
‘मन की बात’ नहीं आई ‘मोहन’ की जुबां पर…
कौशल किशोर चतुर्वेदी
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत अक्सर ही भाजपा के आंतरिक मुद्दों पर खुलकर टिप्पणी करने से हमेशा ही बचते रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव को लेकर मीडिया ने संघ प्रमुख भागवत को घेरने की बहुत कोशिश की थी। तब भी संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि बीजेपी अध्यक्ष के चयन में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है। मोहन भागवत ने कहा था कि ‘मैं शाखा चलाने में माहिर हूं जबकि बीजेपी सरकार चलाने में माहिर है।’ उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि हम एक-दूसरे को सिर्फ सुझाव दे सकते हैं, फैसला करना पार्टी का काम है। और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव में लगातार हो रही देरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ के सुझावों के बीच मतांतर होना ही माना जा रहा है। और शायद यही वजह है कि संघ प्रमुख भागवत अब भाजपा के विषय में बोलने पर सीधे पल्ला झाड़ना ही बेहतर समझते हैं। इसीलिए जब उनसे मोदी के उत्तराधिकारी के बारे में सवाल किया गया तो उन्होंने दो टूक कह दिया कि यह मोदी और भाजपा का विषय है और वही तय करेंगे। वास्तव में देखा जाए तो मोहन की जुबां पर मोदी के उत्तराधिकारी विषय को लेकर मन की बात सामने नहीं आ पाई। वैसे भी संघ ने हमेशा ही भाजपा को लेकर एक सीमा रेखा खींच रखी है। और संघ ने सार्वजनिक तौर पर इस सीमा रेखा को लांघने की कभी कोई कोशिश नहीं की। जबकि सार्वजनिक तौर पर यह भी सबको मालूम है कि संघ और भाजपा
एक दूसरे के पूरक ही हैं।
ऐसे में चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत से जब यह पूछा गया कि नरेंद्र मोदी के बाद प्रधानमंत्री पद की बागडोर किसे सौंपी जाएगी तो भागवत ने इसका भी जवाब फक्कड़ अंदाज में
दे दिया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष समारोह के अवसर पर चेन्नई में भागवत ने कहा कि इस पर भाजपा और मोदी जी आपस में चर्चा करेंगे और कोई फैसला लेंगे। वैसे भी अब इस तरह के काल्पनिक सवाल
का उत्तर देने का भागवत के लिए कोई तुक नहीं था। और डॉ. मोहन भागवत जैसे प्रखर वक्ता को मीडिया अपनी बातों में उलझा भी नहीं सकता। पर भागवत जो भी कहें वह भी खबर है सो इस बात पर भी खूब चर्चा हो रही है।
भागवत ने इस मौके पर तमिलनाडु में आरएसएस की सीमित उपस्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में सौ फीसदी राष्ट्रवादी भावना मौजूद है लेकिन कुछ कृत्रिम बाधाएं इस भावना की पूरी तरह से अभिव्यक्ति को रोक रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि ये कृत्रिम अवरोध ज्यादा समय तक नहीं टिकेंगे और हमें इन्हें खत्म करने की दिशा में काम करना होगा। भागवत ने इस बात पर जोर दिया कि तमिलनाडु की जनता संस्कृति, परंपरा और राष्ट्रहित के प्रति समर्पित रही है और इन मूल्यों को और मजबूत करने की आवश्यकता है। अपने संबोधन में भागवत ने भाषाई विविधता और सांस्कृतिक गौरव पर भी विचार व्यक्त किए। उन्होंने तमिलनाडु के लोगों से आग्रह किया कि वे अपनी मातृभाषा में बातचीत करें और अपनी पारंपरिक जीवन शैली को संजोकर रखें। भागवत ने यह भी सवाल उठाया कि तमिलनाडु के लोग तमिल में हस्ताक्षर करने में क्यों हिचकते हैं। उन्होंने भारतीय भाषाओं को समान रूप से महत्व देते हुए कहा कि सभी भारतीय भाषाएं हमारी अपनी भाषाएं हैं। साथ ही उन्होंने दक्षिण भारतीय राज्यों की संस्कृति की सराहना की खासकर यहां की पारंपरिक पोशाक वेष्टि’ को लेकर जो लोगों के सांस्कृतिक जुड़ाव को दर्शाता है।
तो यह सभी को मालूम है कि पश्चिम बंगाल में फतह को लेकर भाजपा पूरी तैयारी कर रही है। बिहार में एसआईआर और विपक्ष को रौंदती हुई बनी एनडीए सरकार के बाद पश्चिम बंगाल सहित 12 राज्यों में एसआईआर का होना विपक्ष को सकते में डाल रहा है। और भाजपा की हर जीत में संघ की भूमिका को नहीं नकारा जा सकता। तो भाजपा का दक्षिण में विस्तार का सपना भी संघ के बिना साकार नहीं हो सकता। ऐसे में तमिलनाडु में भाषाई सम्मान की बात के साथ संघ प्रमुख ने दक्षिण भारतीयों की राष्ट्रहित की भावना की भी सराहना की। तो संकेत दे दिया कि कृत्रिम बाधाएँ अब तमिलनाडु में संघ और भाजपा का रास्ता ज्यादा समय तक नहीं रोक सकती हैं। और मोदी के उत्तराधिकारी जैसे सवाल पर चुटकी लेकर सब मुद्दों को चर्चा में ला दिया। वास्तव में देखा जाए तो संघ प्रमुख की सहमति के बिना मोदी के उत्तराधिकारी का चुना जाना असंभव है। यह बात संघ प्रमुख भी जानते हैं, मोदी भी जानते हैं और भाजपा भी जानती है…पर ऐसे किसी सवाल पर सार्वजनिक तौर पर संघ प्रमुख भागवत से मन की बात जुबां पर लाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती है। तो संघ प्रमुख मोहन के मन की बात मन में है और बाकी उत्तराधिकारी तय करने का काम मोदी और भाजपा करते रहें…।
लेखक के बारे में –
कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।





