Modi’s Address : ‘शिवम ज्ञानम’ इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है

महाकाल लोक के लोकार्पण के बाद प्रधानमंत्री ने विशाल सभा को संबोधित किया

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Modi’s Address : ‘शिवम ज्ञानम’ इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है

Ujjain : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शाम महाकाल परिसर में ‘श्री महाकाल लोक’ का लोकार्पण किया। इसके बाद प्रधानमंत्री ने एक विशाल सभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि उज्जैन भारत का केंद्र रहा है, बल्कि यह भारत की आत्मा का भी केंद्र रहा है। यह वह नगर है जो हमारी पवित्र सात नगरियों में से एक है। ये वो नगर हैं जहां भगवान कृष्ण ने भी आकर शिक्षा ग्रहण की थी।

Modi's Address : 'शिवम ज्ञानम' इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है

प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्जैन ने महाराजा विक्रमादित्य का प्रभाव देखा है, जिसने भारत के नए स्वर्णकार की शुरुआत की थी। महाकाल की धरती से विक्रम संवत के रूप में भारतीय कालगणना का एक नया अध्याय शुरू हुआ था। उज्जैन के क्षण-क्षण में पल-पल में इतिहास जिंदा हुआ है। कण-कण में अध्यात्म में समाया हुआ है और कोने-कोने में ईश्वरीय ऊर्जा संचालित हो रही है। यहां का कालचक्र 84 कल्पों का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां 84 शिवलिंग है, यहां 4 महावीर है, 6 विनायक है, नवग्रह हैं, 11 रुद्र है, 12 आदित्य हैं और 24 देवियां हैं। इन सबके केंद्र में राजाधिराज महाकाल विराजमान है यानी एक तरह से हमारे पूरे ब्रह्मांड की ऊर्जा को संचारित करते हैं।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि उज्जैन ने हजारों वर्षों तक भारत की संपन्नता और समृद्धि का ज्ञान और गरिमा का सभ्यता और साहित्य का नेतृत्व किया है। इस नगरी का वास्तु के साथ वैभव के साथ शिल्प सौंदर्य था। इसके दर्शन का उल्लेख महाकवि कालिदास ने मेघदूतम में किया है। बाणभट्ट ने इसे कवियों के काव्य में किया है। मध्यकाल के लेखकों ने भी यहां के स्थापत्य और वास्तुकला का गुणगान किया है। किसी राष्ट्र का सांस्कृतिक वैभव इतना विशाल तभी होता है, जब उसकी सफलता का परचम विश्व पटल पर लहरा रहा होता है।

मोदी ने उज्जैन के वैभव के बारे में कहा कि सफलता के शिखर तक पहुंचने के लिए भी यह जरूरी है कि राष्ट्र अपनी पहचान के साथ गौरव से सर उठा कर खड़ा हो जाए। इसलिए आज आजादी के अमृतकाल में भारत ने गुलामी की मानसिकता से मुक्ति और और अपनी विरासत पर गर्व जैसे पंचप्राण का आव्हान किया है। इसलिए आज आज अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण पूरी गति से हो रहा है। काशी में विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक राजधानी का गौरव बढ़ा रहा है। सोमनाथ में विकास के नए कीर्तिमान स्थापित हो रहे हैं। उत्तराखंड में बाबा केदार के आशीर्वाद से केदारनाथ और बद्रीनाथ के क्षेत्र में विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं।

Modi's Address : 'शिवम ज्ञानम' इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है

आजादी के बाद पहली बार चार धाम प्रोजेक्ट के जरिए हमारे चारों धाम एक मार्ग से जुड़ने जा रहे हैं। इतना ही नहीं, आजादी के बाद पहली बार करतारपुर साहब और हेमकुंड साहब एक रास्ते से जुड़ने जा रहे है। आध्यात्मिक चेतना के ऐसे कितने ही केंद्रों का गौरव पुनः स्थापित हो रहा है। अभी इसी कड़ी में यह भव्य अति भव्य महाकाल लोक भी अतीत के गौरव के साथ उनके स्वागत के लिए तैयार हो चुका है। आज जब हम उत्तर से दक्षिण तक पूरब से पश्चिम तक अपने प्राचीन मंदिरों को देखते हैं, तो उनकी विशालता, उनका वास्तु हमें आश्चर्य से भर देता है।


