भोपाल: प्रदेश में हाईटेक तरीके से हो रहे सायबर अपराधों की जांच में प्रदेश की सायबर पुलिस कछुआ चाल से चल रही है। धीरे-धीरे कर लंबित जांचों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। कुल दर्ज मामलों में से 46 प्रतिशत की जांच लंबित हो चली है। इस साल के ही करीब 64 प्रतिशत मामलों की जांच पेंडिंग हैं।
आधे मामलों का भी नहीं हुआ निराकरण
पिछले पांच साल में आईटी एक्ट के तहत प्रदेश में तीन हजार 191 मामले प्रदेश में दर्ज हुए हैं। राज्य सायबर हाईटेक पुलिस के पास तमाम संसाधन होने के बाद भी वह इनमें से एक हजार मामलों को सुलझा नहीं पाई है। इस वर्ष के मामलों में तो साबयर पुलिस की जांच की गति बहुत ही धीमी रही है। महज 36 प्रतिशत केस का ही वह निराकरण कर सकी। बाकी के मामले पेंडिंग ही है। इस साल पेंडिंग मामले 447 हैं, जबकि दर्ज मामले 696 हुए हैं।
वर्ष 2017 में 26 मामले ऐसे हैं जिनकी जांच आज तक पूरी नहीं हो सकी है। उस वर्ष महज 455 मामले की दर्ज हुए थे। इसी तरह 2018 में 723 मामले दर्ज हुए, इनमें से 91 मामलों की जांच आज भी पेंडिंग हैं। वर्ष 2019 में 671 मामले दर्ज हुए और 162 मामले पेंडिंग हैं। वर्ष 2020 में 646 मामले दर्ज हुए इनमें से 272 मामले पेंडिंग हैं।
प्रदेश सायबर पुलिस की लगातार जारी हो रही एडवाइजरी के बाद भी वह लोगों को जागरुक करने में सफल नहीं हो पा रही है। इस वर्ष के 11 महीनों में लगभग 26 करोड़ 85 लाख रुपए की आॅनलाइन ठगी हो चुकी है। एक साल में आॅन लाइन ठगी की राशि का यह सबसे बड़ा आंकड़ा है।
वर्ष 2017 में 2 करोड 63 लाख 12 हजार 252 रुपए की आॅन लाइन ठगी हुई। वर्ष 2018 में 4 करोड़ 91 लाख 46 हजार 94 रुपए की आॅन लाइन ठगी की गई। जबकि वर्ष 2019 में 5 करोड़ 47 लाख 16 हजार 356 रुपए की ठगी हुई। इसके बाद वर्ष 2020 में ठगों ने प्रदेश से 11 करोड़ 46 लाख 23 हजार 218 रुपए की ठगी की।