MP BJP: खींचतान जारी लेकिन कुछ नाम लगभग तय ,अब कभी भी हो सकती है भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा 

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MP BJP: खींचतान जारी लेकिन कुछ नाम लगभग तय ,अब कभी भी हो सकती है भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा 

 

 

भोपाल। MP BJP: मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव में हालांकि अभी भी खींचतान जारी है लेकिन पता चला है कि अब भाजपा जिला अध्यक्षों की घोषणा कभी भी हो सकती है

 

बता दे कि मप्र भाजपा के संगठन चुनाव में इस बार कांग्रेस से बने भाजपाईयों एवं मूल भाजपाईयों दोनो के बीच चल रहे शह-मात के खेल की वजह से संगठन चुनाव में भारी खींचतान हुई है। हालत यह है कि आज दोपहर तक भी नाम की घोषणा नहीं हो सकी है। हालात यहां तक बिगड़ गए थे कि प्रदेश नेतृत्व को दिल्ली तलब किया गया। वहां पिछले दो दिन से कई दौर की बातचीत होने के बाद अब पता चला है कि कई नाम को फाइनल कर दिया गया है।

पता चला है कि आज रात तक कुछ जिलों के जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा हो सकती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इंदौर और भोपाल को फिलहाल होल्ड पर रखा गया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इंदौर ग्रामीण से चिंटू वर्मा, रतलाम से प्रदीप उपाध्याय और नीमच से पवन पाटीदार को फिर से जिला अध्यक्ष बनाया जा सकता है। खरगोन में अनुसूचित जनजाति से आने वाली महिला नेता नंदा ब्रह्मणी को जिला अध्यक्ष बनाया जा सकता है। मंदसौर से राजेश दीक्षित, ग्वालियर ग्रामीण से प्रेम सिंह राजपूत, जबलपुर से शरद अग्रवाल, देवास से राजेश यादव, शिवपुरी से जसवंत जाटव,गुना से धर्मेंद्र सिकरवार और धार ग्रामीण से जयदीप पटेल के अध्यक्ष बनाए जाने के आसार दिख रहे हैं। ग्वालियर से हरीश मेवाफरोश का नाम तेजी से उभर कर सामने आया है।

पता चला है कि जिला अध्यक्षों के नाम की घोषणा वर्चुअल बैठक के बाद की जाएगी। वर्चुअल बैठक के पीछे आशय यही है कि जो लोग पद प्राप्त करने से वंचित रह जाएंगे उनको पहले से ही सावधान कर दिया जाएगा या मना लिया जाएगा ताकि घोषणा होने के बाद वे कोई सार्वजनिक विरोध न करें। कुल मिलाकर वर्चुअल बैठक को डैमेज कंट्रोल की कवायद ही कहा जाना चाहिए। वर्चुअल बैठक में बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा, संगठन महासचिव हितानंद शर्मा के अलावा प्रदेश भाजपा प्रभारी महेंद्र सिंह, सह प्रभारी सतीश उपाध्याय और जिला पर्यवेक्षक और जिला चुनाव अधिकारी मौजूद रहेंगे।

 

“ घोषणा होते ही विरोधी स्वर होेंगेे मुखर ”

सूत्रों के अनुसार कई जिलों के कद्दावर नेता तो संगठन के सामने अपनी बात रख चुके है कि उनकी अनदेखी की गई तो परिणाम संभाले नहीं संभलेंगे। कांग्रेस से भाजपाई बने कुछ जिलों के कार्यकर्ता से जब बात कि तब उन्होंने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि हमने कांग्रेस में अपने इतने बड़े नेता का साथ छोड़ा है, तो अब हमें संगठन में तो जगह मिलना ही चाहिए। कुछ जगह कार्यकर्ताओं के नेता इतने पॉवर-फुल है कि उनकी दम पर कुछ नेता अपनी घोषणा पक्की मान कर चल रहे है।

“ जो पैनल तैयार हुए वो भी आपसी दबाव में ”

संगठन ने जिलाध्यक्ष पद के लिए जिन नेताओं को जिलों का प्रभारी बनाया था,वे भी निष्पक्ष अपनी भूमिका नहीं निभा सके। संगठन के जिम्मेदार प्रभारी ने विरोध-अवरोध करने वाले नेता के नाम जोड़कर इति श्री कर दी। हालांकि यह महज प्रभारी ने ही नहीं किया, ऐसा ही प्रदेश कार्यालय में जिम्मेदार पदाधिकारियों ने भी किया। सूत्रों की माने तो प्रदेश पदाधिकारियों ने भी जिलों से आए नामों एवं विरोध-अवरोध करने वालों को संतुष्ट रखने के लिए पैनल में नाम जोड़ कर मामला केन्द्रीय नेतृत्व के पाले में भेज दिया। हालांकि पैनल तैयार करने में ही इतना झोल-झाल कर दिया कि मामला केन्द्रीय नेतृत्व ने जैसे तैसे सुलझाया है।

भाजपा संगठन में इस वक्त सिकंदर बनने की होड़ लगी हुई है। जिलाध्यक्ष चयन को लेकर जब इतनी आपा-तापी मची हुई है, तो प्रदेश अध्यक्ष के चयन में क्या होगा। हालांकि नेताओं की यह जंग अपने-अपने राजनीतिक वर्चस्व को कायम रखने की ही कही जाएगी।

अब देखना यह है कि किस नेता का वर्चस्व कायम रहेगा अथवा किस नेता का मोहरा पीटेगा। यह तो जिलाध्यक्ष की घोषणा होने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।