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प्रधानमंत्री ने कहा कि कोणार्क का सूर्य मंदिर हो या महाराष्ट्र के एलोरा का कैलाश मंदिर विश्व में सबको विस्मित कर देते हैं। कोणार्क सूर्य मंदिर की तरह गुजरात में भी सूर्य मंदिर भी है, जहां सूर्य की सीधी किरणें गर्भ गृह तक जाती है। इसी तरह तमिलनाडु के तंजौर में ब्रह्मदेव ईश्वर मंदिर है, कांचीपुरम में राजा पेरूमल मंदिर है। रामेश्वरम में रामनाथ स्वामी मंदिर है। चंद्रकेश का मंदिर है। मदुराई में मीनाक्षी मंदिर है। तेलंगाना में भी ऐसे कई मंदिर हैं।

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ऐसे जितने भी मंदिर हैं, वे बेजोड़ है। इनकी कल्पना अतीत है ना भूतो ना भविष्यति के यह जीवंत उदाहरण है। जब हम इन्हें देखते हैं, अब हम सोचने को मजबूर हो जाते हैं उस दौर में किस तरह इस तकनीक से मंदिरों का निर्माण हुआ होगा। हमारे प्रश्नों का उत्तर आज भले न मिलते हों, लेकिन इन मंदिरों के आध्यात्मिक संदेश हमें उतनी ही स्पष्टता से आज भी सुनाई देते हैं। पीढ़ियां इस विरासत को देखती हैं उसके संदेशों को सुनती है।

उज्जियन के महाकाल लोक के बारे में मोदी ने कहा कि यह परंपरा प्रभावी ढंग से अकेली गई है। यह पूरा मंदिर प्रांगण शिवपुराण की कथाओं के आधार पर तैयार किया गया है। आप यहां आएंगे तो महाकाल के दर्शन के साथ ही आपको महाकाल की महिमा और महत्व के भी दर्शन होंगे। पंचमुखी शिव, उनके डमरु, सर्प, त्रिशूल, अर्धचंद्र और सप्त ऋषि उतने ही प्रभावी स्वरूप में यहां स्थापित किए गए हैं। इसके वास्तु में ज्ञान समावेश है। यह महाकाल लोक हमें प्राचीन गौरव से जोड़ देता है। उसकी सार्थकता को और भी बढ़ा देता है।


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हमारे शास्त्रों में एक वाक्य है ‘शिवम ज्ञानम’ इसका अर्थ है शिव ही ज्ञान है और ज्ञान ही शिव है। शिव के दर्शन में ही ब्रह्मांड का सर्वोच्च दर्शन है और दर्शन ही शिव का दर्शन है। इसलिए मैं मानता हूं हमारे ज्योतिर्लिंगों का यह विकास भारत की आध्यात्मिक ज्योति का प्रतीक है। भारत के ज्ञान और दर्शन का विकास है। भारत का यह सांस्कृतिक दर्शन एक बार फिर शिखर पर पहुंचकर विष्णु के मार्गदर्शन के लिए तैयार हो रहा है।

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भगवान महाकाल एकमात्र ऐसे ज्योतिर्लिंग हैं, जो दक्षिणमुखी है यह शिव का स्वरूप है, जिनकी भस्म आरती पूरे विश्व में प्रसिद्ध है हर वक्त अपने जीवन में भस्म आरती के दर्शन जरूर करना चाहता है। भस्म आरती का धार्मिक महत्व या उपस्थित आप सभी संत गण ज्यादा गहराई से बता पाएंगे। लेकिन, मैं इस परंपरा में भारत के जीवन का दर्शन करता हूं। इसमें भारत के अपराध अस्तित्व को भी देखता हूं। क्योंकि, इसमें जो शिव सूर्यम भूत विभूषण अर्थात सर्वाधिकार सर्वदा और अविनाशी भी हैं। इसलिए जहां महाकाल है, वहां काल खंडों की सीमाएं नहीं है।

