
Big Announcement of MP DGP: रिटायरमेंट के बाद संस्मरण लिखेंगे कैलाश मकवाणा, पूर्व DG त्रिपाठी की पुस्तक ‘यादों का सिलसिला’ का विमोचन करते हुए कहा
भोपाल: प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (DGP) कैलाश मकवाणा ने कल रात आयोजित एक कार्यक्रम में घोषणा की कि वे रिटायरमेंट के बाद अपने सेवाकाल के संस्मरण लिखेंगे।श्री मकवाणा ने यह घोषणा कल रात भोपाल में पुलिस ऑफिसर्स मेस में पूर्व पुलिस महानिदेशक (DG) और पूर्व वरिष्ठ IPS अधिकारी नरेंद्र कुमार त्रिपाठी की पुस्तक ‘यादों का सिलसिला’ का विमोचन करते हुए कही।इस किताब में श्री त्रिपाठी की लेखनी से निकला उनका लोकप्रिय कॉलम “यादों का सिलसिला”, जो लंबे समय से अग्रणी न्यूज़ पोर्टल मीडियावाला पर प्रकाशित होता आ रहा है, अब एक पुस्तक के रूप में साकार हो गया है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने की।कार्यक्रम में मध्य प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयुक्त और पूर्व वरिष्ठ IAS अधिकारी मनोज श्रीवास्तव विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।


DGP कैलाश मकवाणा ने कहा कि ‘यादों का सिलसिला’ किताब की लेखनी सटीक, जीवंत, सहज और आत्मीय है. इसमें कई संस्मरण में संवेदनाएं भी समाहित हैं. न्याय और प्रक्रिया का द्वंद भी देखने को मिलता है. पुलिस अधिकारियों को इसे अवश्य पढ़ना चाहिए. इसे पढ़ते हुए मकवाणा को अपने 37 साल के सर्विस करियर की यादें स्मरण होकर ताजा हो गईं. इसी को देखते हुए उन्होंने कहा कि वे भी रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन से जुड़े संस्मरण लिखेंगे।

कार्यक्रम में राज्य निर्वाचन आयुक्त , पूर्व वरिष्ठ आईएएस अधिकारी एवं चिंतक मनोज श्रीवास्तव ने पुस्तक पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यादों का सिलसिला पुस्तक यादों के प्रभाव को कम नहीं करती. इसमें जीवन भर की यादें ऑटो बायोग्राफी के रूप में हैं. इसमें प्रदेश का बदलता परिदृश्य भी समाहित किया गया है.

माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी ने कहा कि यादों का सिलसिला पुस्तक बड़े रोचक विवरण से भरी हुई है. इतनी अच्छी प्रस्तुति करना हर किसी के बस की बात नहीं. त्रिपाठी जी की तरह सभी अधिकारियों को अपने अनुभव को पुस्तक के रूप में संग्रहित करना चाहिए जो आने वाले लोगों को नसीहत बने. कुलगुरु ने कहा कि अब समय आ गया है जब शासन को इस बात के लिए विचार करना चाहिए की रिटायरमेंट की उम्र क्या हो। दरअसल रिटायरमेंट की कोई उम्र ही नहीं होना चाहिए बल्कि जब तक आदमी अच्छी तरह काम कर सके उसे रिटायर ही नहीं करना चाहिए। इसके बजाय तो उन लोगों को रिटायर करना चाहिए जो भले ही 35-40 साल के हो लेकिन काम में मक्कारी कर रहे हो और सरकार के लिए बोझ बने हुए हो।

इस मौके पर पुस्तक के लेखक पूर्व डीजी नरेंद्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि ‘यादों का सिलसिला’ केवल एक संस्मरण नहीं- यह एक पुलिस अधिकारी की आत्मा से निकली आत्मकथा है,
जो पाठकों को बताएगी कि सच्चा नेतृत्व केवल शक्ति नहीं, बल्कि संवेदना और स्मृतियों का संगम होता है। हर अध्याय एक नई प्रेरणा, एक नया दृष्टिकोण और एक मानवीय संदेश छोड़ जाता है।
इस अवसर पर मीडियावाला के प्रधान संपादक और प्रदेश के पूर्व जनसंपर्क संचालक सुरेश तिवारी ने बताया कि‘यादों का सिलसिला’ में श्री त्रिपाठी ने अपने जीवन के विविध पड़ावों को सादगी और संवेदना के साथ उकेरा है-बचपन की जिज्ञासाओं से लेकर सेवा-जीवन की चुनौतियों तक, हर अध्याय एक नई अनुभूति कराता हैउन्होंने पुलिस सेवा के अनुभवों को महज़ एक अफसर के नज़रिए से नहीं, बल्कि एक सामान्य मनुष्य की दृष्टि से लिखा है, यही इस पुस्तक की सबसे बड़ी खूबी है।

असम और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में कार्य के दौरान दिखाया गया उनका धैर्य और नेतृत्व कौशल, दिल्ली और इंदौर के कार्यकाल की रोचक घटनाएं और पुलिस की परंपरागत छवि के परे किए गए नवाचार, इस पुस्तक को विशेष बनाते हैं।साथ ही, उनके छात्र जीवन, विदेश यात्राओं और व्यक्तिगत रिश्तों से जुड़े संस्मरण पाठकों को भीतर तक छू लेते हैं।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में ब्यूरोक्रेट्स, साहित्यकार,पत्रकार और गणमान्य नागरिक मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन राम जी श्रीवास्तव ने किया।





