लैंड पुलिंग एक्ट निरस्त कर किसानों के मन में बसे मोहन…

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लैंड पुलिंग एक्ट निरस्त कर किसानों के मन में बसे मोहन…

कौशल किशोर चतुर्वेदी

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने 17 नवंबर 2025 को मुख्यमंत्री निवास पर किसान संघ , भाजपा पदाधिकारियों, उज्जैन के जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन उज्जैन के साथ बैठक कर सिंहस्थ के समग्र आयोजन पर चर्चा की। बैठक में सिंहस्थ को दिव्य , भव्य और विश्वस्तरीय बनाने के लिए हर संभव प्रयास करने पर सहमति बनी। इसमें संतों और किसानों के हितों का व्यापक ध्यान रखने का अद्भुत उदाहरण मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पेश किया। चर्चा के बाद सिंहस्थ लैंड पुलिंग को निरस्त करने का निर्णय लेकर डॉ. मोहन यादव ने यह साफ कर दिया है कि मध्य प्रदेश में किसानों और जन-जन का हित सर्वोपरि है। डॉ. यादव ने नगरीय प्रशासन विकास विभाग और जिला प्रशासन को लैंड पूलिंग निरस्त करने के आदेश जारी करने के निर्देश दे दिए हैं। वहीं किसान संघ ने मुख्यमंत्री के फैसले का स्वागत करते हुए आभार व्यक्त किया है।

किसानों के भारी विरोध के बाद आखिरकार प्रदेश सरकार ने सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट निरस्त कर दिया है। 17 नवंबर 2025 को सीएम आवास पर भारतीय किसान संघ, भाजपा और अन्य प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने एलान किया कि किसानों की भावनाओं का सम्मान करते हुए सिंहस्थ लैंड पुलिंग एक्ट को निरस्त किया जाता है। सिंहस्थ 2028 में स्थाई निर्माण के लिए सरकार के लैंड पुलिंग एक्ट का उज्जैन सहित पूरे प्रदेश में भारी विरोध था। किसानों का विरोध इस बात को लेकर था कि सिंहस्थ के लिए किसानों की भूमि स्थाई निर्माण के लिए लेने से उनकी आजीविका का साधन समाप्त हो जाएगा। लैंड पुलिंग एक्ट रद्द होने के बाद उज्जैन के सिंहस्थ 2028 में आने वाले श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या को देखते हुए अब यहां पहले की तरह अस्थायी रूप से किसानों की भूमि ली जाएगी और बदले में उन्हें प्रावधान अनुसार भुगतान किया जाएगा। किसान संघ और स्थानीय संगठन भी सिंहस्थ के नाम पर लैंड पुलिंग के माध्यम से किसानों की जमीन लेने का विरोध कर रहे थे। 18 नवंबर से डेरा डालो आंदोलन का ऐलान कर दिया गया था। बात पार्टी के शीर्ष नेतृत्व तक पहुंची और कई बैठकों के दौर चले। सरकार की ओर से इसकी आवश्यकता बताई गई तो अन्य कुंभ का उदाहरण देकर लैंड पुलिंग के बिना व्यवस्था बनाए जाने की बात उठी। वहीं भूमि लेने को लेकर निर्णय न होने के कारण काम भी प्रभावित हो रहे थे। सिंहस्थ लैंड पूलिंग एक्ट रद्द कर एक तरफ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने किसानों की भावनाओं का सम्मान किया है तो मुख्यमंत्री होने के नाते यह साबित किया है कि जन-जन के मन के फैसले लेने के लिए वह खुद का फैसला वापस लेने में कभी कोई संकोच नहीं करेंगे। अगर कोई नीतिगत निर्णय भी जन भावनाओं पर खरा साबित नहीं होता है तो वह उसे भी रद्द करने का साहस रखते हैं। डॉ. मोहन यादव का यह फैसला यह बताता है कि वास्तव में वह एक संवेदनशील मुख्यमंत्री हैं और जनता के हित के सामने उनके मन में किसी तरह का अहंकार जैसा भाव कभी नहीं आएगा। लैंड पूलिंग एक्ट निरस्त कर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव किसानों के मन में बस गए हैं… तो उनका कद भी बड़ा है और पद के अनुरूप बड़प्पन दिखाकर उन्होंने अपनी सहजता, सरलता और संवेदनशीलता का विशेष परिचय दिया है…।

लेखक के बारे में –

कौशल किशोर चतुर्वेदी मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं। प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पिछले ढ़ाई दशक से सक्रिय हैं। पांच पुस्तकों व्यंग्य संग्रह “मोटे पतरे सबई तो बिकाऊ हैं”, पुस्तक “द बिगेस्ट अचीवर शिवराज”, ” सबका कमल” और काव्य संग्रह “जीवन राग” के लेखक हैं। वहीं काव्य संग्रह “अष्टछाप के अर्वाचीन कवि” में एक कवि के रूप में शामिल हैं। इन्होंने स्तंभकार के बतौर अपनी विशेष पहचान बनाई है।

वर्तमान में भोपाल और इंदौर से प्रकाशित दैनिक समाचार पत्र “एलएन स्टार” में कार्यकारी संपादक हैं। इससे पहले इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में एसीएन भारत न्यूज चैनल में स्टेट हेड, स्वराज एक्सप्रेस नेशनल न्यूज चैनल में मध्यप्रदेश‌ संवाददाता, ईटीवी मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ में संवाददाता रह चुके हैं। प्रिंट मीडिया में दैनिक समाचार पत्र राजस्थान पत्रिका में राजनैतिक एवं प्रशासनिक संवाददाता, भास्कर में प्रशासनिक संवाददाता, दैनिक जागरण में संवाददाता, लोकमत समाचार में इंदौर ब्यूरो चीफ दायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं। नई दुनिया, नवभारत, चौथा संसार सहित अन्य अखबारों के लिए स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर कार्य कर चुके हैं।