा को देखने की भावना, ये हमारी संस्कृति का आधार है। मुझे बहुत खुशी है कि, सेवा की इसी संस्कृति को आनंदपुर ट्रस्ट पूरे मनोयोग से आगे बढ़ा रहा है। ट्रस्ट द्वारा संचालित अस्पताल में हजारों मरीजों का इलाज होता है। इलाज के लिए मुफ्त शिविर लगाए जाते हैं। गौसेवा के लिए एक आधुनिक गौशाला भी चलाई जाती है। नई पीढ़ी के निर्माण के लिए ट्रस्ट की ओर से कई स्कूल भी चलाये जा रहे हैं। और इतना ही नहीं, आनंदपुर धाम पर्यावरण संरक्षण के जरिए पूरी मानवता की बड़ी सेवा कर रहा है। मुझे बताया गया है, आश्रम के अनुयायियों ने हजारों एकड़ बंजर जमीन को हरा-भरा बनाया है। आज इस आश्रम द्वारा लगाए गए हजारों पेड़ परमार्थ के काम आ रहे हैं।

और फिर अपनी सरकार के कामों को आंखों के सामने लाते हुए मोदी बोले कि सेवा की यही भावना आज हमारी सरकार के हर प्रयास के केंद्र में है। आज हर जरूरतमंद प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के कारण खाने की चिंता से मुक्त है। आज हर गरीब और बुजुर्ग आयुष्मान योजना के कारण इलाज की चिंता से मुक्त है। आज हर गरीब पीएम आवास योजना के कारण अपने पक्के घर की चिंता से मुक्त हो रहा है। आज जलजीवन मिशन योजना के कारण गाँव-गाँव में पानी की समस्या का समाधान हो रहा है। देश में रिकॉर्ड संख्या में नए एम्स, आईआईटी और आईआईएम खुल रहे हैं। गरीब से गरीब वर्ग के बच्चों के सपने साकार हो पा रहे हैं। हमारा पर्यावरण स्वच्छ हो, प्रकृति संरक्षित रहे, इसके लिए सरकार ने ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान भी शुरू किया है। आज इस अभियान के तहत करोड़ों पेड़ देश में लगाए जा चुके हैं। देश इतने बड़े स्तर पर इतना कुछ कर पा रहा है, तो इसके पीछे हमारा सेवाभाव ही है। गरीब और वंचित के उत्थान का संकल्प ‘सबका साथ, सबका विकास’ का मंत्र, सेवा की ये भावना, आज ये सरकार की नीति भी है और निष्ठा भी है।

निश्चित तौर से जहां आनंदपुर धाम जाति-धर्म से परे होकर सर्वजनहिताय और सर्वजनसुखाय के भाव से सेवा प्रकल्प चला रहा है, तो मोदी सरकार के कल्याणकारी काम भी सर्वजनहिताय और सर्वजनसुखाय की भावना से भरे हैं। सभी सरकारी योजनाएं सभी नागरिकों को समभाव से लाभ पहुंचा रही हैं। अस्पतालों में सबका इलाज हो रहा है, शिक्षा के अवसर सभी को मिल रहे हैं, पीएम आवास सबके लिए हैं, जलजीवन मिशन सभी के लिए है। तो यह मानना ही पड़ेगा कि आनंदपुर धाम अद्वैतमय है तो केंद्र सरकार भी अद्वैतमय होकर समभाव से कल्याणकारी योजनाएं चला रही है। और गहराई में जाएं तो मोदी का भाव यही है कि प्रथम पादशाही श्री श्री एक सौ आठ श्री स्वामी अद्वैत आनंद जी महाराज ने आनंदपुर में अद्वैत की जो गंगा बहाई थी और जो आज भी आनंदपुर धाम में चरितार्थ है, उसी अद्वैतमय भाव से मोदी सरकार के सभी कार्य हो रहे हैं।

अब हो सकता है कि लोगों की समझ में अद्वैत का भाव और अर्थ ही समझ में न आ रहा हो, तो मोदी ने सरल शब्दों में उसकी व्याख्या भी कर दी। मोदी ने कहा कि आज दुनिया में भौतिक उन्नति के बीच मानवता के लिए युद्ध, संघर्ष और मानवीय मूल्यों से जुड़ी कई बड़ी चिंताएँ भी हमारे सामने हैं। इन चिंताओं, इन चुनौतियों की जड़ में क्या है? इनकी जड़ में है- अपने और पराए की मानसिकता। वो मानसिकता- जो मानव को मानव से दूर करती है। आज विश्व भी सोच रहा है, इनका समाधान कहाँ मिलेगा? इनका समाधान मिलेगा, अद्वैत के विचार में! एक समय था, जब आदि शंकराचार्य जैसे आचार्यों ने अद्वैत दर्शन के गहरे ज्ञान की व्याख्या की थी। इसी परंपरा में पूज्य अद्वैत आनंद जी महाराज ने भारत के जन-सामान्य तक इसे पहुंचाने का बीड़ा उठाया। अद्वैत यानी, जहां कोई द्वैत नहीं है। अद्वैत यानी, जीव मात्र में एक ही ईश्वर को देखने का विचार! इससे भी आगे, सम्पूर्ण सृष्टि को ईश्वर का स्वरूप देखने की सोच ही अद्वैत है। इसी अद्वैत सिद्धान्त को परमहंस दयाल महाराज सरल शब्दों में कहते थे- जो तू है सो मैं हूं। सोचिए, कितनी सुंदर बात है, जो तू है सो मैं हूं। ये विचार ‘मेरे और तुम्हारे’ का भेद खत्म कर देता है। और विचार सब मान लें तो सारे झगड़े ही खत्म हो जाएं।

तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अशोकनगर में शोकमुक्त होकर पूरी तरह से ‘अद्वैत बाबा’ के रूप में नजर आए, जिसका असर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव पर भी नजर आया। मोहन ने कहा कि गरीबों की सेवा करो, और उनकी आत्मा में रच-बस जाओ, यही परमार्थ है, यही सच्ची मानव सेवा है। गुरुजी महाराज की सेवा भावना से हमें भी प्रेरणा मिलती है। शांति का जो पाठ उन्होंने समाज को दिया है वह अनुकरणीय है। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि गुरु जी महाराज ने इस आनंदधाम को सेवा का केंद्र बनाया है। हमारी सरकार भी ऐसा ही सेवा केंद्र बनाएगी। हम गौमाता की भी सेवा करेंगे।

सार यही है कि एक दिन पहले गडकरी ने मालवा में मध्यप्रदेश को सराहा था, तो दूसरे दिन ही मोदी अशोकनगर जिले के आनंदपुर धाम में मध्यप्रदेश की सराहना करते आनंदित नजर आए। और आनंदपुर धाम में सभी अद्वैतमय हो गए। तो बस यही चाह है कि अद्वैत का भाव जन-जन के मन में समा जाए। मोदी-मोहन के मन मेें है, तो राहुल-ममता के मन में भी रहे। एनडीए के मन में रहे तो इंडिया गठबंधन के मन में भी बसे। नौकरशाहों के मन में भी रहे और हर सरकारी नौकर के मन में रहे। तब ही सत, चित, आनंद यानि सच्चिदानंद की अनुभूति की जा सकेगी। तब ही जनसामान्य को आनंदपुर धाम के अद्वैतमय होने और मोदी सरकार या यूं कहें कि सरकारों के अद्वैतमय होने की सही अनुभूति हो सकेगी…।