भोपाल:
प्रदेश में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के क्रियान्वयन में पांच जिले काफी पीछे है। नरसिंहपुर, सिगरौली, सिवनी, अलीराजपुर और झाबुआ में राज्य के औसत से भी कम पीएम आवास बन पाए है।
कुछ जिले तो ऐसे भी हैं जहां योजना के तहत तीसरी और चौथी किश्त भी दी जा चुकी है लेकिन आवास पूरे नहीं हो पाए।
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने जिलों के कलेक्टरों और सीईओ जिला पंचायत पर नाराजगी जाहिर करते हुए काम में तेजी लाने के निर्देश दिए है।
जिन पांच जिलो में राज्य के औसत से भी कम पीएम आवास बने है उन्हें कहा गया है कि समयसीमा में रणनीति तैयार कर आवास पूरे किए जाएं। तीसरी किश्त प्राप्त होंने के बाद भी जिन जिलों में आवास अपूर्ण है उनमें सतना, कटनी, रीवा, मंडला और सिवनी जिले शामिल है। इनको भी समयसीमा में रणनीति बनाकर शतप्रतिशत आवास पूरे करने को कहा गया है।
आवास पूरे फिर भी नहीं मिली चौथी किश्त-
आवास पूरे होंने के बाद भी कई जगह चतुर्थ किश्ते हितग्राहियों को नहीं दी गई है। ऐसे जिलों में सीधी, दमोह, सागर, विदिशा और सतना शामिल है। यहां के अधिकारियों से कहा गया है कि हितग्राहियों को शीघ्र किश्ते प्रदान की जाए।
दस जिले में इंदिरा आवास निर्माण की गति धीमी-
प्रदेश के दस जिलों में इंदिरा आवास योजना के आवास निर्माण की गति काफी धीमी है। इन जिलों में सीधी, सतना, सिंगरौली, शिवपुरी, कटनी, उमरिया, खरगौन, होशंगाबाद एवं शहडोल जिले शामिल है। यहां गूगलशीट को अद्यतन करने और अपूर्ण आवासों को एक सप्ताह में रणनीति तैयार कर यथाशीघ्र आवास पूरे करने को कहा गया है।
भूमिहीनों को नहीं मिली जमीन-
प्रदेश के दस जिलों में भूमिहीन हितग्राहियों को भूमि उपलब्ध नहीं कराई गई है। इन जिलों में जबलपुर, बालाघाट, रीवा, मंदसौर, होशंगाबाद, सिवनी, नरसिंहपुर, कटनी, खंडवा और भोपाल जिले शामिल है। यहां सभी भूमिहीन हितग्राहियों को जमीन प्रदान करने के निर्देश दिए गए है।
जाबकार्ड मैपिंग नहीं-
आवास प्लस में सर्वाधिक जॉबकार्ड मैपिंग नहीं करने वाले जिलों में बड़वानी, सागर, जबलपुर, सिंगरौली और धार शामिल है। इन सबको जाबकार्ड मैपिंग एक सप्ताह में पूरा कराने को कहा गया है।