Monetary Policy Live: RBI की मौद्रिक नीति का ऐलान, क्या कम होगी आपकी ईएमआई

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Monetary Policy Live: RBI की मौद्रिक नीति का ऐलान , क्या कम होगी आपकी ईएमआई

Monetary Policy : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की मौद्रिक नीति का ऐलान ऐसे में  आपने घर, गाड़ी या कोई और लोन लिया है तो ईएमआई यानी मासिक किस्त के इस साल कम होने के आसार बहुत कम है।

रिजर्व बैंक इस बार भी रेपो रेट को मौजूदा 6.5 फीसद के स्तर पर बरकरार रखा है। यह लगातार छठी बार है, जब रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

एमपीसी के छह में से पांच सदस्यों…डॉ. शशांक भिड़े, डॉ. आशिमा गोयल, डॉ. राजीव रंजन, डॉ. माइकल देबब्रत पात्रा और शक्तिकांत दास ने नीतिगत रेपो दर को बरकरार रखने के पक्ष में मतदान किया जबकि प्रो. जयंत आर वर्मा ने इसमें 0.25 प्रतिशत कमी लाने की बात कही। इसके साथ एमपीसी सदस्यों ने लक्ष्य के अनुरूप खुदरा महंगाई को लाने के लिए उदार रुख को वापस लेने के अपने निर्णय को भी कायम रखने का फैसला किया है।

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जीडीपी ग्रोथ पर क्या कहा आरबीआई गवर्नर ने: दास ने आर्थिक वृद्धि का जिक्र करते हुए कहा, ”मजबूत निवेश गतिविधियों के साथ घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। रबी की बुवाई में सुधार, विनिर्माण क्षेत्र में निरंतर लाभ की स्थिति और सेवा क्षेत्र में मजबूती से 2024-25 में आर्थिक गतिविधियों को समर्थन मिलने की उम्मीद है।”

दास ने कहा कि निजी निवेश में सुधार के संकेत दिख रहे हैं। 2024-25 के लिए वास्तविक जीडीपी 7 पर्सेंट की दर से बढ़ने का अनुमान है, जून और सितंबर तिमाही में वृद्धि क्रमशः 7.2 पर्सेंट और 6.8 पर्सेंट होगी। दिसंबर और मार्च तिमाही में विकास दर क्रमश: 7 फीसदी और 6.9 फीसदी रहने का अनुमान है। दास ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधि मजबूत बनी हुई है और एनएसओ के अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष में वृद्धि 7.3 पर्सेंट है। दास ने कहा, “2023-24 की गति 2024-25 वित्तीय वर्ष में भी जारी रहने की उम्मीद है।”

महंगाई पर क्या कहा आरबीआई गवर्नर ने: मुद्रास्फीति के बारे में उन्होंने कहा कि महंगाई की स्थिति खाद्य मुद्रास्फीति के उभरते परिदृश्य से तय होगी। रबी फसल की बुवाई पिछले साल के स्तर से पार कर गयी है। सब्जियों के दाम में सुधार है , लेकिन यह संतुलित नहीं है।” उन्होंने कहा, ”प्रतिकूल मौसम की संभावना से खाद्य मूल्य परिदृश्य पर अनिश्चितता बनी हुई है। आपूर्ति व्यवस्था के स्तर पर उपाय खाद्य कीमतों के दबाव को नियंत्रण में रख सकते हैं।” दास ने कहा, ”विभिन्न परिस्थितियों पर गौर करने के बाद उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है, जबकि चौथी तिमाही में यह पांच प्रतिशत रहेगी।” अगले वर्ष मानसून सामान्य रहने के आधार पर खुदरा मुद्रास्फीति 2024-25 में 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

सोने की कीमत को लेकर ‘हेजिंग’ की मंजूरी: विकासात्मक और नियामकीय नीतियों के तहत आरबीआई ने इलेक्ट्रॉनिक कारोबारी मंच (ईटीपी) के लिए नियामकीय ढांचे की समीक्षा और आईएफएससी में ‘ओवर द काउंटर’ (ओटीसी) क्षेत्र में सोने की कीमत को लेकर ‘हेजिंग’ की अनुमति देने का भी फैसला किया है। एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा के अन्य क्षेत्रों में ऑफलाइन उपयोग की अनुमति देने का निर्णय किया है।
डिजिटल रुपया पर क्या बोले दास: वर्तमान में पायलट आधार पर कुछ बैंकों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल रुपया वॉलेट का उपयोग करके व्यक्ति से व्यक्ति (P2M) और व्यक्ति से व्यापारी (P2M) के बीच लेनदेन की व्यवस्था है। इसके अलावा, बैंकों और एनबीएफसी के लिए सभी खुदरा और एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों) को दिए जाने वाले कर्ज के लिए उधारकर्ताओं को ब्याज और अन्य शर्तों समेत ‘मुख्य तथ्य विवरण’ (KFS) प्रदान करना अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है। इससे कर्ज लेने वाला सोच-विचार कर निर्णय ले सकेगा। मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक तीन से पांच अप्रैल, 2024 को होगी।

10:35 AMMonetary Policy Live : भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 622.5 अरब अमेरिकी डॉलर पर है। गवर्नर दास का कहना है कि यह सभी विदेशी दायित्वों को पूरा करने के लिए कंफर्टेबल है। घरेलू वित्तीय प्रणाली हेल्दी बैलेंस शीट के साथ लचीली बनी हुई है।

