MP Housing Board Commissioner चंद्रमौली शुक्ला को सीनियर सिटिजन को परेशान करना पड़ा महंगा,सूचना आयोग ने दिए ₹5000 के हर्जाने के आदेश
भोपाल: लगातार एक साल से ऊपर मप्र सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद जानकारी को जानबूझकर छुपाते हुए ग्वालियर के एक सीनियर सिटिजन को परेशान करना MP Housing Board Commissioner चंद्रमौली शुक्ला को महंगा पड़ गया। राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने चंद्रमौली शुक्ला के “कानून को ताक पर रखने” वाली कार्यशैली की निंदा करते हुए उनके विरुद्ध अनुशासनिक कार्रवाई के आदेश जारी किए हैं। साथ ही सिंह ने पांच दिन में ही RTI आवेदक को फिर से जानकारी देने के आदेश और जानकारी अगर कार्यालय से ग़ायब है तो उसका प्रतिवेदन एफिडेविट पर देने के निर्देश जारी किए हैं।
*क्या है मामला*
ग्वालियर के सीनियर सिटिजन अपीलार्थी जयकुमार जैन ने एक आरटीआई आवेदन दिनांक 01/02/2021 को म०प्र० गृह निर्माण मण्डल, ग्वालियर में दायर करी थी। उन्होंने महाराजबाड़ा से हटाये गये व्यक्ति को किराये पर आवंटित दुकानों के रजिस्टर्ड विकय पत्र ‘संपादित किये जाने संबंधी जानकारी चाही थी। नियम अनुरूप ये जानकारी विभाग मे ही मौजूद होनी चाहिए। जैन के RTI दायर होते ही मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कानूनी कैस होने के चलते जानकारी नहीं देने के लिए विभाग लिखा। ग्वालियर के अधिकारियों ने बाद मे कह दिया कि जानकारी उनके कार्यालय में रिकॉर्ड पर ही नहीं है और भोपाल हाउसिंग बोर्ड कार्यालय मे ही काग़ज़ मिलेगे। ग्वालियर कार्यालय ने भोपाल कार्यालय को जानकारी देने के लिए भी लिख दिया लेकिन भोपाल कार्यालय के अधिकारी भी जानकारी पर चुप्पी साध गए।
*ग्वालियर से लेकर भोपाल तक अधिकारियों ने किया जानकारी के लिए परेशान*
आरटीआई कानून में 30 दिन में जानकारी देने का प्रावधान है पर इस मामले में 3 साल बीत जाने के बाद भी जयकुमार जैन को जानकारी प्राप्त नहीं हो पाई है मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल ग्वालियर से जब जानकारी नहीं मिली तो जयकुमार जैन ने प्रथम अपील दायर की। जिस पर कार्रवाई करते हुए ग्वालियर के उपायुक्त ने जैन को जानकारी दिलवाने के आदेश जारी किए उसके बाद भी जैन को जानकारी नहीं मिल पाई। विभाग के कई चक्कर काटने के बाद ग्वालियर कार्यालय में जैन को एक पत्र लिखकर सूचित किया कि उनकी चाही गई जानकारी रिकॉर्ड पर नहीं है यह जानकारी भोपाल मुख्यालय में है इसीलिए उनका आरटीआई आवेदन भोपाल मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल को ट्रांसफर कर दिया गया है। पर भोपाल मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के अधिकारियों ने भी जयकुमार जैन को कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करायी। अखिरकार थक-हार कर जयकुमार जैन ने जानकारी लेने के लिए मध्य प्रदेश राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया।
*सूचना आयोग के लगातार आदेश भी बेअसर*
आयोग इस प्रकरण 2022 से लगातार सुनवाई कर रहा था। चुकी इस प्रकरण मे 2021 में ग्वालियर उपायुक्त के आदेश के बाद भी भोपाल कार्यालय ना तो कोई जानकारी दे रहा था नाहीं ग्वालियर के अधिकारी के पत्र का कोई जवाब दिया, तो आयोग ने पहली सुनवाई मे ही दिनांक 21/10/2022 को मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के आयुक्त चंद्रमोली शुक्ला को उनके विभाग के अधिकारी के माध्यम से RTI आवेदक को जानकारी देने निर्देश देने के साथ साथ जानकारी उपलब्ध कराने के लिए की गई कार्रवाई का प्रतिवेदन भी पेश करने के लिए कहा गया। लेकिन चंद्रमौली शुक्ला ने कोई जानकारी नहीं उपलब्ध करायी। ना उनके कार्यालय से कोई प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इसके बाद आयोग ने
16/12/2022, 15/03/2023, 14/06/2023 एवं दिनांक 25/08/2023 को आदेश जारी कर जानकारी उपलब्ध कराने के लिए चंद्रमौली शुक्ला को निर्देशित किया। पर शुक्ला ने किसी भी आदेश का ना तो कोई जवाब प्रस्तुत किया नहीं अपने विभाग से कोई जानकारी उपलब्ध करायी।
*आयोग की शुक्ला की भूमिका को लेकर कड़ी आपत्ति*
