महाकाल की नगरी में धर्म और आध्यात्ममय रहे मोदी, कोसों दूर रही राजनीति…
महाकाल की नगरी में राजा महाकाल की ही चलती है। मंगलवार 11 अक्टूबर 2022 का दिन वैसे तो मोदी के मेगा शो का दिन था। पर वह पूरे समय महाकाल का नाम ही रटते रहे। मोदी जब महाकाल के सामने पहुंचे तो पूरी तरह से महाकालमय हो गए। और जब महाकाल लोक का लोकार्पण किया तो ऐसा लगा कि महाकाललोकमय हो गए। और जब मंच पर पहुंचे तो पूरी तरह महाकाल का गुणगान ही करते रहे। बहुत हिम्मत की तो देश में विज्ञान शोध का हवाला देकर रक्षा के क्षेत्र में भारत की धाक की बात कह पाए। और इसमें भी देश के युवाओं द्वारा डंका बजाने का हवाला देना भी नहीं भूले। मेगा शो तो मोदी का था ही, पर पूरी तरह धर्म और आध्यात्म में लिपटा हुआ।
सभा में भीड़ दोपहर बाद जुटती रही और शाम तक हजारों की संख्या में लोग सभा स्थल पर जुट गए। मोदी महाकाल मंदिर में पहुंचकर करीब छह बजे सभा स्थल के बड़े स्क्रीन्स पर प्रकट हुए, तो भीड़ उत्साह से भर गई। फिर करीब एक घंटे तक महाकाल मंदिर में पूजा-अर्चना सहित मोदी ध्यानमग्न हुए। कैमरा स्क्रीन से पुजारी भी नदारद, ध्यान में मोदी और महाकाल। मोदी जब महाकाल की शरण में मौन और ध्यानमग्न थे, तब सभा स्थल में जनता उन्हें देख शोरमय थी। फिर मोदी नंदी के पास भी बैठे। ऐसे लगा जैसे कानाफूसी करेंगे, पर नहीं की। फिर हुआ महाकाल लोक का लोकार्पण और ई-रिक्शा में महाकाल कॉरिडोर की सैर। आगे बैठे मोदी और पीछे राज्यपाल मंगू भाई पटेल और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान। महाकाल लोक में मोदी ने संतों से आशीर्वाद भी लिया और लोक कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुति के बीच भव्य लोक की यात्रा भी की। शिवराज कहीं-कहीं गाइड की भूमिका में नजर आए।
इसके बाद मोदी पहुंचे सभा स्थल। तब तक मंच पर मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड के राज्यपाल, मुख्यमंत्री शिवराज, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा, केंद्रीय मंत्री, मंत्री भूपेंद्र सिंह, मोहन यादव और उज्जैन महापौर बैठ चुके थे। औपचारिकताओं का समय न लेकर मुख्यमंत्री शिवराज ने भाषण शुरू कर खुलासा किया कि महाकाल लोक की नींव तो 2016 में तब ही पड़ गई थी, जब मोदी महाकाल की शरण में आए थे। टेंडर वगैरह भी शुरू हो गया था। 2018 के बाद थोड़ी बाधा आई, उसके बाद फिर काम तेजी से हो गया। और परिणाम भव्य, दिव्य और आनंदित करने वाला महाकाल लोक सबके सामने है। महाकाल लोक वास्तव में ऐसा है कि मन रमा का रमा रह जाए और आंखें फटी की फटी रह जाएं। और शिव का पूरा जीवन जीकर श्रद्धालु भी शिव दर्शन का प्रकांड ज्ञाता बन जाए। खैर शिवराज ने बताया कि कल पानी बरस रहा था। आज आनंद बरस रहा है। मोदी जी पधारे हैं। महाकाल लोक का समर्पण मोदी ने महाकाल को ही किया है। 2016 में कहा था कि महाकाल के धाम में जो है, अब उससे आगे होना चाहिए। सुख भौतिकता से नहीं मिलता, आध्यात्मिकता जरूरी है सुख के लिए। और नींव उसी दिन पड़ी थी महाकाल लोक की। तो अंत में संकल्प दिलाया कि मोदी के नेतृत्व में नए भारत के निर्माण में हम सभी को अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करनी चाहिए।
इसके बाद मोदी ने महाकाल का नाम लेकर उज्जैन का जो वर्णन किया, उतना तो शायद ही किसी को ज्ञात रहा हो। ऊर्जा, उत्साह, अलौकिक असाधरण, अकल्पनीय,अविश्वसनीय अंत से अनंत जैसी शब्दावली से महाकाल की महिमा बखान की। भाई शिवराज सिंह चौहान उनकी सरकार का ह्रदय से अभिनंदन किया। साधु-संतों का आदरपूर्वक धन्यवाद किया। तो जोर दिया कि सफलता के परिचम को छूने के लिए जरूरी है कि राष्ट्र अपने सांस्कृतिक वैभव को छुए।कहा कि अतीत के गौरव के साथ भविष्य के स्वागत के लिए महाकाल कॉरिडोर तैयार हो चुका है। देश की आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और धार्मिक वैभव का बखान करते हुए भरोसा जताया कि इसका लाभ पूरे विश्व को मिलेगा। तो 11 अक्टूबर 2022 का दिन महाकाल की नगरी में मोदी के आध्यात्मिक और धर्ममय मेगा शो की ऐतिहासिक झलक दिखा गया। यहां राजनीति कोसों दूर खड़ी दिखाई दी।