फिल्म समीक्षा :मुंज्या बदनाम हुआ, मुन्नी तेरे कारण

फिल्म समीक्षा :मुंज्या बदनाम हुआ, मुन्नी तेरे कारण

 

मुंज्या हॉरर कॉमेडी फिल्म है। यानी डर के मारे जान लपाके भी ले और ऊपर से हंसी भी फूटे! बड़ा कठिन है भिया ! या तो लपाके लेगी या हंसी छूटेगी। भट्ट लोगों ने हॉरर में सेक्स का मसाला डाल दिया, तो रामसे भाइयों ने हॉरर फिल्मों की ऐसी परिभाषा गढ़ दी थी कि हॉरर फिल्म यानी खूनी हवेली, तहखाना, बंद दरवाज़ा, मेरा शिकार, शैतानी मांग, खजाना,पुरानी हवेली आदि। वही बत्ती का जलना बुझना, श्मशान घाट, सफ़ेद साड़ी में सुंदरी, दरवाजे की चर्र चूं। दूर टाउन हॉल की घंटे की आवाज़ ! मुंज्या में ऐसा कुछ नहीं, लेकिन फिर भी यह फिल्म डराती है और हंसाती है। यह ट्रेडिशनल भूत वाली फिल्म नहीं है।

हॉरर-कॉमेडी फिल्म मुंज्या मुंजा दिनेश विजन की मैडॉक फिल्म कंपनी ने बनाई है जिसने स्त्री, भेड़िया, बदलापुर आदि बनाई थी। डायरेक्टर आदित्य सरपोतदार ने कोंकण की कहानी दिखाई है। फिल्माया ऐसा कि समुद्र के तट पर गुजर रहा शख्स भी डरावना लगने लगता है। पीपल के पेड़ से रूह कांपे! और साथ ही महाराष्ट्र रोडवेज घूमने का मन करे। गोवा क्या जाना, कोंकण चलो। लोककथा और आधुनिक परिवेश का ऐसा मसाला बनाया है जिसमें लव एंगल भी है और हॉरर भी। कॉमेडी भी है और इमोशन भी। हर चीज़ नए तरीके से।

यह ऐसी फिल्म है जो कहने को तो हॉरर सुपरनेचुरल कॉमेडी है, लेकिन इसे बेख़ौफ़ देखा जा सकता है। कई जगह कॉमेडी भी देखने को मिलेगी। इसका काला जादू और मुंज्या की भटकती आत्मा डराते हैं, लेकिन उससे भी ज्यादा इसका पार्श्व संगीत डराता है। फिल्म का अंत अनपेक्षित है। अभय वर्मा, शरवरी वाघ, मोना सिंह, सुहास जोशी, सत्यराज आदि का अभिनय अच्छा है। नए कलाकारों ने अच्छा काम किया है। डर, गुस्से, प्रतिशोध और प्रेम भाव चेहरे पर एक साथ लाना आसान नहीं होता। मुंजा एक ब्रह्मराक्षस है, जिसे सीजीआई (कंप्यूटर ग्राफिक इमेजिंग) की मदद से बनाया गया है। यह पात्र इंग्लिश ईटी के दूसरे ग्रह से आया जीव या ‘लॉर्ड ऑफ द रिंग्स’ ट्रिलजी जैसा नजर आता है। कॉक्रोच पात्र डर से ज्यादा घृणा पैदा करता है। वीएफएक्स परफेक्ट नहीं हैं लेकिन डराने का ही तो काम है इनका। यह काम हो जाता है।

यह फिल्म कोंकणी लोक कथा पर आधारित है। कहा जाता है कि अगर कोई शख्स अपने मुंडन या उपनयन संस्कार के 10 दिन के भीतर गुज़र जाता है, तो वह ब्रह्मराक्षस बन जाता है। उपनयन संस्कार को मराठी में ‘मुंज’ कहते हैं। टाइटल कैरेक्टर का नाम है ‘मुंजा’, मगर लोग उसे मुंज्या पुकारते हैं।

दो घंटे से से थोड़ी बड़ी फिल्म है फिल्म है। हॉरर या कॉमेडी पसंद हो तो देख सकते है। झेलनीय है।

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डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी जाने-माने पत्रकार और ब्लॉगर हैं। वे हिन्दी में सोशल मीडिया के पहले और महत्वपूर्ण विश्लेषक हैं। जब लोग सोशल मीडिया से परिचित भी नहीं थे, तब से वे इस क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। पत्रकार के रूप में वे 30 से अधिक वर्ष तक नईदुनिया, धर्मयुग, नवभारत टाइम्स, दैनिक भास्कर आदि पत्र-पत्रिकाओं में कार्य कर चुके हैं। इसके अलावा वे हिन्दी के पहले वेब पोर्टल के संस्थापक संपादक भी हैं। टीवी चैनल पर भी उन्हें कार्य का अनुभव हैं। कह सकते है कि वे एक ऐसे पत्रकार है, जिन्हें प्रिंट, टेलीविजन और वेब मीडिया में कार्य करने का अनुभव हैं। हिन्दी को इंटरनेट पर स्थापित करने में उनकी प्रमुख भूमिका रही हैं। वे जाने-माने ब्लॉगर भी हैं और एबीपी न्यूज चैनल द्वारा उन्हें देश के टॉप-10 ब्लॉगर्स में शामिल कर सम्मानित किया जा चुका हैं। इसके अलावा वे एक ब्लॉगर के रूप में देश के अलावा भूटान और श्रीलंका में भी सम्मानित हो चुके हैं। अमेरिका के रटगर्स विश्वविद्यालय में उन्होंने हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर अपना शोध पत्र भी पढ़ा था। हिन्दी इंटरनेट पत्रकारिता पर पीएच-डी करने वाले वे पहले शोधार्थी हैं। अपनी निजी वेबसाइट्स शुरू करने वाले भी वे भारत के पहले पत्रकार हैं, जिनकी वेबसाइट 1999 में शुरू हो चुकी थी। पहले यह वेबसाइट अंग्रेजी में थी और अब हिन्दी में है।

डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी ने नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने पर एक किताब भी लिखी, जो केवल चार दिन में लिखी गई और दो दिन में मुद्रित हुई। इस किताब का विमोचन श्री नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के एक दिन पहले 25 मई 2014 को इंदौर प्रेस क्लब में हुआ था। इसके अलावा उन्होंने सोशल मीडिया पर ही डॉ. अमित नागपाल के साथ मिलकर अंग्रेजी में एक किताब पर्सनल ब्रांडिंग, स्टोरी टेलिंग एंड बियांड भी लिखी है, जो केवल छह माह में ही अमेजॉन द्वारा बेस्ट सेलर घोषित की जा चुकी है। अब इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ चुका है।