MP Assembly Election: कांग्रेस यदि तुष्टिकरण नीति छोड़ें तो मध्य प्रदेश में गाड़ सकती है झंडे
दिनेश सोलंकी की विशेष रिपोर्ट
इस समय विधानसभा टिकट को लेकर शह और मात का खेल चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी को अपनी जमीन निःसंदेह धसकती दिखाई दे रही है उसकी दूसरी टिकिट लिस्ट से यह बात सामने आ रही है कि उसे हर हाल में जीतने के लिए हर वो चाल चलनी है जिससे कांग्रेस मध्य प्रदेश की सत्ता पर काबिज ना हो सके। उधर कांग्रेस की हालत दूसरी सूची मिलने के बाद से सांप छछूंदर जैसी हो रही है क्योंकि भाजपा ने उन किलों की नाकाबंदी की है जहां पिछले चुनाव में उसे हार मिली थी और शायद कांग्रेस उन्हीं सीटों पर अपने दांव पहले से ज्यादा पुख्ता करने वाली थी। बहरहाल तो भाजपा का दांव सफल है और लगता है कांग्रेस के मंसूबों का पांसा पलट गया है। क्योंकि जो भी चेहरे भाजपा ने उतारे हैं वे न सिर्फ प्रभावी हैं बल्कि चर्चित है और चुनाव जीतने का माद्दा भी रखते हैं। अब ऐसे में कांग्रेस को इन प्रभावी चेहरों के सामने भी चुनौती मिल रही है और बाकी सीटों पर भी उसे जीतने के लिए बहुत कुछ पापड़ बेलने हैं ताकि बेहतर उम्मीदवार निकल कर सामने आए जिन्हें जनता स्वीकार कर सके।
कांग्रेस के पास एक बड़ा दांव हो सकता है जिसे मगर आजमाने में इसलिए डरती है कि उसी दांव का उपयोग तो वह लंबे समय से करती आ रही है और वह आजमाया हुआ दांव है अल्पसंख्यक वोट और अल्पसंख्यकों को लेकर तुष्टिकरण की नीति। और इसी नीति और लोभ के कारण आम हिंदू मतदाता कांग्रेस से खिसककर भगवा वस्त्र की ओर आकर्षित होकर भाजपा के साथ हो जाता है।
क्या कमलनाथ ऐसे में प्रदेश के आम हिंदुओं को यह विश्वास दिला सकते हैं कि वह मुस्लिम तुष्टिकरण नीति नहीं अपनाएंगे या वह यह विश्वास दिला सकते हैं कि कांग्रेस के राज में सांप्रदायिक दंगों के स्थान पर अब शांतिपूर्ण भाईचारे का वातावरण बनेगा और कानून का पालन हिंदू मुस्लिम भेदभाव के बिना वह अपनाएगी।
पिछली बार याद होगा जब कमलनाथ की सरकार बनी थी तब मुस्लिम अल्पसंख्यकों का एक वर्ग जोकट्टरवादी स्वभाव का होता है, वह बेहद खुश हुआ था।उसकी उछल कूद से लगता था मानो प्रदेश में उनके घर की सरकार आ गई है। ऐसे में खुद कांग्रेस भी मुस्लिम समाज के उन तथाकथित नुमाइंदों को संरक्षण प्रदान करती नजर आई, जिससे लव जिहाद जैसे मामले तेजी से पनपने लगे थे। इन्हीं बातों को लेकर हिंदू बौखलाता है और परिणीति में हिंदू मुस्लिम सांप्रदायिक दंगों की नौबत तक आती है।
प्रदेश में ताजा माहौल भी ऐसे मुस्लिम तत्वों को प्रोत्साहित कर रहा है, जो समय की फिराक में है की अब जैसे तैसे सत्ता कांग्रेस की बन जाए बस…..।
शायद राजनैतिक दल चुनाव के समय भूल जाते हैं कि आम जनता भोली होती है उसे रोजी-रोटी की चिंता होती है। वह चाहे हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो। सांप्रदायिक दंगे प्रत्येक समाज के लिए अप्रिय और नुकसानदायक होते हैं और राष्ट्र की प्रगति में अवरोध भी होते हैं। ऐसे में चंद फिरकापरस्ती यदि सर उठाते हैं तो वह न सिर्फ समाज में बल्कि प्रदेश में भी सरकार के लिए परेशानियां खड़ा करते हैं।
कमलनाथ को चाहिए उन्हें जीत के लिए आखिरी बम फोड़ना चाहिए जो टिकट वितरण से कहीं ज्यादा लाभदायक सिद्ध हो सकता है। उन्हें बढ़-चढ़कर यह घोषणा करनी चाहिए कि उनकी सत्ता आई तो देशद्रोही तत्वों को बख्शा नहीं जाएगा। समाज का हर तबका सुरक्षित होगा। कानून का पालन एक नजर से कराया जाएगा। यदि कमलनाथ यह शपथ लेते हैं तो जनता को यह विश्वास बनेगा और प्रदेश में कांग्रेस के पक्ष में सीधी लहर चल सकती है।
क्योंकि इधर भाजपा का समर्थन करनेवाला आम आदमी भी भगवा वस्त्र के भोंडेपन से घबरा रहा है, भगवा की आड़ में डीजे चींख रहे हैं। उसे यह समझ में आ रहा है कि भाजपा में भी ऐसे तत्वों को हवा दी जाती है जो भगवा वस्त्र की आड़ में अपना पाखंड फैला सके। करोड रुपए की हो रहीं कथाएं इस बात का सबूत है कि कथा की आड़ में घर तो चंद लोगों के भर रहे हैं और आम धार्मिक जनता कथाएं सुन सुनकर शरणम गच्छामि हो रही है। जिन्हें बाद में ही असलियत पता चलती है की भव्य और खर्चीली कथाओं के पीछे असली कहानी क्या रहती है।