महाकाल की शरण में विश्व में भी स्पंदन होता है महाकाल के सानिध्य में अवसान से भी पुनर्जीवन होता है अंत से भी आनंद की यात्रा प्रारंभ होती है यही हमारी सभ्यता का वह आध्यात्मिक आगाज है जिसके समर्थ से हजारों वर्षों से अमर बना हुआ है। अब तक हमारी आस्था के केंद्र जागृत है। भारत की चेतना जागृत है। भारत की आत्मा जागृत है अतीत में हमने देखा है हास्य कविताएं बदली भारत का शोषण भी हुआ किंतु कोई भी आक्रांता उज्जैन को नुकसान नहीं पहुंचा पाया।

भारत ने फिर महाकाल के आशीष से काल के कपाल पर शिलालेख लिख दिया है। आज एक बार फिर आजादी के इस अमृत काल में हमारा अवंतिका भारत के सांस्कृतिक अमृत की घोषणा कर रही है। उज्जैन जो हजारों वर्षों से भारतीय काल गणना का केंद्र रहा है वह आज एक बार फिर भारत की भव्यता के एक नए कालखंड का उद्घोष कर रहा है। भारत के लिए धर्म का अर्थ है हमारे कर्तव्यों का सामूहिक संकल्प हमारे संकल्पों का देश विश्व का कल्याण मानव मात्र की सेवा हम शिव की आराधना में कहते हैं।

नमामि विश्व रतन नमामि रूपाणि हम उस विश्व पति भगवान को नमन करते हैं जो अनेक रूपों से पूरे विश्व के हितों के लगे हुए हैं यही भावना यही भावना हमेशा मंदिरों, मठों और आस्था केंद्रों की भी रही है। यहां महाकाल मंदिर में पूरे देश और दुनिया से लोग आते हैं, तो लाखों लोग जुटते हैं। इससे बड़ा उदाहरण क्या होगा और हम जानते हैं हजारों साल से हमारे कुंभ मेले की परंपरा सामूहिक मंथन के बाद जो अमृत निकलता है उसे संकल्प लेकर 12 साल तक उसे क्रियान्वित करने की परंपरा रही है। फिर 12 साल के बाद जब होता था फिर एक बार अमृत मंथन होता था फिर संकल्प लिया जाता था। फिर 12 साल के लिए हम संकल्प लेते हैं।

यहां कुंभ मेले में मुझे आने का सौभाग्य मिला था। महाकाल का बुलावा आया तो यह बेटा आए बिना कैसे रह सकता है। कुंभ की जो हजारों साल की परंपरा है उस समय मन मस्तिष्क में जो मंथन चल रहा था, विचार प्रवाह था जो मां शिप्रा के तट पर अनेक विचारों से निकला हुआ था। उसी में से न जाने कैसे शब्द निचल पड़े। पता नहीं कहां से आए कैसे आए और जो भाव पैदा हुआ था वह संकल्प बन गया। आज वह सामने नजर आए मैं से साथियों को बधाई देता हूं कि जिन्होंने उस समय के उस भाव को चरितार्थ करके दिखाया है।

काशी जैसे हमारे केंद्र धर्म के साथ-साथ ज्ञान दर्शन और कला की राजधानी भी रहे हैं! उज्जैन हमारे स्थान खगोल विज्ञान का केंद्र रहा है। आज नया भारत जब अपने प्राचीन मुद्दों के साथ आगे बढ़ रहा है, तो आस्था के साथ साथ विज्ञान और सोच को भी पुनर्जीवित कर रहा है। हम एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकतों के बराबर खड़े हुए हैं। आज भारत दूसरे देशों की सेटेलाइट में लांच कर रहा है। मिशन चंद्रयान और मिशन गगनयान जैसे अभियान भारत आसमान में वह छलांग लगाने को तैयार है, जो हमें नई ऊंचाई देगी। भाषण के अंत में प्रधानमंत्री ने जय महाकाल का उद्घोष भी किया।