10:28 AMMonetary Policy Live : आरबीआई ने इस बात पर जोर दिया है कि उसका ध्यान टिकाऊ आधार पर 4 पर्सेंट के मुद्रास्फीति लक्ष्य को एलाइन करने पर केंद्रित है। आरबीआई गवर्नर ने चेताया कि अवस्फीति के अंतिम चरण को सफलतापूर्वक पार करने के लिए मौद्रिक नीति को सतर्क रहना होगा। उन्होंने कहा कि आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति 5.4 पर्सेंट, 2024-25 के लिए 4.5 पर्सेंट रहने का अनुमान लगाया है। जियो-पॉलिटिकल टेंशन बढ़ने से सप्लाई चेन प्रभावित हो रही है और कमोडिटी कीमतों विशेषकर कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है।

10:12 AMMonetary Policy Live : रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए रियल जीडीपी ग्रोथ 7 पर्सेंट रहने की उम्मीद जताई है। शक्तिकांत दास ने कहा कि महंगाई में नरमी देखने को मिल रही है। महंगाई 4 पर्सेंट पर रहने का अनुमान है। दिसंबर में उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति (सीपीआई) 5.69 फीसदी रही। सरकार ने आरबीआई को सीपीआई मुद्रास्फीति को दोनों तरफ 2 पर्सेंट के मार्जिन के साथ 4 पर्सेंट पर सुनिश्चित करने का आदेश दिया है।

10:10 AMMonetary Policy Live : एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में रहे। एमएसएफ और बैंक रेट भी 6.75 पर बरकरार रखा गया है।

अंतरिम बजट के बाद कैलेंडर ईयर 2024 के पहले और वित्तीय वर्ष 2024 के आखिरी पॉलिसी डिसीजन के लिए समिति की तीन दिन तक चली बैठक में हुए फैसलों की जानकारी रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास देंगे। ब्रोक्रेज फर्म नुवामा को उम्मीद है कि आरबीआई अपने रुख में नरमी लाकर (काफी हद तक यूएस फेड की तरह) सख्ती खत्म करने का संकेत देगा। ब्रोकरेज ने कहा, लिक्विडिटी पर आरबीआई की टिप्पणी पर बारीकी से नजर रखी जाएगी।
इकोनॉमिक ग्रोथ: एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनॉलिस्ट अजीत काबी के मुताबिक मजबूत इन्वेस्टमेंट ग्रोथ (10.3% की वृद्धि का अनुमान) के कारण अर्थव्यवस्था 7.3% की दर से बढ़ने की संभावना है। वित्त वर्ष 2024 में औद्योगिक वृद्धि पिछले वर्ष के 4.4% के मुकाबले 7.9% बढ़ सकती है। हालांकि, उपभोग मांग की काफी धीमी वृद्धि चिंता पैदा करती है। औसत से कम बारिश के कारण कृषि क्षेत्र को भी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है। कुल मिलाकर रियल जीडीपी के मजबूत रहने की संभावना है। आरबीआई वित्त वर्ष 2024 के लिए विकास अनुमान को बढ़ाकर 7.3% कर सकता है।

मुद्रास्फीति: महंगाई को लेकर काबी ने कहा कि दिसंबर में मुख्य मुद्रास्फीति 5.7% के उच्च स्तर पर थी, जो उच्च खाद्य कीमतों (विशेष रूप से, दालें, फलियां और मसाले) के कारण थी। हालांकि, मुख्य मुद्रास्फीति अभी यह 4% से नीचे स्थिर है। नुवामा ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सर्दियों के दौरान कम फसल की बुआई चिंता का कारण रही है। हालांकि, कोर सीपीआई कम हो रही है । उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के दूसरे दौर के प्रभाव कम हो गए हैं। यह नीति निर्माताओं के लिए काफी आरामदायक होना चाहिए ।

लिक्विडिटी मैनेजमेंट: आरबीआई द्वारा लिक्विडिटी मैनेजमेंट पर अपना जोर बनाए रखने की उम्मीद है, क्योंकि मुद्रा बाजार की कठिन परिस्थितियां जहां कॉल मनी दर रेपो रेट से अधिक है।

घरेलू मांग: नुवामा के मुताबिक ग्रामीण मांग नहीं हो रही और सीवी सेल्स, बिजली उत्पादन, ईंधन की खपत, सरकारी खर्च और व्यवसायों की वृद्धि धीमी हो गई है। इसके अलावा, केंद्रीय बजट आने वाले वर्ष में भारी फिस्कल कंसॉलिडेशन की ओर इशारा करता है, जिसमें केंद्र का कुल खर्च केवल 6% बढ़ रहा है, जो एनजीडीपी वृद्धि से काफी कम है।

फिस्कल बैलेंस: राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को कम करते हुए सरकार ने संकेत दिया कि आगामी आम चुनाव की तैयारी में लोकलुभावन खर्च या प्रोत्साहन से बचा जा सकता है।

बाहरी स्थिति: केयरएज ने एक हालिया रिपोर्ट में बताया कि व्यापार घाटे में कमी और मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार के साथ बाहरी वातावरण अनुकूल बना हुआ है। दिसंबर में माल घाटा 5 महीने के निचले स्तर 19.8 अरब डॉलर पर है।