मोदी’ के मन में ‘मोहन’ हैं…

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‘मोदी’ के मन में ‘मोहन’ हैं…

भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों में इस समय अगर किसी नाम की चर्चा है, तो वह मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव की ही है। हरियाणा में विधायक दल के नेता के चयन की खानापूर्ति के लिए अगर भाजपा ने ऑब्जर्वर के लिए दो नाम तय किए, तो उनमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का है। और इसके जरिए ही भाजपा के केंद्रीय संगठन और खास तौर से मोदी-शाह ने बड़ा संदेश पूरे देश को दे दिया है। और संदेश यही है कि मोहन का कद अपने समकक्ष भाजपा के मुख्यमंत्रियों में सबसे बड़ा है। और संदेश मध्यप्रदेश के मोहन कैबिनेट के उन कद्दावर नेताओं को भी है, जो कहीं न कहीं मोहन के कद को आंकने में थोड़ा भी संशय में हों। हरियाणा में विधायक दल के नेता के चयन में शाह के संग मोहन को चुना जाना कहीं न कहीं शाह की पसंद पर भी मुहर लगा रहा है। इस एक तीर से मोदी-शाह और केंद्रीय भाजपा नेतृत्व ने कई निशाने साध दिए हैं। और साफ कर दिया है कि मोहन के बारे में कोई गलतफहमी में न रहे। किसी ने मोहन को कम आंकने की भूल की, तो वह बड़ी भूल कर सकता है। विधानसभा चुनाव से पहले तक मोदी के मन में मध्यप्रदेश था, तो अब विधानसभा चुनाव के बाद मोदी के मन में मध्यप्रदेश का मोहन है। और जो मोदी के मन में है, वही शाह के मन में रहता है। और आज भाजपा में जो मोदी-शाह के मन में है, वही भाजपा में कमल की तरह खिलने का पूरा हकदार है।

मध्यप्रदेश में डॉ. मोहन यादव ने छत्तीसगढ़ और राजस्थान के नए नवेले मुख्यमंत्रियों के साथ भले ही दस माह का कार्यकाल पूरा किया हो, पर यह साफ हो गया है कि केंद्रीय नेतृत्व की नजर में डॉ. मोहन यादव का कद विष्णु साय और भजनलाल से बहुत आगे है। संकेत यह भी है कि दस माह में डॉ. मोहन यादव ने मध्यप्रदेश में विकास का मोहन मॉडल की जो लकीर खींची है, वह मोदी-शाह के मन को भा गई है। मध्यप्रदेश की सभी 29 लोकसभा सीटों को भाजपा की झोली में डालकर वैसे भी मोहन ने मोदी-शाह के मन में अपनी खास जगह बनाने में सफलता हासिल की थी। तो उसके बाद कई राज्यों में चुनाव प्रचार कर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है। तो हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी के प्रत्याशियों के लिए धुआंधार प्रचार किया था। उन्होंने जहां-जहां रैलियां कीं, वहां-वहां भाजपा को जीत भी मिली।मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को हरियाणा में विधायक दल का नेता चुनने के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक चुनने की एक वजह ये भी मानी जा रही है। हरियाणा में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एग्जिट पोल्स को धता बताते हुए यहां लगातार तीसरी बार शानदार जीत दर्ज की है। यह इतिहास में पहली बार है कि किसी पार्टी ने हरियाणा में हैट्रिक लगाई है। हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा को 48 सीटें मिलीं। इस चुनाव में कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है।

भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने हरियाणा विधानसभा चुनाव में सीएम डॉ. मोहन यादव को स्टार प्रचारक बनाया था। उन्होंने भिवानी, दादरी, तोशाम, झज्जर और बवानी खेड़ा विधानसभाओं में रैलियों को संबोधित किया था। इन सभी सीटों पर भाजपा चुनाव जीत गई है। भिवानी विधानसभा में घनश्याम सर्राफ, दादरी विधानसभा में सुनील सतपाल, तोशाम विधानसभा में श्रुति चौधरी, बवानी खेड़ा विधानसभा में कपूर सिंह और झज्जर विधानसभा में कप्तान बिरधाना ने जीत दर्ज की है। इससे सीएम यादव की लोकप्रियता बढ़ी है।

वैसे जातिगत फैक्टर हरियाणा की राजनीति की धुरी माना जाता है। राज्य के पश्चिमी हिस्से की राजनीति में जाट समुदाय राजनीतिक समीकरणों में उलटफेर करता है। पर केन्द्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रभाव से जाट राजनीति प्रभावित हुई है। खास बात यह है कि ओबीसी फैक्टर और अहीरवाल बेल्ट में मतदातों का झुकाव तेजी से भाजपा के प्रति बढ़ा है। डॉ. मोहन यादव जैसे राजनेताओं ने अहीरवाल बेल्ट में जातियों के बड़े वोट बैंक को साधा है। इससे सीएम यादव की लोकप्रियता हाल के दिनों में तेजी से बढ़ी है। ओबीसी और खास तौर से यादव वोट बैंक को लुभाने में डॉ. यादव का चेहरा प्रभावी साबित हो रहा है। इस वजह से भाजपा उनके चेहरे को यादव समुदाय प्रभावित क्षेत्रों में खास तौर पर भुना रही है। इस तरह डॉ. यादव केंद्रीय नेतृत्व और मोदी-शाह की उम्मीदों पर खरे उतर रहे हैं। और इसीलिए मध्यप्रदेश को विकास के नए आयामों पर लेकर जाने में जुटे डॉ. मोहन यादव ने दस माह में ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मन में अपनी खास जगह बना ली है।और पर्यवेक्षक में शाह के साथ मोहन का नाम यही साबित कर रहा है कि ‘मोदी के मन में मोहन हैं…।’