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MP ELECTION: भाजपा इस बार,डेढ़ सौ पार
वरिष्ठ पत्रकार रमण रावल का राजनीतिक आँकलन
यह एक अतिवादी आकलन हो सकता है, उनके लिये,जो यह मानते हैं कि मप्र में भाजपा के 18 साल और शिवराज सिंह चौहान के 15 साल के शासनकाल से लोग उकता चुके हैं और बदलाव चाहते हैं। भाजपा के राष्ट्रीय और प्रादेशिक नेतृत्व इससे इत्तफाक नहीं रखता और अपनी रणनीति उसी तरह से बनाकर चल रहा है, जिससे उसे 230 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में 150 से अधिक सीटें मिल सके। रणनीतिकारों के तर्क और परिस्थितियों की पड़ताल करने पर नतीजे इस जादुई आंकड़े के आसपास नजर आ रहे हैं।
आइये,सिलसिलेवार बात करते हैं। 2018 के चुनाव में मप्र में कांग्रेस की सरकार अनपेक्षित तो थी, लेकिन अनायास नहीं थी। कांग्रेस ने उसके लिये बाकायदा तैयारी की थी, जिसे भाजपा का प्रादेशिक नेतृत्व समझ नहीं पाया या यूं कहें कि मुगालते में रहा। इस बार कोई मुगालता नहीं पाला, बल्कि चरणबद्ध रूप से ऐसी योजना बनाई गई है, जो भाजपा को आशातीत सफलता पाने में सहायक साबित हो। दरअसल 2018 के चुनाव से पहले प्रदेश सरकार के खिलाफ नकारात्मकता बढ़ गई थी, जो उसे ले डूबी।
जैसे चुनाव से 6-8 माह पहले समूचे मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन ने सरकार के खिलाफ माहौल बना दिया था। इसे अपने लिये अवसर मानकर कांग्रेस ने बेहद चतुराई पूर्वक किसान कर्ज माफी का पत्ता फेंका था। वह तुरूप का पत्ता साबित हुआ। दूसरा मसला था,सपाक्स का आंदोलन, जिसके तहत गरीब सवर्णों को आरक्षण की मांग की जा रही थी। इसने आग में घी डालने का काम किया । तीसरा महत्वपूर्ण मसला रहा करणी सेना का आंदोलन। एक तरह से भाजपा का पारंपरिक समर्थक राजपूत वर्ग इस आंदोलन के पीछे उससे कुछ समय के लिये दूर छिटक गया था ।
इन तमाम तात्कालिक कारणों के बावजूद भाजपा की कश्ती किनारे पर आकर डूबी। याने सरकार विरोधी हवा तो तब भी नहीं थी। यदि कुछ था तो तात्कालिक लालच (कर्ज माफी का)। अपेक्षा गरीब सवर्ण को आरक्षण की। हल्की सी नाराजी राजपूत समुदाय की। इस बार ये तीनों बड़े कारण तो नदारद हैं ही, साथ में भाजपा को मजबूती देने के इतने सारे कारण हैं कि कांग्रेस कहीं लड़ाई में नजर ही नहीं आ रही । कैसे? अब इस पर भी बात कर लेते हैं।
अब किसान को किसी कर्ज माफी के लालच की जरूरत ही नहीं रही। जिन 27 लाख किसानों के लाभान्वित होने की बात कांग्रेस ने कही थी, उसमें से 17 लाख को ही लाभ मिला था। उसमें भी ज्यादातर वे किसान थे, जिन पर 10-20 हजार का कर्ज था। जबकि अब तो सरकार किसानों के खातों में प्रतिवर्ष 12 हजार रूपये जमा करवा रही है। 6 हजार केंद्र के, 6 हजार राज्य के। अभी भाजपा का चुनाव घोषणा पत्र आना है। निश्चित ही उसमें भी किसानों के लिये अनेक योजनायें रहेंगी ही। फिर, राज्य सरकार ने प्रदेश का जो करीब 14 प्रतिशत सवर्ण है,उसमें से 10 प्रतिशत को आरक्षण दे दिया, जिससे गरीब सवर्ण(जिसमें राजपूत भी शामिल है) की शिकायत दूर हो गई।
इसके बाद लीजिये लाड़ली बहना योजना को। चुनाव से पहले ही बहनों के खाते में पहले एक हजार, फिर 1250 रूपये की मिलाकर तीन किस्तें जमा हो चुकी हैं। 21 वर्ष से ऊपर की पात्र, लेकिन अविवाहित महिलायें भी योजना में शामिल कर ली गईं हैं। यह संख्या करीब एक करोड़ तीस लाख महिलाओं की हो गईं हैं। उन्हें गैस सिलेंडर भी 450 रूपये में मिलने लगा है। फिर, आगे खाते में 3 हजार रूपये आने की आस भी है ही। लाख कांग्रेस ने बहनों को 1500 रूपये देने का वचन दिया हो, यहां तो भाजपा क्रियान्वयन कर चुकी है। तो ज्यादा असरकारी तो हाथ की नकदी ही रहेगी।
