Monsoon Farewell : अब नहीं आएगा पानी, 9 साल में देरी से विदा हुआ मानसून

रात का तापमान 5 डिग्री गिरा, हल्की ठंड का अहसास होने लगा

880

Monsoon Farewell : अब नहीं आएगा पानी, 9 साल में देरी से विदा हुआ मानसून

Bhopal : शुक्रवार को प्रदेश से मानसून विदा हो गया। पिछले 9 साल में मानसून की यह सबसे लेट विदाई हैं। इससे पहले 2013 में 19 अक्टूबर को मानसून की सबसे लेट विदाई हुई थी। इसके साथ ही रात का तापमान 5 डिग्री गिर गया। रात में अब गुलाबी ठंड का अहसास होने लगा है।
प्रदेश के 52 में से 49 जिलों में अब बारिश के कोई आसार नजर नहीं आ रहे। बचे तीन जिलों में भी दो-तीन दिन में रिमझिम बारिश के आसार हैं। दिवाली पर प्रदेश में भी सिर्फ जबलपुर के कुछ इलाकों में बारिश हो सकती है। 14 अक्टूबर को मानसून मध्यप्रदेश से विदा हो गया है। अब यह सिर्फ जबलपुर के कुछ इलाकों में अभी एक्टिव है। यहां दो से तीन दिन में हल्की बारिश हो सकती है। इस सीजन में प्रदेश में अब तक 50 इंच से ज्यादा बारिश हो चुकी है। यह सामान्य औसत बारिश 39 इंच की तुलना में साढ़े 11 इंच ज्यादा है। अक्टूबर में ही करीब 4 इंच बारिश हुई। यह सामान्य 1 इंच से 280% ज्यादा है। अगले एक सप्ताह में मौसम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे।
रात में हल्की गुलाबी ठंडक और दिन में सूरज की तपिश से गर्मी रहेगी। 18-19 अक्टूबर से एक सिस्टम बन रहा है। इससे दक्षिण के इलाके तरबतर रहेंगे, लेकिन मध्यप्रदेश में बारिश की संभावना नहीं है। हालांकि नमी आने से दिन और रात के तापमान में बढ़ोतरी होगी। इससे उमस परेशान करेगी। अगले 15 दिन तक इसी तरह का मौसम बना रहेगा।
मानसून विदाई के समीकरण
प्रदेश में साल 2010 से अब तक हमेशा अक्टूबर में ही मानसून की विदाई हुई है। सिर्फ बीते 13 साल में एक बार ही ऐसा हुआ, जब यह सितंबर में विदा हुआ। यह साल था 2011, जब 30 सितंबर को मानसून की विदाई हुई थी। मानसून की एंट्री 18 जून को हुई थी। इस दौरान करीब 45 इंच बारिश हुई थी। यह सामान्य से करीब 18% ज्यादा थी। उसके अलावा अब तक सितंबर में कभी मानसून की विदाई नहीं हुई।
सबसे ज्यादा बारिश भोपाल में
प्रदेश में इस बार कई इलाकों में 40 इंच से ज्यादा बारिश हुई। भोपाल (75 इंच), राजगढ़ (72 इंच ), गुना (66 इंच), रायसेन (68 इंच), छिंदवाड़ा (63 इंच),​​​​​​ ​सीहोर (64 इंच), सिवनी (59 इंच), अगर मालवा (61 इंच), बालाघाट (62 इंच), ​​ हरदा (59 इंच), ​​​​​मंडला (59 इंच), देवास (57 इंच), सागर (55 इंच), नरसिंहपुर (51 इंच), शजापुर (51 इंच), जबलपुर (54 इंच), अशोक नगर (50 इंच), अनूपपुर (51 इंच), बुरहानपुर (50 इंच), नीमच (48 इंच), विदिशा (64 इंच), निवाड़ी (43 इंच), पन्ना (47 इंच), उमिरया (45 इंच), इंदौन (45 इंच), खंडवा (55 इंच), मंदसौर (44 इंच), दमोह (44 इंच), श्योंपुरकलां (45 इंच) से ज्यादा पानी गिरा।