MP बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांत 1 अप्रैल 2025 से होंगे प्रभावशील, केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में हुआ निर्णय

क्रेडाई भोपाल अध्यक्ष मनोज सिंह ‘मीक’ ने इस निर्णय पर जताई आपत्ति, जानिए राज्य सरकार से क्या किया आग्रह

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MP बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांत 1 अप्रैल 2025 से होंगे प्रभावशील, केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में हुआ निर्णय

भोपाल :आवासीय आरसीसी निर्माण तथा समस्त क्षेत्रों में आरबीसी/ टिन शेड/ कच्चा कवेलू के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रचलित निर्माण दरें वित्तीय वर्ष 2025-26 में भी यथावत जारी रहेंगी। यह निर्णय शनिवार को केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक में लिया गया। बैठक में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड के सभी सदस्य उपस्थित थे।

 

मध्यप्रदेश बाजार मूल्य मार्गदर्शन सिद्धांतों का बनाया जाना और उनका पुनरीक्षण नियम-2018 के अंतर्गत अचल संपत्ति के बाजार मूल्य के मार्गदर्शन सिद्धांत के प्रस्ताव के अनुमोदन और भूमि, भवन एवं स्थावर संपत्ति में विभिन्न प्रकार के हितों के संबंध में बाजार मूल्य के नियतन के लिए मानदंड/ उपबंध के अनुमोदन के संबंध में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड/ महानिरीक्षक पंजीयन मध्यप्रदेश की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया।

अन्य महत्वपूर्ण निर्णय में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा जिला मूल्यांकन समितियों से बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांत के प्रस्ताव वर्ष 2025-26 के अनुमोदित प्रस्तावों पर विचार करने के बाद उन्हें मान्य किया गया। निर्णय अनुसार बाजार मूल्य मार्गदर्शक सिद्धांत वर्ष 2025-26 आगामी 1 अप्रैल 2025 से प्रभावशील हो जायेंगे।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024-25 में बाजार मूल्य से अधिक मूल्य पर पंजीबद्ध दस्तावेज नवीन प्रस्तावित रिंग रोड, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्यमार्ग, प्रधानमंत्री सड़क अन्य जिला सड़क, तीव्र नगरीकरण, प्रदेश में विकसित हो रही शहरी अधोसंरचना आदि को दृष्टिगत रखते हुए जिला मूल्यांकन समितियों द्वारा प्रेषित प्रस्तावों पर विचार के बाद दरों को प्रस्तावित मूल्यों के आधार पर युक्तियुक्त किए जाने का निर्णय लिया।

केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड द्वारा मध्यप्रदेश बाजार मूल्य मार्गदर्शन सिद्धांतों का बनाया जाना और उनका पुनरीक्षण नियम-2018 के नियम-3 (2) (ख) के अनुसार भूमि, भवन तथा स्थावर संपत्ति में विभिन्न प्रकार के हितों के संबंध में बाजार मूल्य के निर्धारण के लिए मानदंडों/ उपबंधों के संबंध में विचारोपरांत वर्तमान प्रचलित उपबंधों 2024-25 को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए मान्य करने का निर्णय लिया गया।

*क्रेडाई भोपाल अध्यक्ष मनोज सिंह ‘मीक’ ने इस निर्णय पर आपत्ति जताते हुए कहा:* 

“हमारा विरोध गाइडलाइन रेट्स में सिर्फ वृद्धि के विरुद्ध नहीं, बल्कि उस प्रणाली के विरुद्ध है जो वैज्ञानिक नहीं है, संवादात्मक नहीं है, और व्यवहारिकता से कोसों दूर है। हमने 16 वर्षों से इसी प्रक्रिया का विरोध किया है, जिसमें बाजार मूल्य की बजाय अनुमान और उपबंधों के सहारे दरें बढ़ाई जाती हैं।”

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का ताज़ा आदेश स्पष्ट करता है कि सर्किल रेट्स का निर्धारण वैज्ञानिक, पारदर्शी और विशेषज्ञ-आधारित पद्धति से किया जाना चाहिए, जो वास्तविक बाजार मूल्य को प्रतिबिंबित करे।

मनोज मीक ने तीन बिंदुओं पर जोर दिया:

1. वृद्धि की पद्धति में पारदर्शिता नहीं है – जिन जिलों ने वृद्धि प्रस्ताव भेजे, उनके अध्ययन और औचित्य का कोई सार्वजनिक रिकॉर्ड नहीं है।

2. उपबंध यथावत रहने का अर्थ है मूल्यवर्धन संरचना बनी रहेगी, जिससे अप्रत्याशित बोझ जारी रहेगा।

3. वास्तविक निवेश और मांग वृद्धि नहीं है, लेकिन गाइडलाइन दरों में वृद्धि से न सिर्फ लेन-देन प्रभावित होगा, बल्कि हाउसिंग फॉर ऑल जैसी योजनाएँ भी विफल हो सकती हैं।

क्रेडाई का आग्रह:

हम एक बार फिर राज्य शासन से अनुरोध करते हैं कि —

• दरों की समीक्षा स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति से कराई जाए।

• वर्षवार क्लीन डेटा सार्वजनिक किया जाए।

• जब तक प्रक्रिया वैज्ञानिक और पारदर्शी न हो, तब तक किसी भी वृद्धि को स्थगित किया जाए।

मनोज मीक का वक्तव्य:

“हमें आज गुजरात, महाराष्ट्र और तेलंगाना जैसे प्रगतिशील राज्यों से सीखने की ज़रूरत है, जिन्होंने निवेश बढ़ाने की स्थिरता और नीति की पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। लगातार रेट बढ़ाना दीर्घकालिक राजस्व नहीं लाता, बल्कि बाजार को अस्थिर कर देता है।”

— सचिवालय, क्रेडाई भोपाल