‘मजदूरों’ के ‘मोहन’…

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‘मजदूरों’ के ‘मोहन’…

मजदूरों पर मध्यप्रदेश सरकार मेहरबान है। डॉ. मोहन यादव के फैसले यह साबित कर रहे हैं कि वह मजदूर परिवार में पल-बढ़कर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचे हैं। और उन्होंने अभी भी इस बात को बिसराया नहीं है कि मजदूर परिवारों की व्यथा क्या होती है? मजदूरों का परिवार कितनी विषम आर्थिक परिस्थितियों से जूझने को मजबूर रहता है। इसीलिए मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने प्राथमिकता के आधार पर मजदूरों की सुध ली है। श्रम विभाग ने मुख्यमंत्री की मंशा को समझकर एक अप्रैल से मजदूरों को 25 फीसदी ज्यादा मजदूरी देने का फैसला किया है।

अब मध्य प्रदेश के मजदूरों को एक अप्रैल से अधिक मजदूरी मिलने का आदेश जारी हो गया है। सभी औद्योगिक एवं असंगठित श्रमिकों को इसका फायदा मिलेगा। सभी औद्योगिक और असंगठित क्षेत्र से जुड़े सभी श्रमिकों की मजदूरी में एक अप्रैल 2024 से बढ़ोतरी की जाएगी। यह मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की प्रेरणा ही है कि श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने मजदूरों के हितों के संरक्षण और कल्याण की दिशा में ऐतिहासिक निर्णय लिया है।वर्ष 2014 के बाद प्रदेश में पहली बार मजदूर वेज रिवीजन किया गया है। प्रदेश के श्रमिकों के कल्याण की दिशा में यह एक बड़ा क्रांतिकारी फैसला साबित होगा। मजदूरी दरों में बढ़ोतरी श्रमिकों की जिंदगी में बदलाव लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल की मानें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के नेतृत्व में मजदूरों के विकास की कड़ी में श्रमिकों के उत्थान के लिए यह पहल हुई है। श्रम विभाग मजदूरों के कल्याण और सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और इसी दिशा में कई महत्वपूर्ण फैसले आने वाले समय में लिए जाएंगे। उनका मानना है कि विशेष तौर पर महिला श्रमिकों को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में यह फैसला मील का पत्थर साबित होगा। नई न्यूनतम वेतन दरों के प्रभावशील होने पर अकुशल श्रमिकों को न्यूनतम वेतन 9 हजार 575 रुपए प्रतिमाह दिए जाएंगे। कुशल श्रमिकों के न्यूनतम वेतन 12294 जबकि उच्च कुशल श्रमिकों का न्यूनतम वेतन 13919 रुपए प्रतिमाह होंगे। श्रमिकों की वेतन दरें लेबर ब्यूरो शिमला द्वारा निर्मित औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता का मूल सूचकांक जनवरी 2019 से जून 2019 के आंकड़ों के औसत पर निर्धारित है। तो कृषि श्रमिकों को अब हर महीने न्यूनतम 7660 रुपए मिलेंगे। न्यूनतम वेतन की दरें किसी भी श्रमिक के वेतन पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेंगी।

मध्यप्रदेश सरकार के इस फैसले से साफ है कि डॉ. मोहन यादव के रहते मजदूरों का अहित नहीं होगा। मोहन के मन में मजदूरों के प्रति संवेदनशीलता का भाव विद्यमान है, जिसकी झलक मजदूरों के हित में सरकार के फैसलों से मिलती रहेगी…।