आज माँ का दिन है, हम सबकी माँ का दिन…… लेकिन न जाने क्यों हाथ बार -बार जुड़ रहें हैं उन वीरों की माँओं के लिए, जिन्होंने अपने सुपुत्रों को मातृभूमि की रक्षा के लिए सरहद पर भेज दिया है। माँ के इस जज्बे को शत- शत नमन करने का मन कर रहा है। कल्पना कीजिए कि कैसे हमारे बच्चों को जरा सी खरोंच भी लग जाती थी तो दिल की धड़कन बढ़ जाती थी, आंँखों की कोरों पर बूँदें छलकने को बेताब हो उठतीं थीं और अगर बच्चे की आँख में आंँसू आ जायें तो मांँ का हृदय बिलख उठता था परन्तु ऐसी माँएँ भी हैं जिनके लिए देश सर्वोपरि है, स्वार्थ की भावना उन्हें स्पर्श तक नहीं कर पाती है। उनके हृदय में भी तो स्नेह का सागर हिलोरें लेता होगा, उनकी आँखें भी पुत्र को हीरा- मोती मान सदा नजरों के सामने रखना चाहतीं होंगी ,उनके मन में बसा प्यार का गागर छलकने को आतुर रहता होगा लेकिन भारत माता को सर्वस्व मान वे अपने लाल को उसकी सेवा के लिए रणभूमि पर भेज देतीं हैं। ऐसी महान माताओं के जाये वीरों की वजह से ही हम अपने घरों पर महफूज हैं,चैन की नींद सो रहे हैं, मुस्कुरा रहें हैं, दो वक्त की रोटी खा रहें हैं।
जिस शहर में हमारी संतान रहती है ,वहांँ अगर तेज बारिश हो जाये ,भूकंप आ जाये या कुछ अनहोनी हो जाये तो हम अपनी संतान को बार-बार फोन करके तसल्ली करना चाहते हैं कि ‘तुम ठीक तो हो न’ फिर स्क्रीन पर जी भरकर उसको देखकर तसल्ली करते हैं किन्तु ऐसी माँएँ भी हैं जिन्होंने अपनी संतान को जहांँ भेजा है , वहांँ आग के गोले बरस रहें हैं ,सनसनाती गोलियों की बौछारें हैं और वे अपनी संतान से बात तक नहीं कर सकतीं। महान हैं ऐसी माँएँ….,सच मानिए ऐसी माँएँ ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति हैं। इसलिए आज का दिन केवल उन जन्मदात्रियों के लिए, जिनके लाल अपनी जान की परवाह किये बिना सिर पर कफ़न बांधकर विपरीत व विषम परिस्थितियों में सीमा पर तैनात हैं। ऐसी माँओं के लिए ही कहा गया है:-
” जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी”
अगर हमारे आसपास ऐसी माँएंँ हैं तो आज उनका सम्मान करें, मातृभूमि के प्रति उनकी निष्ठा को पूजें, उनके पास बैठकर अपना समय बिताएं। जिन्होंने अपनी कोख का जाया भारत माता की रक्षा के लिए भेज दिया, उनकी रक्षा का प्रण लें, मातृदिवस की सार्थकता इसी में है, इससे सुन्दर कुछ हो ही नहीं सकता।
वीर सैनिकों की माताओं को शत् शत् नमन