

Mother’s Day: माँ पर अनीता नाईक और साधना शर्मा की कविता
माँ: तुझ से ही है मेरा अस्तित्व
जिससे मिली मुझे जीने की प्रेरणा,
वो है मेरी ममतामयी माँ करूणा ।
जीवन को समझने की दृष्टि दी है जिसने,
समस्याओं से लड़ने की शक्ति दी है उसने।
तुमसे प्रेरित होकर मैंने अपनी,
आकांक्षाओं को तराशा,
कभी नहीं महसूस होने दी
जीवन में निराशा ।
जिन्दगी के कडवे अनुभव में,
माँ तेरा सिखाया पाठ याद आया ।
साया बनकर हमेशा तुमने साथ निभाया,
जब विदा किया था तब थी मैं नासमझ,
जीवन के संघर्षों से अब आ गई मुझे समझ ।
तेरी सीख ने ही मुझे बनाया परिपक्व,
तुझ से ही है मेरा अस्तित्व ।
अनचाहे संकटों में जब मैं गई थी डूब,
तब तुम्हीं ने किये थे व्रत नियम खूब ।
तेरी ही प्रार्थना और आशीर्वाद से हुए है
मेरे सारे शुभ काम,
कहती है ये माँ की बेटी-
शुरू करें हर काम,लेकर माँ का नाम,
तो होगा न कोई अशुभ काम।
-अनिता शरद नाईक
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तुम्हारी परछाई मुझमें आ जाती
मॉ
तुम्हारी झलक है मुझमें
कभी मेरी नाक की बनावट में तुम हो
तो कभी मुस्कान में तुम हो
और कभी बातें करती तो तुम्हारी याद दिलाती
तो कभी मेरी चाल में तुम आ जाती
तो कभी पीछे से तुम्हारी परछाई मुझमें आ जाती
तो कभी नैनों से तुम निहारती तो कभी खाने में स्वाद बन कर आ जाती
बिल्कुल मॉ के जैसे
क्योंकि मेरे जीन में तुम हो इसलिये जीना भी तुम से सीखी हूं
जीना तुम से ही सीखीं हूँ
साधना शर्मा
कोरबा
Mother’s Day :”Maan Tujhe Salaam”-“माँ तुझे सलाम”-वीर सैनिकों की माताओं को शत् शत् नमन