Most Attention on MP : भाजपा का MP पर ध्यान ज्यादा, मंथन के निष्कर्ष का अभी इंतजार!  

मध्यप्रदेश में अब भाजपा के नेता 2018 की गलतियां नहीं दोहराएंगे!

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Most Attention on MP : भाजपा का MP पर ध्यान ज्यादा, मंथन के निष्कर्ष का अभी इंतजार!  

New Delhi : भारतीय जनता पार्टी की दिल्ली में चल रही राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस साल होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव को लेकर खासी चर्चा है। पार्टी किसी भी स्थिति में कोई राज्य खोना नहीं चाहती! लेकिन, देखा जा रहा है कि भाजपा संगठन का सबसे ज्यादा ध्यान मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर है। इन दो दिनों में भी सबसे ज्यादा चर्चा मध्यप्रदेश को लेकर ही होती सुनाई दी। क्योंकि, पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सत्ता खोई थी।

2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी यहां से हार गई थी। उसके बाद कांग्रेस में टूट-फूट का फायदा उठाकर वो सत्ता में भले आ गई हो, लेकिन अभी भी स्थिति ऐसी नहीं है कि भाजपा आसानी से चुनाव जीत सके। भाजपा के नेता भी यह समझ रहे हैं कि बिना जोर लगाए मध्यप्रदेश में पार्टी का जीत पाना आसान नहीं है। यही कारण है कि पार्टी फूंक-फूंककर कदम रख रही। राजनीति का आकलन करने वालों का मानना है कि जेपी नड्डा के कार्यकाल को यदि विस्तार दिया गया, तो मध्यप्रदेश में बड़े बदलाव की संभावना कम है। विधानसभा चुनाव में अभी 10 महीने का समय बचा है, ऐसे में पार्टी बड़ा बदलाव करके किसी को नाराज भी करना नहीं चाहती।

प्रदेश के कई बड़े नेताओं ने सोमवार से शुरू हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हिस्सा लिया। इस बैठक में प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी विशेष रूप से आमंत्रित किया गया। वे दोनों दिन इस बैठक में मौजूद रहे। बताया जाता है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम के चुनाव प्रभारियों से भी फीडबैक लिया गया। पार्टी महासचिव और मध्य प्रदेश के प्रभारी मुरलीधर राव ने सोमवार को सुबह के सत्र में मंथन बैठक में हिस्सा लिया। जबकि, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान शाम की बैठक में मौजूद हुए।

बैठक से रिसकर बाहर आई खबरों के मुताबिक पार्टी पार्टी नेतृत्व मध्य प्रदेश को खास अहमियत दे रहा है। ऐसी योजना बनाई जा रही है, जिससे 2018 के चुनाव में हुई गलतियों को दोहराया न जाए! पिछले चुनाव में भाजपा को 109 सीट मिली थी। जबकि, कांग्रेस को 114 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। तब कमलनाथ ने बसपा, सपा और निर्दलीय विधायकों के समर्थन से सरकार बना ली थी। यह सरकार 15 महीने चली, लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ 22 विधायकों की टूट कांग्रेस से सत्ता छीन ली और एक बार फिर शिवराज सिंह चौहान की वापसी हुई। भाजपा विधानसभा चुनाव के अलावा लोकसभा चुनाव को लेकर अधिक फोकस कर रही है।