मध्यप्रदेश में जिन सवा करोड़ से अधिक महिलाओं को नकद नारायण मिलने लगे हैं, वे प्रदेश की 230 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्येक में औसत 50 हजार की तादाद में मानी जा सकती हैं। इनमें से पहले जो कांग्रेस की मतदाता रही होंगी, वे आधी भी भाजपा के पक्ष में हो गईं तो बाजी पलटना आसान हो जाता है। यदि औसत 70 प्रतिशत मतदान रहा तो एक विधानसभा में 35 हजार महिला मतदान होगा। उसमें से आधी भी अपने शिव भैया की लाड़ली निकली तो सोचिये परिणाम क्या होगा? फिर केवल लाड़ली बहना ही नहीं है, लाड़ली लक्ष्मी भी तो हैं। वे भांजे भी हैं, जिन्हें साइकिल,लेपटॉप मिले हैं। याने एक विधानसभा में औसत 10 हजार वोट भी भाजपा के बढ़े तो सीटों की संख्या डेढ़ सौ पहुंचना कोई बड़ी बात नहीं होगी।
दरअसल, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रीति-नीति से ससमय सबक लेकर मप्र भाजपा ने जो बांटने-बटोरने का सिलसिला प्रारंभ किया था, वह सुखद अंत के करीब जाता दिख रहा है। इसे कहते हैं,दुश्मन को उसी के हथियार से परास्त करना।
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रमण रावल
संपादक - वीकेंड पोस्ट
स्थानीय संपादक - पीपुल्स समाचार,इंदौर
संपादक - चौथासंसार, इंदौर
प्रधान संपादक - भास्कर टीवी(बीटीवी), इंदौर
शहर संपादक - नईदुनिया, इंदौर
समाचार संपादक - दैनिक भास्कर, इंदौर
कार्यकारी संपादक - चौथा संसार, इंदौर
उप संपादक - नवभारत, इंदौर
साहित्य संपादक - चौथासंसार, इंदौर
समाचार संपादक - प्रभातकिरण, इंदौर
1979 से 1981 तक साप्ताहिक अखबार युग प्रभात,स्पूतनिक और दैनिक अखबार इंदौर समाचार में उप संपादक और नगर प्रतिनिधि के दायित्व का निर्वाह किया ।
शिक्षा - वाणिज्य स्नातक (1976), विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन
उल्लेखनीय-
० 1990 में दैनिक नवभारत के लिये इंदौर के 50 से अधिक उद्योगपतियों , कारोबारियों से साक्षात्कार लेकर उनके उत्थान की दास्तान का प्रकाशन । इंदौर के इतिहास में पहली बार कॉर्पोरेट प्रोफाइल दिया गया।
० अनेक विख्यात हस्तियों का साक्षात्कार-बाबा आमटे,अटल बिहारी वाजपेयी,चंद्रशेखर,चौधरी चरणसिंह,संत लोंगोवाल,हरिवंश राय बच्चन,गुलाम अली,श्रीराम लागू,सदाशिवराव अमरापुरकर,सुनील दत्त,जगदगुरु शंकाराचार्य,दिग्विजयसिंह,कैलाश जोशी,वीरेंद्र कुमार सखलेचा,सुब्रमण्यम स्वामी, लोकमान्य टिळक के प्रपोत्र दीपक टिळक।
० 1984 के आम चुनाव का कवरेज करने उ.प्र. का दौरा,जहां अमेठी,रायबरेली,इलाहाबाद के राजनीतिक समीकरण का जायजा लिया।
० अमिताभ बच्चन से साक्षात्कार, 1985।
० 2011 से नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना वाले अनेक लेखों का विभिन्न अखबारों में प्रकाशन, जिसके संकलन की किताब मोदी युग का विमोचन जुलाई 2014 में किया गया। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भी किताब भेंट की गयी। 2019 में केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के एक माह के भीतर किताब युग-युग मोदी का प्रकाशन 23 जून 2019 को।
सम्मान- मध्यप्रदेश शासन के जनसंपर्क विभाग द्वारा स्थापित राहुल बारपुते आंचलिक पत्रकारिता सम्मान-2016 से सम्मानित।
विशेष- भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा 18 से 20 अगस्त तक मॉरीशस में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सरकारी प्रतिनिधिमंडल में बतौर सदस्य शरीक।
मनोनयन- म.प्र. शासन के जनसंपर्क विभाग की राज्य स्तरीय पत्रकार अधिमान्यता समिति के दो बार सदस्य मनोनीत।
किताबें-इंदौर के सितारे(2014),इंदौर के सितारे भाग-2(2015),इंदौर के सितारे भाग 3(2018), मोदी युग(2014), अंगदान(2016) , युग-युग मोदी(2019) सहित 8 किताबें प्रकाशित ।
भाषा-हिंदी,मराठी,गुजराती,सामान्य अंग्रेजी।
रुचि-मानवीय,सामाजिक,राजनीतिक मुद्दों पर लेखन,साक्षात्कार ।
संप्रति- 2014 से बतौर स्वतंत्र पत्रकार भास्कर, नईदुनिया,प्रभातकिरण,अग्निबाण, चौथा संसार,दबंग दुनिया,पीपुल्स समाचार,आचरण , लोकमत समाचार , राज एक्सप्रेस, वेबदुनिया , मीडियावाला डॉट इन आदि में लेखन।