फिल्म समीक्षा: खोदा पहाड़ निकला, निकला चड्ढा !

बहुत प्रचार किया गया था आमिर खान की फिल्म लाल सिंह चड्ढा का। इस फिल्म के नेगेटिव प्रचार या बहिष्कार की अपील का फायदा मिला, लेकिन सिनेमाघर में टिकट खरीदकर पहले दिन, पहला शो देखने के बाद मुझे लगा कि यह फिल्म “आमिर मियां का मुरब्बा’ है। रक्षाबंधन के मौके पर रिलीज होने वाली फिल्म में रक्षा बंधन की कोई बात नहीं है।

इस फिल्म में मानवतावादी होने का संदेश दिया गया है जिसकी फिलवक्त किसी को कोई जरूरत नहीं है। इस फिल्म में आमिर की ‘ऊँ ऊँ करने की स्टाइल बोर करने वाली और फर्जी लगाती है। दर्शक को पता है कि ये बंदा तो ग्लिसरीन लगाकर अभिनय कर रहा है, इसमें दर्शक क्यों फ़ालतू में भावुक हो? भैया, तुम्हें तो भावुक बनने के करोड़ों रुपये मिल रहे हैं, हम दर्शक तो पैसे खर्च करके आये हैं, हमें वैल्यू फॉर मनी मिलना चाहिए। जब पीछे की सीट पर बैठा दर्शक खीजकर कहता है- ”बस कर, बहुत पका दिया”, तब सांत्वना मिलती है कि यह केवल मेरा मनोभाव नहीं है।

1994 में हॉलीवुड में बनी ‘फॉरेस्ट गंप’ फिल्म फिल्म को 2022 में लाल सिंह चड्ढा के नाम से हिंदी में बनाने का कोई औचित्य समझ में नहीं आया। फिल्म क्या कहना चाहती है? यह बात भी सीधे-सीधे लोगों के मन में उतरी नहीं। इसमें तो ‘फॉरेस्ट गम्प’ के काई सीन जैसे के तैसे उतार दिए गए हैं। कुछ अक़्ल का उपयोग किया जाता तो बेहतर था।

करीब 50 साल के घटनाक्रम को इस फिल्म में समेटने की कोशिश की है जिसमें आपातकाल, आपातकाल के समापन की सूचना, ऑपरेशन ब्लू स्टार, इंदिरा गांधी की हत्या, राजीव गांधी की हत्या, कारगिल युद्ध, दिल्ली के सिख विरोधी दंगे,बाबरी ढांचा गिराने के बाद का हाल, आडवाणी की रथ यात्रा, मुंबई के बम ब्लास्ट, अन्ना हजारे का आंदोलन आदि को शामिल कोशिश की गई। इतने घटनाक्रम के बाद फिल्म डगमगाने लगती है। एक पोस्टर में आमिर खान नदी के तट से गुजरते हैं जहां लिखा होता है -अबकी बार मोदी सरकार ! एक जगह स्वच्छ भारत का पोस्टर भी है। इस फिल्म में मोदी सरकार के आने के बाद के किसी बड़े घटनाक्रम को शामिल नहीं किया गया है।

शुरू होने के पहले लंबा चौड़ा अस्वीकरण है कि इस फिल्म का सच्चाई से कोई लेना देना नहीं है केवल कुछ पुरानी क्लिपिंग का इस्तेमाल इसलिए किया गया कि फिल्म की विश्वसनीयता बरकरार रहे और उस समय का परिदृश्य खींचा जा सके

फिल्म का हीरो एक सिख है। और इस फिल्म में जिस तरह से 1984 के दंगों का भी वीभत्स विवरण दिखाया गया है वह रोंगटे खड़े कर देता है। कारगिल युद्ध को जिस तरह दिखाया गया है, वह सतही है। भारतीय सेना ने सीधे खड़े पहाड़ पर घात लगाए दुश्मन से जगह खली कराई थी, और उसके लिए बड़ा बलिदान दिया था। देश के हर सैनिक को पता होता है कि उसे क्या करना है और क्या नहीं? युद्ध में पीठ दिखने की कोशिश करनेवालों को वही दफ़्न कर दिया जाता है, दुश्मन के घायल सैनिक को बचा ने का तो सवाल ही नहीं। \

आमिर खान और उनकी टीम को शायद इस बात की जानकारी नहीं है कि कोरोना काल में घरों में बंद लोगों ने ओटीटी प्लेटफॉर्म पर बहुत-सी देसी-विदेशी फिल्में देखी हैं और दो साल बाद उनकी फिल्मों की समझ बहुत बढ़ गई है। अब दर्शक घटिया फिल्में सहन नहीं कर सकते।लाल सिंह चड्ढा इंटरवल के बाद इतनी सुस्त हो जाती है कि दर्शक ऊबने लगता है।

लाल सिंह चड्ढा बहुत कुछ समेटने के चक्कर में बिखर गई। पकाऊ, अझेलनीय और अप्रासंगिक फिल्म। मैंने वक़्त और पैसा बर्बाद किया, आप चाहें तो न करें।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।