MOU on Parvti-Sindh-Chambal Project: केंद्र सरकार से MP और राजस्थान को मिलेंगे 35- 35 हजार करोड़ रूपए- CM डॉ मोहन यादव 

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MOU on Parvti-Sindh-Chambal Project: केंद्र सरकार से MP और राजस्थान को मिलेंगे 35- 35 हजार करोड़ रूपए- CM डॉ मोहन यादव 

 

भोपाल: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने पत्रकारों से चर्चा में बताया कि पार्वती-काली सिंध-चंबल परियोजना को लेकर बीच में हमने एमओयू किया था। उसके अगले चरण को लेकर मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री, माननीय मंत्रीगण और भारत सरकार को निमंत्रित किया गया।इस योजना के पक्ष में लगभग 35 हजार करोड़ रूपए की राशि राजस्थान को भारत सरकार देने वाली है और 35 हजार करोड़ मध्यप्रदेश को मिलने वाली है।

मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव जी की पत्रकारों से अनौपचारिक चर्चा के महत्वपूर्ण बिंदु:

 

*मध्यप्रदेश की जनता का धन्यवाद देना चाहता हूँ, जिन्होंने 29 की 29 सीटें जीतने का हमें आशीर्वाद दिया।* 

* *राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और श्री भूपेंद्र यादव (भारत सरकार के पर्यावरण मंत्री रहे, अभी राजस्थान के माननीय सांसद हैं) के साथ बैठक की है।*

* *पार्वती-काली सिंध-चंबल परियोजना को लेकर बीच में हमने एमओयू किया था। उसके अगले चरण को लेकर मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री, माननीय मंत्रीगण और भारत सरकार को निमंत्रित किया गया।* 

* *इस योजना के पक्ष में लगभग 35 हजार करोड़ रूपए की राशि राजस्थान को भारत सरकार देने वाली है और 35 हजार करोड़ मध्यप्रदेश को मिलने वाली है।*

* *इस प्रोजेक्ट के साथ-साथ गांधी सागर का महत्वपूर्ण चंबल प्रोजेक्ट है। वर्ष 1956 में जब ये डैम बना था तो 50-50% के आधार पर इसके जल का बंटवारा हुआ था। बाद में इसमें कुछ कमियां सामने आई। इसका समाधान करने की पहल हुई है।* 

* *हमारे राज्य से लगे हुए राज्यों जैसे राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात के मुख्यमंत्री जी से मैंने अलग-अलग बात की है कि हम विकास के मामले में परस्पर हो रहे अवरोध को आपस में बैठकर, चर्चा कर दूर करें और जल्द से जल्द जो प्रोजेक्ट पेंडिंग हैं, उसमें हमारी गति बढ़े ताकि विकास के मामले में हम आगे बढ़ें।*

* *हम सब यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में आगे बढ़ना चाहते हैं।* 

* *आज जब हम जल संरक्षण की बात कर रहे हैं तो जल संरक्षण के परंपरागत जल स्रोतों के साथ- साथ आधुनिक समय में जल संरचनाओं का हम ज्यादा से ज्यादा लाभ उठा सकें, यह आवश्यक है।*

* *इसके साथ-साथ मध्यप्रदेश में इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट की भी नई संभावनाएं बन रही हैं। इस पर हम निरंतर काम कर रहे हैं।*

* *यशस्वी प्रधानमंत्री जी पर पूरब-पश्चिम-उत्तर- दक्षिण सारे प्रदेशों से एक साथ भाजपा के प्रति इतना प्रेम लुटाया गया है कि उसका ये परिणाम निकला है।*

* *जैसा आपने कहा है कि गठबंधन की सरकार बन रही है। ये हमारे लोकतंत्र की विशेषता है और माननीय मोदी जी के नेतृत्व पर गौरवान्वित होने का क्षण है।*

* *माननीय मोदी जी ने स्वयं अपने प्रारंभिक भाषण में ये बात कही है कि अपने जीवन काल में उन्होंने कितने अलग-अलग प्रकार के रिकॉर्ड बनाए हैं।* 

* *श्री नरेंद्र मोदी जी पहली बार विधायक से सीधे मुख्यमंत्री, दूसरी बार विधायक फिर मुख्यमंत्री, तीसरी बार विधायक फिर मुख्यमंत्री और वह भी पूर्ण बहुमत के साथ बने। यह महत्वपूर्ण तथ्य है।*

* *फिर श्री मोदी जी जब केंद्र में आए तो पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी, दूसरी बार भी पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। ये सब रिकॉर्ड है और अबकी बार एनडीए के साथ भी पूर्ण बहुमत की ही सरकार है। ये तो सौभाग्य की बात है और मोदी जी हैं तो यह मुमकिन है।*

* *पहले एकमात्र जल राशि का प्रवाह शिप्रा जी में था। शिप्रा बहती थी तो लोग उसे स्नान और खेती के लिए उपयोग करते थे, फैक्ट्री में भी उसी का पानी लेते थे।* 

* *नर्मदा जी के आ जाने से हमारी खेती और अलग-अलग उद्योगों के लिए अब नर्मदा जी का जल उपलब्ध है।*

* *शिप्रा जी का जल शिप्रा जी में काम आ जाए और बाकी नर्मदा जी से हम काम चलाएं, यह बेहतर है। दरअसल जल की उपयोगिता तो बढ़ ही रही है।*

* *जैसा मैंने कहा कि जल संरचनाएं आदिकाल से बाबा महाकाल की जटाओं से निकलकर और गंगा के अवतरण से जल की संरचनाएं बहती आती हैं।*

* *हमें लगातार जल ही जीवन है, ये संदेश भी देना है। जैसा हमने कहा कि खास बात ये है कि समय- समय की संरचना और इससे जुड़़ा तालमेल देखने योग्य है। हमारे सभी त्योहार समय के साथ और ऋतुओं के साथ जुड़कर होते हैं।*

* *जैसे गंगा दशहरा का अवसर भी महत्वपूर्ण है, ये गर्मी के साथ जोड़कर सामने आता है। जब जल स्रोतों पर सबका ध्यान जाता है तो समाज को जोड़कर जन जागरण का अभियान भी संचालित किया जा रहा है। आप सबकी मदद से अभियान को अच्छा लाभ भी मिल रहा है। इसी तरह हम सब सहमत हैं कि वर्षा काल में पौधा रोपण होना चाहिए। राज्य में इस वर्षाकाल में अधिक से अधिक पौधारोपण के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। साढ़े पांच करोड़ पौधे रोपण किये जाएंगे।*