‘कर्मचारी हित के काज’ में लीन ‘मोहन राज’…

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‘कर्मचारी हित के काज’ में लीन ‘मोहन राज’…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

डॉ. मोहन यादव, मध्यप्रदेश के मुखिया के तौर पर अपने कर्मचारियों का हित बेहतर तरीके से साधने की छवि बना चुके हैं। और जब रविवार 18 मई 2025 को कर्मचारियों ने कर्मचारी हितैषी निर्णयों के लिए मुख्यमंत्री का अभिनंदन और सम्मान किया, तो मोहन यादव कर्मचारियों का गुणगान करते मानो अघाए ही नहीं। मानो खुद ‘हनुमान’ बनकर उन्होंने कर्मचारियों को ‘राम’ मान लिया। कर्मचारी हित संबंधी फैसलों से यह माना जा सकता है कि मोहन के ह्रदय में कर्मचारियों का ही वास है। जैसा प्रसंग आता है कि हनुमान ने अपना ह्रदय चीरकर दिखाया तो वहां भी राम मौजूद थे। रविवार को रवींद्र भवन का नजारा कुछ वैसा ही था। मोहन के मुंह पर और ह्रदय में कर्मचारियों का हित और कर्मचारी ही नजर आते रहे।

सालों से एचआरए के मामले में प्रदेश सरकार के कर्मचारियों के हित में फैसला न लेने का दु:ख मोहन को भी था। उन्होंने साझा किया कि एचआरए अनुचित कारणों से लटकाया गया। नौ साल तक यूं ही लटका रहा, मैं दुखी होता था। वे सारे अंतर जिनके माध्यम से जबरदस्ती से अटकाना-लटकाना, ये उचित नहीं था। ये चीजें बोलने से थोड़े देना चाहिए,अपने आप ही देना चाहिए। मोहन ने कहा कि इस मामले में मैं थोड़ा भाग्यशाली हूं। आपको ज्ञापन देने नहीं आना पड़ा और एचआरए मैंने खुद ही बढ़ा दिया।

तो कर्मचारियों की वजह से ही प्रदेश की शान कायम है, यह जताने में मुखिया मोहन ने कंजूसी नहीं बरती। कर्मचारी सच्चे कर्म योगी हैं। कर्मचारियों के परिश्रम और समर्पण से ही जनकल्याण और विकास के पथ पर हमारा प्रदेश अग्रसर है। कर्मचारियों की कर्तव्य निष्ठा से जनहित की योजनाओं के क्रियान्वयन में मध्यप्रदेश, देश के अग्रणी राज्य में शामिल हुआ है। प्रदेश के कर्मचारी सरकार और जनता के बीच नल और नील की तरह सेतु बनाने का कार्य कर रहे हैं। तो कर्मचारियों की तारीफ करने में मोहन यहां भी कर्मचारी रूपी राम के गुणगान करते खुद हनुमान रूप में ही नजर आए।

यहां मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कर्मचारी संघ की ओर से कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ प्रदान करने की मांग स्वीकृत करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में राज्य सरकार कर्मचारी कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने केंद्र सरकार का अनुसरण करते हुए प्रदेश के कर्मचारियों का महंगाई भत्ता केंद्र के समान करने का निर्णय लिया है। इसके साथ ही 9 वर्षों से लंबित हाउस रेंट अलाउंस की मांग को भी पूरा किया गया है। इसके साथ ही अधिकारियों- कर्मचारियों और उनके परिवारों की सुविधा को देखते हुए प्रदेश में स्थानांतरण नीति का क्रियान्वयन किया गया है।

तो मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने याद दिलाया कि राज्य सरकार ने कर्मचारियों की लंबित समस्याओं के समाधान का वादा किया था। क्रमबद्ध रूप से सभी समस्याओं का निराकरण किया गया है। रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विशेष अभियान संचालित हैं। पुलिस में सभी पद भरे गए हैं। इसके साथ ही सभी जिलों में बैंड की पुलिस बैंड की स्वीकृति प्रदान की गई है। रिक्त हुए पदों को प्रतिवर्ष लोक सेवा आयोग की परीक्षा आयोजित कर भरने की प्रक्रिया सुनिश्चित की जा रही है। शासकीय कर्मचारियों की सुविधा के लिए शासकीय आवास की व्यवस्था प्राथमिकता पर की जा रही है। प्रदेश में लोक परिवहन के लिए बस सेवा भी आरंभ होने जा रही है।

सुंदरकांड में एक दोहा है- ‘हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम..’ यानि कि सीता की खोज में निकले हनुमान ने पल भर विश्राम की भी चाह नहीं की थी। तो डॉ. मोहन यादव भी कर्मचारी हितों को इसी भाव से पूरा कर रहे हैं। मोहन के डेढ़ साल के कार्यकाल में कर्मचारी हित के कामों की लंबी सूची है। वास्तव में मोहन राज में कर्मचारी हित के काज लगातार हो रहे हैं।

 

डॉ. मोहन यादव ने अपनी सरकार की कर्मचारी हितैषी नीतियोें का जिक्र करते हुए कहा कि ये हमारे अच्छे संकल्पों का अभिनंदन है। उन्होंने 2023 के संकल्प पत्र को अक्षरश: पूरा करने का वादा दोहराया है। कहा जाए तो सालों से प्रमोशन के लिए तरस रहे प्रदेश के लाखों अधिकारी-कर्मचारियों के मन में भी मोहन ने यह भरोसा पैदा कर दिया है कि जल्दी ही उन्हें उनका सम्मान मिल जाएगा। तो यही उम्मीद है कि ‘मोहन काल’ में कर्मचारियों का हित सर्वोपरि बना रहे और कर्मयोगी कर्मचारियों के मजबूत कंधों पर प्रदेश विकास के नए आयाम छूता रहे…और ‘कर्मचारी हित के काज’ में ‘मोहन राज’ लीन रहे…।