संस्कारधानी से पहले चरण की छह सीटें साधने की मोदी की कोशिश…

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संस्कारधानी से पहले चरण की छह सीटें साधने की मोदी की कोशिश…

मध्यप्रदेश में पहले चरण की छह लोकसभा सीटों पर होने वाले चुनावों के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड शो के जरिए अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज करा दी है। संस्कारधानी से मोदी की विंध्य की दो और महाकौशल की चार लोकसभा सीटों को साधने की कोशिश है। इनमें से पांच लोकसभा सीटों पर अभी भी भाजपा का कब्जा है। अगर भाजपा के लिए चुनौती है तो करीब पच्चीस साल बाद छिंदवाड़ा लोकसभा जीतना। हालांकि मंडला लोकसभा के प्रत्याशी फग्गन सिंह कुलस्ते भी हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे हैं। पर यह बात तय है कि लोकसभा में मतदाता राष्ट्रीय मुद्दों और हाल फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे को सामने रखकर मतदान करता है। ऐसे में स्थितियां फिलहाल भाजपा के अनुकूल ही नजर आ रही हैं। ऐसे में यदि मानें तो भाजपा को मध्यप्रदेश में महाकौशल की एक ही सीट साधने की चुनौती है। वह है कमलनाथ के प्रभाव वाली वर्तमान कांग्रेस सांसद नकुलनाथ की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट। जबलपुर से देखा जाए तो छिंदवाड़ा की दूरी करीब 200 किलोमीटर है। जबलपुर में मोदी के रोड शो की धमक छिंदवाड़ा तक तो पहुंची ही होगी। और यहां तो रोड शो था, दो दिन बाद ही 9 अप्रैल को मोदी बालाघाट में जनसभा करेंगे तो वहां से छिंदवाड़ा की दूरी करीब 150 किलोमीटर ही रह जाएगी। और यदि कहा जाए तो आसपास की लोकसभा सीटें हैं। ऐसे में मोदी की आवाज भी छिंदवाड़ा संसदीय सीट‌ तक गूंजेगी। पर फिर वही बात कि मोदी छिंदवाड़ा संसदीय सीट पर चुनाव प्रचार करने की उपेक्षा क्यों करते हैं? हो सकता है कि छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के मतदाता मोदी के इंतजार में ही हों। चूंकि छिंदवाड़ा जिले की सभी विधानसभा पर कांग्रेस का कब्जा है, पर विधायक कमलेश शाह भाजपा की सदस्यता ले चुके हैं। पूर्व मंत्री और जनाधार वाले नेता कमलनाथ के सबसे ज्यादा करीबी दीपक सक्सेना भाजपा में आ चुके हैं। मेयर विक्रम अहाके भाजपा में शामिल हो गए हैं। और कमलनाथ के करीबी सैयद जाफर सहित छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र के सैकड़ों महत्वपूर्ण कांग्रेस नेता अब भाजपा में हैं। ऐसे में मोदी अगर छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र में पहुंचते तो शायद भाजपा कार्यकर्ताओं और मतदाताओं का उत्साह चरम पर होता। खैर इस बार भाजपा ने कमर कस ली है कि छिंदवाड़ा फतह करके रहेंगे। तो यही माना जाएगा कि संस्कारधानी का रोड शो और बालाघाट की जनसभा महाकौशल की चार और विंध्य की दो लोकसभा सीटों को साधने के लिए पर्याप्त है।

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लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद 7 अप्रैल 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली बार मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंचे। उन्होंने जबलपुर में मेगा रोड शो किया। जिसकी झलक महाकौशल और विंध्य के साथ पूरे मध्यप्रदेश के मतदाताओं ने देखी। रोड शो के दोनों तरफ भारी भीड़ मानो मोदी का ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के मतदाताओं का मन मोह रही थी। जबलपुर में कटंगा तिराहे से खुली जीप में मोदी के साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव और जबलपुर लोकसभा सीट से उम्मीदवार आशीष दुबे मौजूद थे। तो पीछे से पूर्व सांसद राकेश सिंह भी नजर आ रहे थे। भीड़ “देखो-देखो कौन आया, बीजेपी का शेर आया” नारे लगा रही थी। इसके साथ मोदी जिंदाबाद और जय श्रीराम के नारे लगाती रही। सड़क के दोनों तरफ मोदी की झलक पाने को लोग बेताब दिखे। एक-दो मंचों का टूटना इसे प्रमाणित कर रहा है, जिन पर झलक देखने के लिए क्षमता से ज्यादा लोग खड़े हो गए थे। लोगों ने अपने घरों की छत से फूल बरसाए और दीपक जलाकर पीएम मोदी का संस्काधानी में स्वागत किया। संस्कारधानी के मतदाताओं और नागरिकों का यही प्यार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार यहां खींच कर ले आता है। पहले चरण की छह लोकसभा सीटों पर 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। ऐसे में 12 दिन पहले संस्कारधानी का यह रोड शो बहुत मायने रखता है।

वैसे देखा जाए तो जबलपुर से सीधी संसदीय क्षेत्र करीब 300 किमी की दूरी पर है, शहडोल 200 किमी, मंडला 100 किमी और दूसरी तरफ बालाघाट और छिंदवाड़ा संसदीय क्षेत्र करीब 200-200 किमी की दूरी पर हैं। और यदि मतदाता मोदी को शेर मानते हैं तो शेर की दहाड़ के लिए इतनी दूरियां मायने नहीं रखतीं। बल्कि इतनी दूरियों पर स्थित दूसरे संसदीय क्षेत्रों को भी इसका लाभ मिलने की अपेक्षा भाजपा कर सकती है। फिलहाल तो यही माना जाए कि रोड शो के जरिए संस्कारधानी से पहले चरण की छह सीटें साधने की मोदी की कोशिश है…।