लगातार आयोग के जानकारी देने के आदेश की लगातार अवहेलना में विभाग के प्रमुख चंद्रमौली शुक्ला की भूमिका पर राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने कड़ी आपत्ति जताई। सिंह ने अपने आदेश में कहा कि “आयोग के समक्ष अधिकारियों का असंवेदनशील एवं गैर जिम्मेदाराना रवैया से स्पष्ट है कि म०प्र० गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल ग्वालियर में निचले स्तर के अधिकारियों से से लेकर शीर्ष स्तर तक के अधिकारियों द्वारा नियम कायदे कानून को ताक पर रख कर के सूचना का अधिकार अधिनियम का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।” चंद्रमौली शुक्ला के विरुद्ध कार्रवाई के लिए आदेश सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को भेजते हुए सिंह ने कहा कि विभागीय प्रमुख होने के नाते शुक्ला की कर्तव्यस्थल पर लापरवाहीपूर्वक शिथिलतापूर्वक रवैया परिलक्षित हुआ है। अपील में पारित आदेश का पालन नहीं करना शुक्ला के अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में उनका शिथिलतापूर्वक रवैया /प्रवृत्ति को दर्शाता है जबकि “अधिनियम के प्रावधान युक्तियुक्त तत्परतापूर्वक कार्य की अपेक्षा करता है। सिंह ने कहा कि शुक्ला ने ना तो जानकारी उपलब्ध कराई और ना ही आयोग के आदेश का पालन करने का कोई भी कारण उन्होंने आयोग को बताया।
*आयोग: शुक्ला की वजह से विभाग ने अपनाया अड़ियल रवैया*
राहुल सिंह ने कहा कि आयुक्त म०प्र० गृह निर्माण एवं अधोसंरचना विकास मंडल मुख्यालय भोपाल के पद पर रहते हुए चंद्रमौली शुक्ला द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम के प्रावधानों की लगातार अवहेलना आयोग के समक्ष चिंता का विषय है। सिंह ने कहा कि जब विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी कानून को ताक पर रख जानकारी नहीं दे रहा है तो निचले स्तर पर उसके अधीनस्थ अधिकारी भी उसकी देखा देखी आयोग के आदेश की अवेहलना कर रहे है। सिंह ने जानकारी नहीं मिलने के लिए शुक्ला को ही दोषी ठहराया। उन्होंने अपने आदेश मे कहा कि शुक्ला द्वारा विधि विरूद्ध तरीके से जानकारी रोकने के कृत्य से उनके विभाग में निचले स्तर के अधिकारियों द्वारा भी आयोग के आदेशों के प्रति अवमाननाकारक रवैया अख्तियार कर लिया गया है। प्रकरण में निचले स्तर के अधिकारियों से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद ना तो जानकारी उपलब्ध करायी गयी ना ही जानकारी के संबंध में कोई युक्तियुक्त स्पष्टीकरण आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया गया।
*चन्द्रमौली शुक्ला ने किया सिविल सेवा नियम का उल्लंघन*
राहुल सिंह ने जारी आदेश मे कहा कि अधिनियम की धारा 19 (7) के तहत आयोग का आदेश संबंधित अधिकारी पर बाध्यकारी होता है। सिंह ने कहा कि शासकीय अधिकारी नियमों से बंधे हुए कार्य करते हैं और अगर उनके द्वारा कानून की अभिलाष की जाती है जानबूझकर तो यह उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई का आधार बन सकता है। सिंह ने कहा कि चंद्रमौली शुक्ला ने न सिर्फ़ स्वयं जानकारी रोकी बल्कि उनके इस कदाचार की वजह से विभाग में उनके अधीनस्थ अधिकारियों ने भी जानकारी को लेकर अड़ियल रवैया अख्तियार कर लिया। आयोग के लगातार आदेशों के बावजूद जानकारी को उपलब्ध ना कराने से एवं जानकारी को जानबूझकर अवरूद्ध करते हुए चन्द्रमौली शुक्ला द्वारा सिविल सेवा नियम का उल्लंघन करते हुए स्वयं को कार्यवाही का भागीदार बनाया है। उल्लंघन के आधार पर सिंह ने लोकप्राधिकारी प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय भोपाल को सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 19(8) (a) के तहत श्री शुक्ला के विरूद्ध सिविल सेवा आचरण नियम 1964 के रूल्स 3(1)(ii), 3(1)(iii), 3(1)(VII), 3(1)(XVIII), 3(1) (xix), 3(1) (XXI), रूल्स 343 (A) एवं 39 11 के उल्लंघन पर अनुशासनिक कार्यवाही हेतु आदेश जारी किए गए है।
*आयोग ने दिए ₹5000 के हर्जाने के आदेश भी*
राहुल सिंह ने अपने आदेश कहां कि जानबूझकर जयकुमार जैन को जानकारी के लिए परेशान करने के लिए विभाग के लापरवाह अधिकारी जिम्मेदार हैं। जयकुमार जैन आरटीआई आवेदक सीनियर सिटीजन है जो कि शारीरिक रूप से अक्षम भी है। उन्हें सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 7(1) के तहत मात्र 30 दिन में दिनांक 09/03/2021 तक ही जानकारी मिल जानी चाहिए थी। सिंह ने इस बात पर चिंता जताई कि आयोग के लगातार आदेश के एक साल बीत जाने के बाद भी अभी तक जयकुमार जैन को जानकारी नहीं मिली। इस प्रकरण में मध्य प्रदेश गृह निर्माण मंडल के भोपाल आयुक्त और भोपाल और ग्वालियर के अन्य अधिकारियों की लापरवाही के लिए सिंह ने प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन को विभाग से ₹ 5000 की क्षतिपूर्ति राशि जयकुमार जैन देने के आदेश भी जारी किए है। गौरतलब है क्षतिपूर्ति देने के बाद विभाग को अपने रिकार्ड पर दिखाना होगा कि किन अधिकारियों की वजह से हर्जाना देना पड़ा।