Moon and Karan Johar: चाँद और करण जौहर का यह तुक्का

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Moon and Karan Johar: चाँद और करण जौहर का यह तुक्का

चाँद तो करोड़ों अरबों साल से आसमान में टंगा है पर अब तक कुछेक रीतिकालीन कवियों के अलावा और किसी कोकुछ देखने लायक़ लगा नहीं उसमें। इतना ज़रूर था कि जब भी उसे ग्रहण लगता था हमारे बढ़े बूढ़े नदियों मे डुबकी लगा लेते थे। हर हिंदुस्तानी महिला उसे अपने बच्चों का मामा करार देती थी। कुल मिलाकर ज़िंदगी पटरी पर थी चाँद की और संतोषी चांद इतने भर सम्मान से राज़ी भी था।

फिर चाँद की कुंडली मे शनि जैसे ससुर जा बैठे। दक्ष की सारी सत्ताईस कन्याओं के इस इकलौते पति ने उनमें से सबसे सुंदर रोहिणी से ज्यादा प्रेम करने की गलती की।अपनी शेष दो दर्जन से भी अधिक बेटियों की उपेक्षा से दक्ष नाराज़ हुए। नतीजतन चाँद ने अपने ससुर से टीबी का मरीज़ हो जाने का श्राप हासिल किया।

दक्ष को समझना चाहिये था कि उनकी गलतियो के बोझ तले दबा दामाद उनकी सारी ना सही एक बेटी से प्रेम कर तो रहा ही था। इससे यह बात एक बार फिर प्रमाणित होती है कि पत्नी को सदैव प्रसन्न रखना देवताओं के लिये भी असंभव काम है। एक ही पत्नी रखने का चलन भी इसी के बाद से शुरू हुआ। सत्ताईस के चक्कर मे जब देवताओं को टीबी हो सकती है तो हम सभी तो साधारण इंसान ही हैं।

बात यही ख़त्म हो जाती तो चाँद समझा भी लेते मन को । पर एक दिन चाँद की मिट्टी फिर कुटी। नासा वालो ने अफ़वाह फैलाई कि उनका नील स्ट्रांग नाम का बंदा चाँद पर जा पहुँचा है। और फिर उसने जो फ़र्ज़ी फ़ोटो जारी की चांद की वो यक़ीनन हमारे कवियों ,प्रेमियों और पंडे पुजारियों का दिल तोड़ने वाली थी। बताया गया कि वहाँ गड्ढों और धूल के अलावा कुछ है नहीं। बेपानी है चाँद और साँस लेने के लिये ज़रूरी ऑक्सीजन भी लापता है। इस बुरी खबर की वजह से इश्क़ के बाज़ार में चाँद के भाव ओधें मुँह गिरे। कविताओं से उसे बाहर धकेल दिया गया। चांद का मुँह उतर गया। उसकी चमक मद्धिम पड़ गई। माशूकाओं ने चाँद से अपनी शक्ल की तुलना करने वाले आशिक़ों के मुँह तोड़ दिये। और चाँद तोड कर ले आने जैसी लंबी लंबी छोड़ने वाले खदेड़ दिये गये। ऐसे बुरे हालात मे चाँद को डिप्रेशन मे चले ही जाना था।

स्वर्गलोक मे रिवाज है जब भी कोई देवता संकट मे आता है वो काकभुशुंडजी से सलाह लेता है। भगवानों के मनोचिकित्सक है वो। चाँद से मोटी फ़ीस लेने के बाद काकभुशुंडजी ने उसे हिंदी फ़िल्म बनाने वालो की मदद लेने की सलाह दी। चाँद ने जोड़तोड़ की इसके लिये।गुलज़ार मदद करने के लिये राज़ी हुये भी। धन्नो की आँखों मे चाँद का चुम्मा और चाँद चुरा कर लाया हूँ टाईप के गाने भी लिखे उन्होंने। पर विदेशियों की बात पर आँख मूँद कर भरोसा करने की हमारी फ़ितरत के कारण चाँद की बात बनी नही। वो अनदेखा ही बना रहा और अपनी क़िस्मत पर रोता रहा।

पर जैसा कि हमेशा होता है । सबके दिन कभी ना कभी फिर ही जाते है। चाँद के दिन भी फिरे। भारतवर्ष मे करण जौहर नाम की एक दिव्य आत्मा ने जन्म लिया। उसने हिंदुस्तानी महिलाओं को चाँद की इज़्ज़त करने के फ़ायदे समझाये। उसने बताया कि करवा चौथ के पूरे दिन भूखा प्यासा रहने के बाद शाम को भारी मेकअप ,बहुत सारी मँहगी ज्वैलरी और शादी की सुर्ख़ साड़ी पहनकर अपने पति को छलनी से ताकने पर वो उम्रदराज़ होता है।

भारतीय महिलायें अपने पति को चाहे जितना तलें पर वो उसे ज़िंदा रखने को लेकर कुछ भी करने के लिये कभी पीछे नहीं हटती। ऐसे मे करण जौहर का यह तुक्का चला और खूब चला। चाँद को इज़्ज़त दिलाने के एवज़ मे करण जौहर की तिजोरी नोटों से लबालब हो गई। इससे उत्साहित करण जौहर ने आगे जितनी भी फ़िल्मे बनाई उनमे हीरोईन को करवा चौथ का व्रत रखना ही पड़ा। हाँलाकि आजकल करण जौहर को ग्रहण लगा हुआ है पर जिस निमित्त जन्म हुआ था उनका वो कार्य पूर्ण हो चुका। करण जौहर की फ़िल्में चले ना चलें चाँद चल पड़ा है।

करवा चौथ चाँद की हौसला अफजाई के लिये तय किया गया दिन है। अपनी भूखी प्यासी पत्नियों से प्रेम जताने की शपथ लेने की अवसर होता है ये। पत्नियों से प्रेम जताने वाले पति अपने ससुर की नाराज़गी से बचे रहते है। वे अपनी सास और सालो की प्रसन्नता के पात्र होते है। उन्हें कभी टीबी नही होती और जीवन पर्यंत ससुर की बेटी के बनाये तर माल उड़ाने का मौक़ा भी हासिल होता है।